परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि 1612 में व्यापार के आवरण में भारत लूटने के मकसद से आयी ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहले बंगाल, फिर मैसूर और मराठाओं को पराजित कर भारत में बड़ी मजबूत पकड़ बना ली थी। तत्पश्चात कंपनी ने भारतीय राज्यों के साथ संधियां कर और उटपटांग कानून बना कर खूब सीमा विस्तार […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
नेतृत्व क्षमता और शासन व्यवस्था पर राज्यसभा सदस्य अनिल माधव दवे द्वारा लिखी गई पुस्तक शिवाजी व सुराज में मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी को एक कुशल राजनीतिज्ञ, एक कूटनीतिज्ञ और एक प्रकाशक के रूप में दिखाया गया है। पुस्तक में तत्कालीन प्रशासन से आज की शासन व्यवस्था का और उस समय के विभागों की तुलना […]
विष्णुगुप्त कन्हैया कुमार से कम्युनिस्टों की बहुत उम्मीद थी, कम्युनिस्टों ने कन्हैंया कुमार को अपना आईकॉन मान लिया था, मास लीडर मान लिया था, नरेन्द्र मोदी का विकल्प मान लिया था, अपने खोये हुए जनाधार और आकर्षण को फिर से प्राप्त करने की शक्ति मान ली थी। इतना ही नहीं बल्कि जब कभी कन्हैया कुमार […]
नरेंद्र नाथ पिछले कुछ महीनों से 2024 आम चुनावों में बीजेपी से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों की एकता की कोशिश चल रही थी। इसके लिए एक के बाद एक कई मीटिंग भी हुईं। ऐसा संदेश गया कि विपक्षी दल पिछली गलतियों से सीख लेते हुए इस बार एक मंच पर आएंगे और आपसी मतभेद […]
पुष्परंजन इस बार पाकिस्तान तड़प कर रह गया। तड़प इस वजह से कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में इमरान ख़ान को तुर्की-ब-तुर्की जवाब मिल गया। दूसरा, अफग़ानिस्तान को लेकर जो गुब्बारे पाकिस्तान ने फुलाये, वह भी यूएन में फुस्स हो गया। तालिबान शासन की ओर से यूएन महासचिव एंटोनियो गुटरस को पत्र भेजा गया था कि […]
कमलेश पांडेय बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट परियोजना की घोषणा की थी। जिसे लगभग सवा साल बाद फिलवक्त पीएम-डीएचएम के रूप में छह केंद्र शासित प्रदेशों में प्रारंभिक चरण में लागू किया जा रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी […]
संजय सक्सेना चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सरकार के संवैधानिक अधिकार सीमित हो जाते हैं। तब सरकार, कार्यवाहक सरकार के रूप में कार्य करती है और कोई नीतिगत निर्णय या किसी तरह की नई घोषणा करने का अधिकार उसके पास शेष नहीं रह जाता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग […]
सचवंत सिंह का दर्द 80 साल के सरदार सचवंत सिंह 73 साल पहले की कबाइलियों की आड़ में पाकिस्तानी सेना की उस दरिंदगी और अत्याचार को याद करते हुए कहते हैं कि मैंने झेलम में पानी नहीं, खून का दरिया देखा है। मेरी मां, मेरी बहन कबाइलियों के हमले में शहीद हो गईं। भाई एक […]
🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” किसी ने क्या ख़ूब कहा है कि सच्चाई छुप नहीं सकती, कभी बनावट के उसूलों से। के ख़ुशबू आ नहीं सकती, कभी बनावट के उसूलों से।। किसानों के स्वयंभू हितैषी बने श्रीमान राकेश टिकैत औऱ उनके भाई श्रीमान नरेश टिकैत पर यह शेर बिल्कुल सटीक बैठता है। […]
इतिहास की एक अविस्मरणीय दुर्घटना: मोहनदास करमचंद गांधी को समझने के लिए ये छोटा सा आर्टिकल बहुत है। गांधी जन्मजात हिन्दू विरोधी थे । १९२० में अचानक भारत की तमाम मस्जिदों से दो पुस्तकें वितरित की जाने लगी! एक पुस्तक का नाम था “कृष्ण तेरी गीता जलानी पड़ेगी”, और दूसरी पुस्तक का नाम था “उन्नीसवीं […]