*राष्ट्र-चिंतन* *विष्णुगुप्त* इस बार का केन्द्रीय बजट छह स्तंभों पर आधारित है। पहला स्तंभ है स्वास्थ्य और कल्याण, दूसरा भौतिक-वित्तीय पूंजी, तीसरा समावैशी विकास, चैथा मानव पूंजी का संचार करना , पाचवां नवाचार व अनुंसंधान और छठा न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन। किसानों की खुशहाली की व्यवस्था को केन्द्रीय सरकार अपनी बजट की विशेषताएं बता […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
प्रणव प्रियदर्शी बार-बार निर्वाचित हो रहे अति लोकप्रिय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के राज में कोई ऐसा भी व्यक्ति है जो उनके लिए खतरा बन सकता है, इसका अंदाजा दुनिया को पिछले हफ्ते तब हुआ जब रूस के एक विपक्षी नेता अलेक्सी नवाल्नी पांच महीने विदेश में बिताने के बाद स्वदेश लौटे और उन्हें एयरपोर्ट […]
_-राजेश बैरागी-_ उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव श्री योगेन्द्र नारायण से 1998 में मेरे द्वारा यह जानने की अपेक्षा की गई थी कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार गौतमबुद्धनगर में सिकंदराबाद को भी मिलाकर एक औद्योगिक जनपद का स्वरूप देने जा रही है? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसी कोई योजना फिलहाल […]
INDIA FIRST से साभार कहते हैं कि ‘जब सियार की मौत आती है, शहर की ओर भागता है’ जो जनवरी 29 को इजराइल दूतावास के पास किये धमाके ने साबित कर दिया है। विश्व में इजराइल ही एक ऐसा देश है, जो मुस्लिम देशों से घिरा होना के बावजूद किसी से नहीं डरता। क्योकि उसके […]
जे सुशील क्या मैं अकेला हूं जिसे अमेरिका की बदलती राजनीति में पोएट्री और पोएटिक जस्टिस दिख रहा है? हो सकता है मैं अकेला न होऊं ऐसा सोचने में, पर अकेले अपने लैपटॉप पर जोसफ बाइडन और कमला हैरिस को पदभार ग्रहण करते देखकर एक काव्यात्मकता का अनुभव जरूर हुआ है। इस कार्यक्रम से ठीक […]
एन के दुबे यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सिखों की ओर से ‘किला फतह’ की बात कही जाती है। सिख इतिहास बताता है कि सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर, बाबा बघेल सिंह, जस्सा सिंह आहलूवालिया और जस्सा सिंह रामगढ़िया ने मुगलों को कड़ी टक्कर देते हुए उन्हें शिकस्त दी थी। लाल किले […]
राकेश सैन गांधी जी का विचार था कि अपवित्र साधन व मार्ग से कभी पवित्र लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन खालिस्तान व नक्सलवाद की अवैध संतान मौजूदा किसान आंदोलन प्रारम्भ से ही पवित्रता की विपरीत धुरी पर खड़ा दिखाई दिया। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को अगर आंदोलन मान […]
संतोष उत्सुक महात्मा गांधी अज़ीम शख्सियत हैं। विदेशों में उनकी अनगिनत प्रतिमाएं हैं। वहां वैसे भी सभी चीज़ों को पूरा साल संभाल कर रखने की संस्कृति है। पिछले वर्ष कोरोना संबंधी परेशानी हुई वरना हमारे यहां भी हर साल दो अक्टूबर से पहले उनकी मूर्तियां साफ़ करवाने की रिवायत है। कुछ समय पहले मुझे डलहौजी […]
आशीष कुमार इस लिहाज से अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में जीडीपी में 11 फीसदी की विकास दर देखने को मिल सकती है। हालांकि यह अनुमानित विकास दर माइनस 7.7 फीसदी के काफी निचले बेसमार्क पर आधारित है, फिर भी एक साल के लिए यह काफी ऊंची छलांग मानी जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा […]
निर्मल रानी वैसे तो हमारे पौराणिक शास्त्रों में जिस तरह अनेक देवियों,उनके जीवन,उनके कार्यकलापों,अदम्य साहस तथा उनके वैभव का उल्लेख किया जाता उससे तो यही प्रतीत होता है कि महिलायें हमेशा से ही निर्भीक,निडर,साहसी तथा पुरुषों की ही तरह सब कुछ कर गुजरने की क्षमता रखने वाली रही हैं। अन्यथा आज उन देवियों की पूजा […]