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महत्वपूर्ण लेख

विश्व हिन्दू परिषद के पचास वर्ष

दुनिया भर में रहने वाले हिन्दू समाज की पिछले सौ साल में स्पष्ट ही दो श्रेणियाँ हो गईं हैं । हिन्दुस्तान का हिन्दू समाज और हिन्दोस्तान से बाहर रहने वाला हिन्दू समाज । हिन्दोस्तान के बाहर रहने वाला हिन्दु समाज वह है जिसे भारत के यूरोपीय विदेशी शासकों ने लालच देकर एशिया और अफ़्रीका के […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

श्राद्ध के नाम पर ढोंग न करें पितरों को श्रद्धा से करें तृप्त

श्राद्ध पर्व पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता ज्ञापन का पर्व है और इसमें जितनी अधिक मन से श्रद्धा अर्पित की जाती है उतना ही पितरों का आशीर्वाद हमें प्राप्त होता है और यह हमारे सम्पूर्ण जीवन में सफलताओं के लिए दिशा-दृष्टि एवं संबलन प्रदान करने का काम करता है।पिछले कुछ समय से हमारे भीतर […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

काशी अगर मोक्ष नगरी है तो वृन्दावन गौलोक -धाम है

आज हम कुछ खास बात बताएँगे जो शायद बहुत कम लोगो को मालूम हो ! सनातन शास्त्रों के गहन अध्यन से मालूम पड़ता है, की भगवान श्री कृष्ण हर कल्प में अवतार लेते है।इस कल्प के इसबार के द्वापर युग में भगवान विष्णु ही 16 कलाओं से सज्जित होकर श्री कृष्ण के रूप में अवतरित […]

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साक्षात्‍कार

चांदमियां से बना ‘सांईबाबा’ हमारा भगवान नही हो सकता

आचार्य अजय गौतम वह नाम है जो सांई विरोधी आंदोलन की एक मजबूत कड़ी के रूप में अपना नाम स्थापित कर चुके हैं। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 160 किलोमीटर दूर कबर्धा में सांई विरोध में एक  धर्म संसद का आयोजन किया गया। जिसमें श्री गौतम ने बढ़ चढक़र भाग लिया। उन्होंने […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-30

गतांक से आगे…..सृष्टि के यही लाखों पदार्थ अपने अपने गुणों और क्रियाओं से अपनी संज्ञा अर्थात अपना नाम आप ही आप चुनकर पुकारने लगते हैं और आज हम इन्हीं सब पदार्थों के व्यवहारों से उत्पन्न हुए लाखों शब्द बोलते हैं।यह मनुष्य बड़ा गंभीर है। इस वाक्य में बड़ा और गंभीर ये दोनों शब्द कहां से […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

गोरक्षा राष्ट्र रक्षा है और गोहत्या राष्ट्र.हत्या है-2

मनमोहन कुमार आर्यसंसार में तीन पदार्थ अनादि हैं ईश्वर जीव व सृष्टि। जीवात्मा का स्वरूप सत्यए चेतन अल्पज्ञ एकदेशी सूक्ष्म आकार रहित जन्म.मरण धर्म शरीर को धारण करना अपने ज्ञान व अज्ञान के अनुसार अच्छे व बुरे कर्म करना ईश्वर उपासना अग्निहोत्र करना माता.पिता.आचार्यों व अतिथियों की सेवा सत्कार आज्ञा पालन आदि का करना है। […]

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महत्वपूर्ण लेख

अरब की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति और भारत

अरब देश का भारत, भृगु के पुत्र शुक्राचार्य तथा उनके पोत्र और्व से ऐतिहासिक संबंध प्रमाणित है, यहाँ तक कि “हिस्ट्री ऑफ पर्शिया” के लेखक साइक्स का मत है कि अरब का नाम और्व के ही नाम पर पड़ा, जो विकृत होकर “अरब” हो गया। भारत के उत्तर-पश्चिम में इलावर्त था, जहाँ दैत्य और दानव […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

हे भगवान ! तुम्ही दो कमा कर

धर्म, कर्मकाण्ड, भक्ति और सेवा-पूजा के नाम पर हमने भगवान के पैसों को भी नहीं छोड़ा है। हम कैसे भक्त हैं जो अपनी कमायी का एक धेला भी खर्च करना नहीं चाहते हैं और भक्त कहलाने का लोभ भी संवरण नहीं कर पाते हैं। भक्ति और धर्म के नाम पर हम साल भर में जो-जो […]

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महत्वपूर्ण लेख

जम्मू कश्मीर में हिन्दुओं के अस्तित्व का यक्ष प्रश्न-9

गतांक से आगे….. शिमला  समझौते की भावना के अनुसार कश्मीर के उस क्षेत्र पर पाक के नियंत्रण को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर लिया गया जो उसने 1948 में कबालियों के माध्यम से कब्जे में कर लिया था। इस समझौते से भारत का वह प्रतिवेदन भी निरस्त हो जाता है जो उसने संयुक्त राष्ट्र संघ […]

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संपादकीय

हम उस देश के वासी हैं…

भारत के गौरव पर प्रकाश डालते हुए मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया: व्हाट कैन इज टीच अस’ में लिखा है-‘‘यदि मैं विश्वभर में से उस देश को ढूंढने के लिए चारों दिशाओं में आंखें उठाकर देखूं जिस पर प्रकृति देवी ने अपना संपूर्ण वैभव, पराक्रम तथा सौंदर्य खुले हाथों लुटाकर उसे पृथ्वी का स्वर्ग बना […]

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