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धर्म-अध्यात्म

सत्यार्थ प्रकाश ‘एक अनुपम ग्रन्थ’ भाग-3

राकेश आर्य (बागपत)     देवियों और सज्जऩों ! आर्यसमाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने ‘सत्यार्थप्रकाश’ नामक ग्रन्थ की रचना करके मानव जाति का अवर्णनीय उपकार किया है। सत्य का ग्रहण और असत्य का परित्याग करना ही इस ग्रन्थ का मुख्य उद्देश्य है। जिसने भी इस ग्रन्थ को पूरा पढ़ा उसी का जीवन बदल […]

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संपादकीय

भारत किस विदेशी सत्ता या आक्रांता का कितनी देर गुलाम रहा? 3

ग्वालियर महाकौशल, इंदौर, रीवां, झाँसी, ये सारी रियासतें मुस्लिम शासनकाल में अपनी स्वतन्त्रता को बचाए रखने में सफल रहीं। एक दिन के लिए भी ये रियासतें किसी मुस्लिम सुल्तान या बादशाह के अधीन नहीं रही। महाकौशल की 1818 की तथा झाँसी में 1858 में अंग्रेज़ो से संधि हो गयी। इससे महाकौशल लगभग 130 वर्ष तो […]

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धर्म-अध्यात्म

मेरठ में राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनस्र्थापना में आर्य समाज का योगदान, भाग-2

पिछले अंक से आगे…. दयानंद महाविद्यालय गुरुकुल डौरली की स्थापना 1925 में हुई। श्री अलगू राय शास्त्री इसके प्रथम आचार्य नियुक्त हुए। इस विद्यालय की स्थापना हेतु भूमिदान पंडित शिव दयालु ने किया। यह विद्यालय प्रारंभ से ही राष्ट्रीयता की भावना को प्रभावी बनाने का कार्य करने लगा। फलस्वरूप गुरुकुल के आचार्यों, ब्रह्मचारियों तथा कर्मचारियों […]

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धर्म-अध्यात्म

सत्यार्थ प्रकाश ‘एक अनुपम ग्रन्थ’ भाग-2

राकेश आर्य (बागपत)     देवियों और सज्जऩों ! आर्यसमाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने ‘सत्यार्थप्रकाश’ नामक ग्रन्थ की रचना करके मानव जाति का अवर्णनीय उपकार किया है। सत्य का ग्रहण और असत्य का परित्याग करना ही इस ग्रन्थ का मुख्य उद्देश्य है। जिसने भी इस ग्रन्थ को पूरा पढ़ा उसी का जीवन बदल […]

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देश विदेश विविधा

भारतीय सेना में जासूसी

योगेश कुमार गोयल भारतीय सेना में जासूसी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जो देश की सुरक्षा की दृष्टि से गहन चिंता का विषय हैं। पहले वायुयेना का एक वरिष्ठ अधिकारी अरूण मारवाह और अब थलसेना का एक अधिकारी सेना में जासूसी के आरोप में दबोचा गया है। हालांकि एक देश द्वारा दूसरे देश की […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हमारे गोत्र हमें आज भी गौरवबोध और इतिहासबोध कराते हैं

गोत्रों में छिपा है हमारा गौरवभाव  भारत की गोत्र परंपरा भी अनूठी है। प्रत्येक गोत्र की उत्पत्ति किसी वीर क्षत्रिय से या किसी महाविद्वान के नाम से हुई है। अपने पूर्वजों के नाम को अमर बनाये रखने तथा उनके उल्लेखनीय कृत्यों की गौरवगाथा को अपने हृदय में श्रद्घा पूर्ण स्थान दिये रखने की भावना के […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती-भाग 229

हमेशा याद रखो, मन से भी अधिक सूक्ष्म, भाव अथवा संस्कार होते हैं, हमारे मानस-पटल पर ऐसे रहते हैं, जैसे जल के ऊपर तरंगे रहती हैं। इसीलिए हमारे ऋषियों ने कर्म की प्रधानता के साथ-साथ ‘भाव की पवित्रता’ पर विशेष बल दिया है। ये भाव ही हमारे स्वभाव का निर्माण करते हैं, जिनका प्रभाव जन्म-जन्मान्तरों […]

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