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संपादकीय

गुजरात व हिमाचल की जनता का परिपक्व निर्णय

गुजरात की कुल 182 सीटों में से 99 भाजपा को, 80 कांग्रेस को और 3 अन्य को मिलीं। भाजपा ने लगातार छठी बार गुजरात में सरकार बनाने का इतिहास रचा। जबकि हिमाचल प्रदेश में कुल 68 सीटों में से 44 भाजपा को, 21 कांग्रेस को व 3 अन्य दलों को मिली हैं। इस प्रकार हिमाचल […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-5

परिस्थिति के निर्माता हम स्वयं वास्तव में सारी परिस्थितियों के हम स्वयं ही निर्माता हैं। परिस्थितियों को हम ही बनाते हैं, परिस्थितियां हमें कदापि नहीं बनाती हैं। लोकतंत्र को ‘लूटतंत्र’ में हमने ही तो परिवर्तित किया है। कैसे? जनता ने ‘वोट’ के बदले नेता से ‘नोट’ पाकर। अधिकारी ने मनचाहे स्थान के लिए ‘स्थानांतरण’ कराने […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मौहम्मद बिन तुगलक की ‘दोआब कर वृद्घि’ के विरूद्घ जनता का स्वतंत्रता संघर्ष

प्रगतिशील लेखक संघ की पहली बैठक (10 अप्रैल 1936 ई.) को संबोधित करते हुए मुंशी प्रेमचंद ने कहा था :- ‘‘हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा, जिसमें उच्च चिंतन हो, स्वाधीनता का भाव हो, सौंदर्य का सार हो। सृजन की आत्मा को जीवन की सच्चाईयों का प्रकाश हो, जो सबमें गति, संघर्ष और बेचैनी […]

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राजनीति

जनता में नेताओं के प्रति सम्मान नहीं

कुलदीप नायर एक लोकतांत्रिक प्रणाली में राजनीतिक दल बिरले ही कभी एक पक्ष में होते हैं। उनके अपने-अपने एजेंडे हैं और अपनी ही चिंतन विधा है, और सबसे ऊपर यह कि वे एक ही मायामय लक्ष्य के लिए- जो है संसद में बहुमत की प्राप्ति, उसके लिए ही प्रतिद्वन्द्विता में रत हैं। उस स्थान को […]

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