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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारत की स्वाधीनता के महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज का संक्षिप्त इतिहास

अनिरुद्ध जोशी जन्म : 19 फरवरी 1630 मृत्यु : 3 अप्रैल 1680 भारत के वीर सपूतों में से एक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते हैं। बहुत से लोग इन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं, जबकि वे भारतीय गणराज्य के महानायक थे। छत्रपति […]

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इतिहास के पन्नों से

एक मुस्लिम शासक था अंग्रेजों को भारत लाने वाला

उगता भारत ब्यूरो अखंड भारत पर अंग्रेजों, पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों ने पहले व्यापार के माध्यम से अपनी पैठ जमाई फिर यहां के कुछ क्षेत्रों को सैन्य बल और नीति के माध्यम से अपने पुरअधीन करने का अभियान चलाया। अंग्रेजों के आने के पहले भारत के अधिकांश भू-भाग पर जाट छत्रियों, राजपूतों, सिखों और दक्षिण के […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारत का वास्तविक राष्ट्रपिता कौन ? श्रीराम या ……. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा भगवान श्रीराम, अध्याय – 3

वनवास में भी पुरुषार्थ करते रहो भारत के विषय में मुसलमान लेखक वस्साफ ने अपने ग्रंथ “तारीख-ए-वस्साफ” में बहुत सुंदर कहा है – “सभी इतिहासवेत्ता यह मानते हैं कि भारतवर्ष भूमंडल का एक अति रमणीय और चित्ताकर्षक देश है। इसकी पावन पुनीत मिट्टी के रजकण वायु से भी अधिक हल्के और पवित्र हैं। इसकी वायु […]

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आतंकवाद महत्वपूर्ण लेख

भारत के कुछ विवादित भूभाग और हमारी आजादी

प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’ समाचार पत्र) भारत में बहुत से विवादित क्षेत्र या भू-भाग हैं। क्षेत्रीय विवाद से आशय उस क्षेत्र से है जिसके तहत भूमि के नियंत्रण या आधिपत्य को लेकर दो राज्यों, देशों के बीच विवाद हो। यह विवाद दो या अधिक देशों के बीच भी हो सकता है। […]

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इतिहास के पन्नों से

व्यावसायिक शब्दावली भी बहुत उन्नत और समृद्ध थी प्राचीन भारत में

प्रो. भगवती प्रकाश अथर्ववेद के वाणिज्य सूक्त सहित यजुर्वेद, अथर्ववेद व ऋग्वेद वैदिक काल में उद्योग-व्यवसाय क्षेत्र से जुड़ी शब्दावली का प्राचुर्य मिलता है। मात्र धन या पूंजी की पृथक प्रकृति होने पर पृथक शब्दावली का प्रावधान था। इसके अलावा सभी प्रकार के उद्यमों की स्थापना, संचालन व प्रबन्ध और उनसे सत्यनिष्ठा एवं नैतिकता के […]

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इतिहास के पन्नों से

प्राचीन ईरान व यूरोप में वैदिक सूर्योपासना

प्रो. भगवती प्रकाश प्राचीन ईरान के पारसी मत के धर्म ग्रंथ ‘अवेस्ता’ में वैदिक देवताओं पर विमर्श के अतिरिक्त सूर्य के मित्र या मिथ्र नाम से प्रचलित प्राचीन मन्दिरों के प्रचुर अवशेष हैं। यूरोप के समस्त पुरातात्विक उत्खनन एवं संग्रहालयों में भी मित्र य मिथ्र के प्राचीन पुरावशेषों की प्रचुरता है। आज भी यूरोप में […]

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इतिहास के पन्नों से

जम्मू कश्मीर के भारत में विलय में भी सरदार पटेल ने निभाई थी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

अवधेश कुमार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जम्मू-कश्मीर से कार्यसमिति के सदस्य तारिक हामिद कर्रा ने जिस तरह सरदार पटेल की आलोचना करते हुए कहा कि कश्मीर पर वह उदासीन थे और यह कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने त्वरित पहल नहीं की होती तो वह पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता, उससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

भारत की 1000 साल की गुलामी ?

हम भारतीयों मे भूलने का रोग बहुत पुराना है। इसी भूलने के कारण हम 1000 साल गुलाम रहे। परंतु दुनिया नहीं भूलती है। औरंगजेब आज भी भारतीय मुस्लिमों का हीरो है। गुरु तेगबहादुर, भाई सति दास, भाई मति दास भाई दयाला जी को औरंगजेब ने कैसे भयानक तरीके से मारा वह किसी से छुपा नहीं […]

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महत्वपूर्ण लेख

राष्ट्रीय बनने के सपने और समस्याएं

उमेश चतुर्वेदी भारतीय राजनीति में इन दिनों कुछ ऐसी हलचलें भी हैं, जिनके दूरगामी संदेशों को या तो देखने की कोशिश नहीं हो रही है, या फिर राजनीतिक घटाटोप में उन पर साफ निगाह पड़ ही नहीं रही है। इन दिनों तीन क्षेत्रीय दल ऐसे हैं, जिनकी महत्वाकांक्षा छुपाए नहीं छुप रही हैं। पश्चिम बंगाल […]

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देश विदेश

कम्युनिज्म (साम्यवाद) का काला इतिहास ____

रूस में 25 अक्तूबर (या 7 नवंबर) 1917 की घटना को पहले अक्तूबर या नवंबर क्रांति कहा जाता था, लेकिन 1991 में कम्युनिज्म के विघटन के बाद स्वयं रूसी उसे ‘कम्युनिस्ट पुत्स्च’ यानी “तख्तापलट” कहने लगे, जो वह वास्तव में था। उस दिन सेंट पीटर्सबर्ग में ब्लादिमीर लेनिन के पागलपन या दुस्साहस से मुट्ठी भर […]

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