Dr DK Garg भाग3 अंतिम 2.धूर्त गुरुओ द्वारा भ्रान्ति पैदा करने के लिए कबीर के दोहे और संस्कृत के श्लोक के गलत भावार्थ का इत्यादि का सहारा: प्रयोग में लाये जाने वाले दोहे और इनके उल्टे सीधे भावार्थ देखिये : 1 सब धरती कागद करूँ लेखनी सब बन राय ॥ सात समुन्द्र की मसि करूँ […]
श्रेणी: आज का चिंतन
ओ३म् हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना अपितु एक पूर्ण ज्ञानवान सर्वज्ञ सत्ता ईश्वर के द्वारा बना है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, सर्वव्यापक, सर्वातिसूक्ष्म, एकरस, अखण्ड, सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता, पालनकर्ता तथा प्रलयकर्ता है। जो काम परमात्मा ने किये हैं व वह करता है, उन कामों को करना किसी मनुष्य के वश की बात नहीं है। […]
(वास्तविकता की खोज )* प्रस्तुति: Dr DK garg पौराणिक मान्यताये : मान्यता 1: अश्विन कुमार भगवान सूर्य (सूर्या देव की आरती) और माता संज्ञा के दो पुत्र हैं। इनका नाम नासत्य और दस्त्र है लेकिन अश्व यानी कि घोड़ी से उत्पत्ति होने के कारण इनका नाम अश्विन कुमार पड़ा। सूर्य के ये दोनों पुत्र देवताओं […]
ओ३म् -आर्यसमाज धामावाला देहरादून का रविवारीय सत्संग- ========== आर्यसमाज धामावाला, देहरादून के साप्ताहिक सत्संग में आज रविवार दिनांक 18-6-2023 को हरिद्वार से पधारे आर्यविद्वान आचार्य शैलेश मुनि सत्यार्थी जी का ओजस्वी व्याख्यान हुआ। उनके व्याख्यान से से पूर्व यज्ञशाला में पं. विद्यापति शास्त्री के पौरोहित्य में वृहद यज्ञ हुआ। यज्ञ में अन्य बन्धुओं सहित आर्यसमाज […]
सत्य की खोज गीता के श्लोक का गलत भावार्थ डॉ डी के गर्ग गीता में एक श्लोक (2/47) इस प्रकार है : ‘‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’’ । और इसका भावार्थ इस तरह समझाया जाता है की मनुष्य तू कर्म करता रह और फल यानि परिणाम की चिंता ना कर। परिणाम तो ईश्वर के हाथ में […]
महाभारत के पात्र गांधारी प्रस्तुती:Dr DK Garg रामायण एवं महाभारत समीक्षा By Dr DK Garg से साभार भाग-4 गांधारी के १०० बच्चों का सच प्रचलित कथा – महाभारत के अनुसार कौरव 100 भाई और एक बहन थे। प्रचलित कथा में ही इस पर दो भिन्न-भिन्न राय है और दोनों ही अपनी राय को सत्य बताते […]
‘विशेष’- प्रभु से क्या मांगें भक्ति अथवा मुक्ति ? ब्रह्म-भाव में हम जीयें, करें ब्रह्म-रस पान। जीवन-धन तेरा नाम है, दो भक्ति का दान॥2775॥ तत्त्वार्थ:- हे ब्रह्मन् ! हे प्राण-प्रदाता ओ३म् !! हे धराधन्य!!! हे अनन्त और निरन्तर कृपा बरसाने वाले पर्जन्य ! आप हम पर इतनी कृपा अवश्य करें, कि आपसे निरन्तर सायुज्यता बनी […]
गुरु की टांग सहदेव समर्पित *आपने भी गुरु और दो मूर्ख शिष्यों की वह कथा सुनी होगी जब वे दोनों गुरु के पैर दबा रहे थे। दोनों ने एक एक टांग बांट ली। गुरु जी ने एक टांग दूसरी के ऊपर रखी तो दूसरी टांग के मालिक शिष्य की भावनायें भड़क गईं। उसने दूसरी टांग […]
डॉ डी के गर्ग एक निश्चित अवधि के लिए भोजन और पेय पदार्थों को त्यागने की क्रिया को उपवास (fasting) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में अन्न और जल न ग्रहण करने की क्रिया उपवास कहलाता है। लेकिन शारीरिक कारणों को छोड़कर धार्मिक या अन्य किसी संकल्प के कारण किसी निश्चित अवधि के लिए भोजन […]
DR D K Garg कृपया अपने विचार व्यक्त करे और शेयर करे। अभी अभी टीवी पर न्यूज देखी की उत्तराखंड के जोशी मठ के पास पहाड़ हिलने से सकड़ों मकान और वहा के कुलदेवी का मंदिर भी नष्ट हो गया। बहुत दुख हुआ ये सोचकर की कुलदेवी ने वहा रहने वालो की और स्वयं की […]