विवेक काटजू प्रवासी भारतीय दिवस से जुड़े सम्मेलन में गत 9 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारतीय लोकतंत्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण वास्तविकताओं पर प्रकाश डाला। चूंकि कुछ दिन बाद ही देश अपने गणतंत्र की वर्षगांठ मनाने जा रहा है तो इन तथ्यों की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। मोदी ने […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
रमेश ठाकुर सवाल उठता है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट होने के बाद भारत से कैसे रहेंगे रिश्ते? इसको लेकर भारत सरकार का चिंतित होना स्वाभाविक भी है। जिस देश ने दुर्दांत सोच और लाचार सिस्टम को संभालने में इतनी मेहनत की लेकिन अचानक उस पर पानी फिर गया। बामुश्किल भारत के अथक प्रयासों से […]
ललित गर्ग कोरोना महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में आर्थिक क्षेत्र में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन इन सब स्थितियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट के माध्यम से देश को स्थिरता की तरफ ले जाते दिखाई पड़ रहे हैं। भारत भविष्य की आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना […]
साल 2021 का पहला आम बजट पेश हो गया। इस बजट से देश को बड़ी उम्मीद रहीं क्योंकि देश कोरोना महामारी का सामना करते हुए एक बार फिर तेज दौड़ लगाने की तैयारी में है। आजादी के बाद यह पहला मौका बताया जा रहा है जब हर शख्स दबाव में है। वैसे देश का पहला […]
अभिनव प्रकाश पिछले कुछ दशकों में अर्थव्यवस्था और समाज में भारतीय राज्य की भूमिका के बारे में सार्वजनिक विमर्श एक गलत परिपाटी पर चला गया है। नेहरूवादी राज्य और समाजवादी नीतियों की विफलता ने सरकार और विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध एक प्रतिक्रिया को उत्पन्न किया। लाइसेंस-कोटा परमिट राज, अक्षम नौकरशाही और बेलगाम […]
भारत के संदर्भ में लेफ्ट-राइट की शातिराना पोजीशनिंग ने सत्ता के साथ रखने के सच के बीच भी खुद को वामपंथी कहा : और जो तपका असल में सर्वहारा समाज के साथ और सत्ता के हमेशा खिलाफ रहा वह राष्ट्रवाद है, जिसे उन्होंने दक्षिणपंथ नाम दिया। शब्द बौद्धिक माओवाद उर्फ़ अर्बन नक्सल चाल का नतीजा […]
*राष्ट्र-चिंतन* *विष्णुगुप्त* इस बार का केन्द्रीय बजट छह स्तंभों पर आधारित है। पहला स्तंभ है स्वास्थ्य और कल्याण, दूसरा भौतिक-वित्तीय पूंजी, तीसरा समावैशी विकास, चैथा मानव पूंजी का संचार करना , पाचवां नवाचार व अनुंसंधान और छठा न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन। किसानों की खुशहाली की व्यवस्था को केन्द्रीय सरकार अपनी बजट की विशेषताएं बता […]
प्रणव प्रियदर्शी बार-बार निर्वाचित हो रहे अति लोकप्रिय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के राज में कोई ऐसा भी व्यक्ति है जो उनके लिए खतरा बन सकता है, इसका अंदाजा दुनिया को पिछले हफ्ते तब हुआ जब रूस के एक विपक्षी नेता अलेक्सी नवाल्नी पांच महीने विदेश में बिताने के बाद स्वदेश लौटे और उन्हें एयरपोर्ट […]
_-राजेश बैरागी-_ उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव श्री योगेन्द्र नारायण से 1998 में मेरे द्वारा यह जानने की अपेक्षा की गई थी कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार गौतमबुद्धनगर में सिकंदराबाद को भी मिलाकर एक औद्योगिक जनपद का स्वरूप देने जा रही है? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसी कोई योजना फिलहाल […]
INDIA FIRST से साभार कहते हैं कि ‘जब सियार की मौत आती है, शहर की ओर भागता है’ जो जनवरी 29 को इजराइल दूतावास के पास किये धमाके ने साबित कर दिया है। विश्व में इजराइल ही एक ऐसा देश है, जो मुस्लिम देशों से घिरा होना के बावजूद किसी से नहीं डरता। क्योकि उसके […]