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संपादकीय

लोकसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश की 80 सीटें

हमारे देश में अभी तक जितने भर भी लोकसभा चुनाव हुए हैं  उन सबका ही अपना एक महत्व रहा है। प्रत्येक लोकसभा चुनाव ऐतिहासिक रहा। पर इस बार 2024 में होने जा रहा आम चुनाव कुछ अपनी अलग ही विशिष्टता रखता है। इन चुनावों के दृष्टिगत जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है तो  इस […]

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आज का चिंतन

ईश्वर के वेदोक्त सच्चे स्वरूप की उपासना

“अपने जीवन को सुंदर और सुखमय कौन नहीं बनाना चाहता? सभी चाहते हैं। परंतु उस की विधि ठीक प्रकार से नहीं जानते।” वेदों के आधार पर ऋषियों ने इस विधि को अपने शास्त्रों में विस्तार से समझाया है। उनका संदेश इस प्रकार से है, कि “यदि आप अपने जीवन को सुंदर एवं सुखमय बनाना चाहते […]

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आज का चिंतन

सत्य नारायण व्रत कथा*

  डॉ डी के गर्ग ये लेख २ भागो में है। कृपया अपने विचार बताये और जनहित में शेयर करें। भाग -2 सत्य को समझने के बाद अब नारायण शब्द का भावार्थ समझते हैं। नारायण : आपो नारा इति प्रोक्ता आपो वै नरसूनवः। ता यदस्यायनं पूर्वं तेन नारायणः स्मृतः॥ —यह मनुस्मृति [अ॰ १।१०] का श्लोक […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राम मंदिर के अमर बलिदानी राजा महताब सिंह

    अयोध्या में राम मंदिर बना है तो कई प्रकार की घटनाओं पर इस समय चर्चाएं चल रही हैं । कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने जिस प्रकार हमारे भारतीय वीर वीरांगनाओं के इतिहास को छुपाया अब उनके पाप उजागर होने लगे हैं । कई लोगों का ध्यान इतिहास की उन धूल फांकती पुस्तकों की ओर गया […]

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सैर सपाटा

विचित्र दिव्य परंपराओं वाला शान्त तपोभूमि चित्रकूट 

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी चित्रकूट का मतलब :- चित्रकूट- दो शब्दों के मेल से बना है- चित्र और कूट  । संस्कृत में चित्र का अर्थ है अशोक एवं कूट का अर्थ है शिखर या चोटी। इस वन क्षेत्र में कभी अशोक के वृक्ष बहुतायत मिलते थे। इस कारण इसे चित्रकूट कहा गया होगा। यहां […]

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स्वास्थ्य

मासिक धर्म जागरूकता में युवाओं की भागीदारी भी ज़रूरी है

कमरुन निसा लेह, लद्दाख मासिक धर्म, मानव अस्तित्व का एक प्राकृतिक पहलू है, जिसे अक्सर कलंक और चुप्पी में छिपा दिया जाता है. दरअसल जागरूकता की कमी ने ही शर्म और गोपनीयता की संस्कृति को बढ़ावा दिया है. हमारे देश के अधिकतर हिस्सों में आज भी इस पर चर्चा करना बुरा समझा जाता है. यहां तक […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

डॉ अंबेडकर के मतानुसार वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था के मूलभूत अन्तर

  डॉ. अंबेडकर वर्ण व्यवस्था एवं जाति व्यवस्था को परस्पर विरोधी मानते हैं और वर्ण व्यवस्था के मूल तत्त्वों की प्रशंसा करते हैं। उन्हीं के शब्दों में उनके मत उद्धृत हैं- (क) ‘‘जाति का आधारभूत सिद्धान्त वर्ण के आधारभूत सिद्धान्त से मूल रूप से भिन्न है, न केवल मूल रूप से भिन्न है, बल्कि मूल […]

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समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महर्षि दयानन्द जी का स्वकथित जीवनचरित्र, भाग 3

भाई-बहिन- मुझ से छोटी एक बहन फिर उससे छोटा भाई फिर एक और भाई हुए अर्थात् दो भाई फिर एक बहन’ और हुए थे । तब तक मेरी १६ वर्ष की अवस्था हुई थी (इससे प्रकट है कि स्वामी जी सब से बड़े थे और उनके ज्ञानानुसार कुल तीन भाई और दो बहनें थीं।) पहली […]

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