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भारतीय संस्कृति

वैलेंटाइन डे और भारत की परंपरा

बालमुकुंद आखिर वैलंटाइन डे आ पहुंचा। यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है। यह ल्यूपरसेलिया नामक एक प्राचीन रोमन त्योहार है, जो 14 वीं शताब्दी तक आते-आते प्रेम की अभिव्यक्ति के दिन में बदल गया। यहां वह अब इतना प्रचलित हो चला है कि संस्कृति के रक्षकों को पहरेदारी करनी पड़ती है। लेकिन भारत में […]

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मुद्दा

उत्तराखंड में घटी घटना की ओर संकेत कर रही है?

अनिल पी जोशी चिपको आंदोलन की जमीन रैणी और लाता में ऋषिगंगा नदी पर बने बांध का बह जाना कई सवाल खड़े करता है। पहला सवाल तो यही बनता है कि क्या हिमालय से जुड़े गाद-गदेरों और नदियों को बांधों की कतारों से बांध देना उचित है? और अगर हमने ऐसा किया है तो क्या […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महाराजा सूरजमल जाट : 13 फरवरी जन्म दिवस पर विशेष

मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से […]

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राजनीति

लोकसभा में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने दिखाया अपना असली रूप

कांग्रेस कब राहुल गाँधी को राजनीति की शिक्षा देगी, अगर परिवार की गुलामी इस बात की आज्ञा नहीं दे रही, निश्चित रूप से कांग्रेस का डूबना निश्चित है। अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को ‘पलटीमार’ की महारत थी, लेकिन फरवरी 11 को लोकसभा में केजरीवाल को भी पीछे छोड़ दिया। जो बजट पर […]

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मनु और भारत की जातिवादी व्यवस्था विविधा

दूध का दूध और पानी का पानी

6 दिसंबर 1956 को माननीय डा. अंबेडकर जी का देहावसान हुआ । कानपुर के वैदिक गवेषक पंडित शिवपूजन सिंह जी का चर्चित ‘भ्रांति निवारण’ सोलह पृष्ठीय लेख ‘सार्वदेशिक ‘ मासिक के जुलाई-अगस्त 1951अंक में उनके देहावसान के पांच वर्ष तीन माह पूर्व प्रकाशित हुआ । डा. अंबेडकर जी इस मासिक से भलीभांति परिचित थे और […]

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राजनीति विविधा समाज

प्रश्नों से परे है भारतभक्ति

देश में एक बहस प्रारम्भ करने की कोशिश की गई है, किसका भारत चाहिए, गांधी का या भागवत का? मुझे लगता है कि एक बेमानी बहस बेईमान मानसिकता के साथ शुरू की जा रही है। भारत को बनाने की बात की जाती है तो जिन महापुरुषों के कारण आज भारत सनातन बना हुआ है उनको […]

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धर्म-अध्यात्म

बढ़ें राममंदिर से रामराज्य की ओर

रवि शंकर पाँच सौ वर्ष से अधिक के संघर्ष के बाद अयोध्या में अंतत: भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। निश्चित ही यह एक शुभ संकेत है। वर्ष 2020 हालाँकि कोरोना के कारण काफी खराब माना जा रहा है, परंतु यदि हम भारत में हुए कुछेक राजनीतिक तथा सांस्कृतिक निर्णयों को […]

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Uncategorised

भारत को अगर जानना है तो यूरोपियन चश्मा उतारना ही होगा

जवाहर लाल कौल भारत को कैसे समझें, यह प्रश्न प्रायः पूछा जाता है। लेकिन इस विषय पर अनंत बहस चलने के बावजूद कोई सार्थक उत्तर नहीं मिल पाता। वास्तव में इस प्रश्न की आवश्यकता ही नहीं होती यदि हम यह जानने का प्रयास करते कि हम अब तक किन मापदण्डों से स्वयं को और अपनी […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत की वास्तुकला संसार के लिए आज भी कौतूहल का विषय है

वास्तु ! भारत की अद्भुत देन 📚 देश ही नहीं, अब दुनिया में भी एक आवश्यकता हो गया है भारतीय वास्तु शास्त्र। मिस्र, मारिशस, कम्बोडिया आदि के साथ रूस में भारतीय वास्तु शास्त्र के पठन पाठन और अभ्यास की खास चेतना जागी है। फेंगशुई के चक्र को निराधार समझ कर भारतीय ज्ञान विरासत पर वैश्विक […]

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राजनीति

योग से परेशान कम्युनिस्ट

योग भारत की सॉफ्ट पावर है। दुनिया के कम्युनिस्ट भारत की इस योग वाली छवि को नष्ट करना चाहते हैं। परंतु दुनिया मे कम्युनिस्ट योग से बहुत डरते हैं और योग से अंतिम सीमा तक नफरत करते हैं। 21 जून को विश्व योग दिवस का भी कम्युनिस्टों ने कभी स्वागत नहीं किया। नमाज पढ़ने वाले […]

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