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प्रमुख समाचार/संपादकीय

भारत मे गाय काटने का इतिहास

अंग्रेज़ बहुत चालक थे ! किसी भीगलत काम को करने से पहले उसको कानून बना देते थे फिर करते थे और कहते थे हम तो कानून का पालन कर रहे हैं !!भारत मे पहला गौ का कत्लखाना 1707 ईस्वी ने रॉबर्ट क्लाएव ने खोला था और उसमे रोज की 32 से 35 हजार गाय काटी […]

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अन्य कविता

धृतराष्ट्र को चेतावनी

भरते-भरते घडा़ पाप का,कही भर गया तो क्या करोगे?मरते हो तुम जिसपे इतना ज्यादा,वही मर गया तो क्या करोगे?नजर से तुम्हारी हटे ये नजर,नजर मे तुम्हारी नूरे नजर।।वैसे विधाता ने छीनी नजर,पराई अमानत पर फिर भी नजर।।जरते-जरते भतीजों पे अपने,सभी जल गया तो क्या करोगे?स्वयं खोदते काहे अपनी कबर,उसे काटते काहे बैठे जिस डाल पर।।विषघर […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती भाग-64

धर्मानुरागी को चाहिए, तज दे वचन कठोरगतांक से आगे….शठ-धूर्त, दुष्टनिष्ठुर-कठोर हृदय वाला, दया रहित दन्द शूक-मर्म स्थान पर चोट करने वाला। स्वार्थ जिद अहंकार से,टूटते हैं परिवार।क्षमा समन्वय प्रेम से,खुशहाल रहें परिवार ।। 729 ।। पुण्य प्रार्थना रोज कर,इनको कल पै न छोड़।डाली पै लटका आम तू,कब ले माली तोड़ ।। 730 ।। असूया कभी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

दलकी-मलकी की दलदल में फंस गया था बलबन

युग धर्म में आया परिवर्तनजैसी परिस्थितियां होती हैं-वैसा ही युग धर्म बन जाया करता है। जब भारत वर्ष में शांति का काल था, सर्वत्र उन्नति और आत्मविकास की बातें होती थीं तो यही देश जीवेम् शरद: शतं-का उपासक था। तब यहां शतायु होने का आशीर्वाद मिलता भी था और दिया भी जाता था। परंतु जब […]

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राजनीति

सफलता के आगे विफलता बेबस, मोदी सरकार ने पूरे किए 100 दिन

मोदी सरकार ने 3 अगस्त को 100 दिन पूरे कर लिए। बीते 100 दिन भारतीय जनता के लिए बड़ी उम्मीदों और आशा पर टिका हुआ था क्योंकि यूपीए के 10 साल के कार्यकाल में घोटालों की संख्या, भ्रष्टाचार व महंगाई चरम पर पहुँच गयी थी। इन सबसे मुक्ति पाने के लिए ही जनता ने भाजपा […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

हमेशा बने रहने चाहिएं बुराई करने वाले निंदक

आजकल आम आदमी से लेकर बड़े से बड़ा आदमी और किसी से परेशान भले न हो, अपनी बुराई और निंदा करने वालों से हैरान जरूर रहने लगा है। अधिकांश लोगों के तनाव की मूल वजह यही है। अधिकतर लोगों को लगता है कि चाहे वे कितने ही अच्छे हों, कितने ही अच्छे काम करते हों, […]

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राजनीति

वाह प्रधानमंत्री जी ! कमाल कर दिया आपने

देश के भविष्य से सीधे रूबरू होकर हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी ने कमाल ही कर दिया। देश भर के बच्चों से मुखाबित होते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह से भारतीय इतिहास, वर्तमान, सम सामयिक हालातों, भविष्य की संभावनाओं और आम आदमी से लेकर दुनिया में भारत की अग्रणी पहचान बनाने के बारे में जो […]

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महत्वपूर्ण लेख

शिक्षक अपने सामथ्र्य को पहचानें

किसी भी देश के लिए जितना शिक्षक महत्वपूर्ण होता है उतना और कोई नहीं। सभी प्रकार के दायित्वों में आरंभिक नींव है तो वह शिक्षक ही है। शिक्षक अपने आप में ऎसा विराट शब्द है जिसे आत्मसात करना मामूली नहीं है। फिर जो इसका अर्थ समझ लेते हैंउनके लिए दुनिया के सारे काम-काज गौण हो […]

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महत्वपूर्ण लेख

शिक्षा के बाजारीकरण से लुप्त हो रहा गुरू-शिष्य प्रेम

निर्भय कुमार कर्ण शिक्षक और छात्र के बीच प्रथम दृष्टतया अनुशासनात्मक संबंध होता है। शिक्षण व्यवस्था में शिक्षक और छात्र दोनों की अहम भूमिका है। दोनों आपस में एक गति और लय से आगे बढ़े, तभी विकास संभव है।देखा जाए तो जब तक अनुशासन परस्पर कायमरहता है तब तक शिक्षक और छात्र के बीच का […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

क्या कहा जाए? गुरुजी या टीचर

राष्ट्रनिर्माता के रूप में शिक्षकीय भूमिका को कोई नकार नहीं सकता। जिन बुनियादी तत्वों से समाज और देश बनता है उसकी मजबूत इकाई शिक्षक के पास होती है और उसी के हाथ में होता है कि वह परमाण्वीय क्षमताओं से युक्त नई पौध को किस प्रकार के साँचे में ढालता है। राष्ट्र निर्माण की इकाई […]

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