गुंजन अग्रवाल संस्कृत-भाषा का शब्द ‘धर्म’ अत्यन्त उदात्त अर्थ रखता है। संस्कृत में अर्थग्रथित शब्द बनाने की अद्भुत क्षमता रही है। किन्तु उसका भी जैसा उत्कृष्ट उदाहरण ‘धर्म’ शब्द में मिलता है, वैसा अन्यत्र नहीं मिलता। भारतवर्ष ने जो कुछ सशक्त निर्माण-कार्य युग-युग में संपन्न किया है और कर रहा है, वह सब ‘धर्म’ है। […]
श्रेणी: आज का चिंतन
ओ३म् “ हम मनुष्य इस कारण से हैं कि हम अपने मन व बुद्धि से चिन्तन व मनन कर सत्यासत्य का निर्णय करने सहित सत्य का ग्रहण एवं असत्य का त्याग कर सकते हैं वा करते हैं। यह कार्य पशु व पक्षी योनि के जीवात्मा नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि पशु व […]
लेखक श्री विष्णु शर्मा प्रायः अनेक प्रकार के विभिन्न विचारधारा वाले लोग गीता पर यह आक्षेप लगाते रहते हैं कि गीता में जिहाद है और भीषण नरसंहार का आदेश दिया गया है किंतु आश्चर्य की बात तो ये है कि ऐसे लोगों ने कभी गीता को उठाकर तक भी देखा नहीं होता.. केवल सुनी सुनाई […]
* डॉ डी के गर्ग * भाग-1 पौराणिक मान्यता : – जहाँ शिवजी स्वयं प्रगट हुए थे उस शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग कहते हैं। देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग हैं।मान्यता है कि इन 12 जगहों पर शिव जी ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं, इस वजह से इन 12 मंदिरों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।सभी 12 ज्योतिर्लिंग की […]
डॉ डी के गर्ग भाग-2 हमारे बहुत से बंधू कृष्ण महाराज को पूर्ण अवतारी पुरुष कहते हैं। यहाँ हम अवतार का अर्थ संक्षेप में बताना चाहेंगे, “अवतार का शाब्दिक अर्थ “जो ऊपर से नीचे आया” और “पूर्ण पुरूष”है। पूर्ण कहते हैं जो अधूरा न रहा और पुरुष शब्द के दो अर्थ हैं : 1. पुरुष […]
सूर्य पितामहो व्यासो वसिष्ठोऽत्रि पराशरः। कश्यपो नारदो गर्गो मरीचिर्मनुरङ्गिरा ।। लोमशः पौलिषश्चैव च्यवनो यवनो भृगुः। शौनकोऽष्टादशश्चैते ज्योति: शास्त्र प्रवर्तका:।। (ज्योतिष शास्त्र के 18 प्रवर्तक ) शिक्षाघ्राणं तु वेदस्य, हस्तौकल्पौऽथ पठ्यते, मुख व्याकरणं स्मृतं, निरुक्तं श्रौतं मुच्यते। छन्द पादो तु वेदस्य, ज्योतिषामयनं चक्षु, तस्मास्त सांगमधि त्यैव ब्रह्मलोके महीयते।। वेदाहि यज्ञार्थमभिप्रवृत्ताः कालानुपूर्व्या विहिताश्च यज्ञाः। तस्मादिदंकालविधानशास्त्रं यो ज्योतिषं […]
* डॉ डी के गर्ग भाग-१ पौराणिक मान्यता :श्रीकृष्ण जी के 16 कलाओं से युक्त थे। श्रीकृष्ण जी में ही ये सारी खूबियां समाविष्ट थी। कृष्ण की ये वो 16 कलायें हैं, जो हर किसी व्यक्ति में कम या ज्यादा होती हैं।ये कलाये है-1.अन्नमया, 2.प्राणमया, 3.मनोमया, 4.विज्ञानमया, 5.आनंदमया, 6.अतिशयिनी, 7.विपरिनाभिमी, 8.संक्रमिनी, 9.प्रभवि, 10.कुंथिनी, 11.विकासिनी, 12.मर्यदिनी, […]
डॉ डी के गर्ग “भारतीय पर्व एवं परम्पराये ” से साभार अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। प्रचलित कथा: यह कथा इस प्रकार है कि एक धर्मदास नाम के व्यक्ति ने अक्षय तृतीया का व्रत किया। इसके बाद ब्राह्मण को दान में पंखा, जौ, नमक, […]
* Dr DK Garg पौराणिक मान्यता : महादेव को जब क्रोध आता है, तो वे तांडव नृत्य करते है, तांडव नृत्य जब महादेव करते हैं, उस समय उनकी आंखें क्रोध से लाल, हो जाती है, पूरा ब्रह्मांड कांपने लगता है, उस समय किसी की क्या मजाल जो उनके सामने आ सके। अन्य मान्यता के अनुसार […]
Dr DK Garg पौराणिकमान्यताये :एक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी के कमंडल का जल गंगा नामक युवती के रूप में प्रकट हुआ था। एक अन्य (वैष्णव) कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमंडल में एकत्र कर लिया। एक तीसरी मान्यता के अनुसार गंगा पर्वतों […]