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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-42

गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज भारत की ऐसी ही परम्पराओं में से एक परम्परा यह भी है कि जब किसी व्यक्ति को कोई कष्ट होता है तो दूसरा उसके विषय में यह कहता है कि यह कष्ट मुझे ऐसे ही अनुभव हुआ है जैसे कि मुझे ही हुआ हो। लोग अक्सर कहते हैं […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्यों के दो भेद आर्य और दस्यु

दो पैर वाले शरीरधारी प्राणी को मनुष्य कहते हैं। ज्ञान व कर्म की दृष्टि से इसके मुख्य दो भेद हैं। ज्ञानी व सदाचार मनुष्य को आर्य तथा ज्ञान व अज्ञान से युक्त आचारहीन मनुष्य को दस्यु कहते हैं। महषि दयानन्द जी ने ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ में आर्य और दस्यु का भेद बताते हुए कहा है कि आर्य […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-41

गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज अब पुन: हम उस आनन्द के विषय में ‘ब्रह्मानन्दवल्ली’ (तैत्तिरीय-उपनिषद) का उल्लेख करते हैं। जिसका ऋषि कहता है कि यदि कोई बलवान युवावस्था को प्राप्त वेदादि शास्त्रों का पूर्ण ज्ञाता सम्पूर्ण पृथ्वी का राजा होकर राज भोगे तो उसे उस राज से जो आनन्द प्राप्त होगा वह एक […]

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संपादकीय

देश से पहले संस्कृति बचाओ

भारत में अध्यात्म और मानव समाज का चोली दामन का साथ है। बिना अध्यात्म के भारत में मानव समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती। यही कारण है कि भारत में आध्यात्मिक संतों व महात्माओं का विशेष सम्मान है। प्राचीनकाल में लोग पाप पुण्य से बहुत डरते थे। यही कारण था कि अपने अधिकांश […]

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व्यक्तित्व

सबके चहेते और सबके आदरणीय अटल जी

प्रसिद्द दार्शनिक सुकरात ने कहा था कि जिस देश का राजा कवि होगा उस देश में कोई दुखी न होगा – अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में यह बात चरितार्थ हो रही थी। स्वातंत्र्योत्तर भारत के नेताओं में कुछ ही ऐसे नेता हुए हैं जो विपक्षियों से भी सम्मान पातें हों। और ऐसे जननेता तो […]

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व्यक्तित्व

महामना मालवीय का सपना

सदानंद शाही अंग्रेजों ने शिक्षा के माध्यम से भारत की चेतना पर काबिज होने का असली कोशिश 1835 में की। लार्ड मैकाले ने अंग्रेजी शिक्षा की सिफारिश की। 1854 में कलकत्ता विश्वविद्यालय, 1858 में बंबई और मद्रास विश्वविद्यालय बना। 1882 में शिक्षा आयोग बैठा और इसी साल में लाहौर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। 1887 में […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-40

गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज योगी की समाधि अवस्था गीता के छठे अध्याय की विशेषता यह है कि इसमें श्रीकृष्ण जी ने ध्यान योगी के लक्षण भी बताये हैं। इस पर प्रकाश डालते हुए श्रीकृष्णजी कहते हैं कि जब चित्त व्यक्ति के वश में हो जाता है और वह आत्मा में स्थित हो […]

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संपादकीय

किसका अहंकार ईश्वरीय ग्रास बनेगा?

अंगिरा ऋषि का मत है कि अहंकार देवताओं का भी नाश कर देता है। जबकि वशिष्ठ जैसे आचार्य का कथन है कि अहंकार जीव का ही नाश कर देता है। इसी प्रकार सन्त तुलसीदास जी का कहना है कि अहंकारी का विनाश निश्चित है। इन महापुरूषों के ये वाक्य भारतीय संस्कृति के मूल्य हैं। भारत […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अपनी वीरता के कारण बालक त्यागमल बन गया था तेगबहादुर

भारतीय वीर परंपरा का मूल स्रोत पंजाब की गुरूभूमि के प्रति औरंगजेब और उसके अधिकारियों की कोप-दृष्टि बढ़ती ही जा रही थी। पर पंजाब की गुरू परंपरा जनता में औदास्यभाव को समाप्त कर स्वराज्य भाव की ज्योति को ज्योतित किये जा रही थी। मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा है :- ”आने न दो अपने निकट औदास्यमय […]

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अन्य

नेट निरपेक्षता की मुश्किलें

राहुल लाल ट्रंप प्रशासन ने पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन के एक और फैसले नेट निरपेक्षता (नेट निरपेक्षता) को पलट दिया है। ओबामा के बहुचर्चित नेट निरपेक्षता कानून के विरोध में अमेरिका के नियामकों ने भारतीय समयानुसार शनिवार (16 दिसंबर) को वोट किया। संघीय संचार आयोग ने 3-2 के बहुमत से 2015 के नेट निरपेक्षता कानून को […]

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