देवेन्द्र सिंह आर्य मानव का खानपान बदल गया, रहन-सहन बदल गया, चाल-चलन बदल गया, मानव की मान्यताएं बदल गयीं और बदल गया मानव का स्वभाव। जैसे-जैसे मानव मूल्यों में हृास हुआ मानव पतनोन्मुख होता चला गया मानव नाम प्राणी के अजीब-अजीब चेहरे मिलते हैं। मानव के पतन का सिलसिला अभी और चलना चाहिए या इस […]
Month: July 2015
दर्शन मतलब स्वयं दृश्य हो जाना
सद्गुरु जग्गी वासुदेव यदि आप किसी चीज को देखते हैं और उसकी छाप संपूर्णता में चाहते हैं और यदि आप खुद को कम कर लेते हैं तो आप महसूस करेंगे कि जो कुछ आप देख रहे हैं, वह धीरे-धीरे बढऩा शुरू हो जाता है और फिर वह जीवंत हो जाता है। दर्शन शब्द का मतलब […]
अशोक प्रवृद्ध भारतीय संस्कृति और दर्शन की परम्परा से गृहीत भारतीय वाङ्मय में गुरु को ब्रह्म से भी अधिक महत्व प्रदान किया गया है ।गुरु को प्रेरक, प्रथम आभास देने वाला, सच्ची लौ जगाने वाला और कुशल आखेटक कहा गया है, जो अपने शिष्य को उपदेश की वाणों से बिंध कर उसमें प्रेम की पीर […]
स्वामी विवेकानंद, जिंदगी को बहुत ही अध्यात्मिक तरीके से जीना पसंद करते थे। उनकी दिनचर्या पर गौर किया जाए तो उनका हर एक कार्य दुसरे से हटकर और विशेष होता था। आइए जानते है उनके जीने के मुख्य सफल सूत्र… स्वयं के प्रति ईमानदार रहें। खुद पर यकीन रखेंगे तो दुनिया जीत सकते हैं। इस […]
डॉ. अश्विनी महाजन भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आर्थिक, सामाजिक और जाति की गणना के आंकड़े हाल ही में प्रकाशित किए गए हैं। ये आंकड़े भारत में गरीबों की वर्तमान दुर्दशा की कहानी बयान कर रहे हैं। चिंता का विषय केवल यह नहीं है कि गरीबों की हालत खराब है, बल्कि […]
जन-गण-मन मंगलदायक जय हे
नीलाक्ष विक्रम राष्ट्रगान के एक शब्द अधिनायक को लेकर नई बहस शुरू है। बहस और अदालती मामले पहले भी सुर्खियां बने हैं। इस बार राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर बैठे दो लोगों में इस मुद्दे पर मतभिन्नता है। अधिनायक शब्द हटाने या न हटाने को लेकर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह और त्रिपुरा के राज्यपाल […]
मुम्बई हमले की पहली बलि चढी याकूब मेनन की
अशोक प्रवृद्ध सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा फांसी की सजा बरकरार रखे जाने के बाद 30 जुलाई गुरुवार की सुबह 1993 में हुए मुम्बई बम धमाकों के मामले में दोषी पाए गए याकूब मेमन को नागपुर की जेल में जेल आईजी, जेलर, मजिस्ट्रेट, डॉक्टर, जल्लाद के अतिरिक्त दो गवाह, दो कांस्टेबल मौजूदगी में फांसी दे दी […]
इनके संयोग से जन्म लिया, इनमें ही होना है विलीन। जीव, ब्रह्मा, प्रकृति, अजर है, सृष्टि की ये शक्ति तीन। है अरबों सौर परिवार यहां, उन पर भी जीवन संभव है। किंतु अपना विस्तीर्ण ब्रह्माण्ड, ये कहना अभी असंभव है। बोलो सूरज चंदा बोलो, तुम से भी बड़े सितारे हैं। सृष्टि से प्रलय, प्रलय से […]
हम भारतीय जब किसी दुर्दांत आतंकवादी संगठन की ओर से की गयी किसी दुखद घटना को निकट से देखते हैं तो उस पर हमें इतना दुख होता है कि उस घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति या संगठन को हम तुरंत फांसी दे देना चाहते हैं। पर उसी घटना को करने वाले किसी व्यक्ति को […]
घृणा, ईष्र्या, हिंसा, शत्रु, जिनको गले लगाता है।प्रेम, त्याग, सहचर्य, अहिंसा, मित्रों से नाक चढ़ाता है। घृणा है जननी युद्घों की, जो करती सृष्टि का अनिष्ट।जब हृदय में ये पनप उठे, तो काटती है संबंध घनिष्ठ। ये प्रेय मार्ग का गह्वर है, जिसे तू समझ रहा आनंद।घृणा पीओ, प्रेम को बांटो, कह गये ईशा और […]