(विश्वकर्मा दिवस के शुभ अवसर पर प्रकाशित) परमपिता परमात्मा की कल्याणी वाणी वेद के “विश्वकर्म्मा” शब्द से ईश्वर,सूर्य, वायु, अग्नि का ग्रहण होता है। प्रचलित ऐतिहासिक महापुरुष शिल्पशास्त्र के ज्ञाता विश्वकर्मा एवं वेदों के विश्वकर्मा भिन्न हैं। इस लेख के माध्यम से दोनों में अंतर को स्पष्ट किया जायेगा। निरूक्तकार महर्षि यास्क विश्वकर्मा शब्द का […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
नीलांजन मुखोपाध्याय गुजरात में अचानक विजय रूपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्पष्ट छाप दिखती है। मोदी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद उन्होंने पहले राज्य की सरकार चलाई और अब देश की सरकार चला रहे हैं। इस दौरान बीजेपी में कई रणनीतिक […]
प्रीटी भोपाल की ताजउल मस्जिद देखने योग्य है। यह मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है। इसके पास ही दिसंबर माह में विश्व मुस्लिम शांति सम्मेलन ‘इस्तिमा’ का मेला लगता है जिसमें दुनिया भर के मुसलमान शरीक होते हैं। खुले वन्य परिक्षेत्र में घूमते सफेद शेर और मुगल काल की पुरानी तहजीबों से […]
अजय कुमार हाल यह है कि प्रियंका जहां भी पहुंचती हैं, वहां भीड़ तो खूब जुट जाती है, लेकिन इस भीड़ में वह लोग ज्यादा होते हैं जो प्रियंका की कांग्रेस को वोट देने नहीं, उनका चेहरा देखने आते हैं। यह सच है कि तमाम राजनैतिक लड़ाइयां चेहरों के बल पर ही जीती जाती हैं। […]
आचार्य श्री विष्णुगुप्त मैं एक पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केन्द्रीय मंत्री के विचार को सुन कर दंग रहा गया। उनसे मैंने मुसलमानों और ईसाइयों के नंगा नाच और हिन्दुओं के उत्पीड़न पर उनकी राय जानना चाही थी और थोड़ी शिकायत भी थी कि आप लोग हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम क्यों […]
लेखक :- डॉ. ओमप्रकाश पांडेय (लेखक अन्तरिक्ष विज्ञानी हैं) भारतीय परम्परा में वेद को ब्रह्माण्डीय ज्ञान के मूल स्रोत के रूप में स्वीकार करते हुए इसे ईश्वर का नि:श्वास ही माना गया है (यस्य नि:श्वसितं वेदा यो वेदोभ्योऽखिलं जगत्)। यद्यपि वेदों का प्रतिपाद्य विषय सार्वभौमिक उत्कृष्टता के समुच्चय से ही संबंधित है, जिसे देश या […]
आलोक शुक्ला बारिश का पानी संरक्षित करने के लिए कृत्रिम झीलों का निर्माण कर वर्षा जल का बचाया जा सकता है मगर इस बात की सख्ती बरतनी होगी कि इन साफ पानी वाली कृत्रिम झीलों में किसी भी तरह के गंदे नाले व औद्योगिक कचरे को बिल्कुल न बहाएं। गांवों, कस्बों के पुराने तालाबों को […]
भरत झुनझुनवाला अमेरिका और भारत समेत अन्य पश्चिमी देशों द्वारा तालिबान की भर्त्सना यह कहकर की जा रही है कि उनके द्वारा वैयक्तिक स्वतंत्रता विशेषकर महिलाओं की स्वतंत्रता का आदर नहीं किया जाता है और वे लोकतंत्र के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य को नहीं मानते। नि:संदेह तालिबानी कई तरह से अपनी जनता के साथ क्रूर व्यवहार करते […]
शकील अख्तर ऐसा नहीं है कि राहुल प्रियंका को वहां की हकीकत से लोगों ने आगाह नहीं करवाया हो। मगर किसी के खिलाफ भी कार्रवाई करने में ये लोग इतनी देर लगाते हैं कि तब तक खेल हो चुका होता है। अभी जी-23 के बागी नेताओं का उदाहरण सबके सामने हैं। खुले आम बगावत के […]
उमेश चतुर्वेदी यह संयोग ही है कि जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी में जुटा है, तभी जातीय जनगणना को लेकर राजनीति तेज हो गई है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर जाति को लेकर हमारे स्वाधीनता सेनानी क्या सोच रहे थे। इसी संदर्भ में महात्मा गांधी के उस […]