भरत झुनझुनवाला वर्ष 2016 की तुलना में आज अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 3 गुना हो गए हैं। इसी के समानांतर अपने देश में पेट्रोल का दाम लगभग 70 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 100 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसका सीधा प्रभाव महंगाई पर पड़ता है। हमारे लिए यह मूल्य वृद्धि […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
अनूप भटनागर हमारी न्यायपालिका भले ही नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकारों और कार्यपालिका की कार्रवाई के खिलाफ उनकी वैयक्तिक स्वतंत्रता और हितों की रक्षा के बारे में बार-बार आश्वासन देती है लेकिन इसके बावजूद आज भी आम नागरिक अदालत के नाम से डरता है। आम नागरिकों में एक धारणा गहरे तक पैठ किये है कि […]
प्रस्तुति -श्रीनिवास आर्य भारत के राजनेताओं का यह कत्र्तव्य है कि वे चुनाव से पहले मतदाताओं को अर्थात् राष्ट्र को यह बतलाएँ कि उनकी दृष्टि में भारत का बल क्या है और भारत की निर्बलता या कमजोरी क्या है? साथ ही बल को बढ़ाने के लिए और कमजोरी को खत्म करने के लिए कौन से […]
विमल भाई नदियां हमारी संस्कृति और सभ्यता की प्रतीक हैं। पूरी दुनिया में सभ्यताएं नदियों के किनारे ही विकसित हुईं हैं। मानव सभ्यता के विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे देश में तो नदियों को पूजने की परंपरा रही है। हमारे यहां कहा गया है कि गंगा के जल से यदि आचमन भर कर […]
उगता भारत ब्यूरो अखंड भारत पर अंग्रेजों, पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों ने पहले व्यापार के माध्यम से अपनी पैठ जमाई फिर यहां के कुछ क्षेत्रों को सैन्य बल और नीति के माध्यम से अपने पुरअधीन करने का अभियान चलाया। अंग्रेजों के आने के पहले भारत के अधिकांश भू-भाग पर जाट छत्रियों, राजपूतों, सिखों और दक्षिण के […]
प्रो. भगवती प्रकाश अथर्ववेद के वाणिज्य सूक्त सहित यजुर्वेद, अथर्ववेद व ऋग्वेद वैदिक काल में उद्योग-व्यवसाय क्षेत्र से जुड़ी शब्दावली का प्राचुर्य मिलता है। मात्र धन या पूंजी की पृथक प्रकृति होने पर पृथक शब्दावली का प्रावधान था। इसके अलावा सभी प्रकार के उद्यमों की स्थापना, संचालन व प्रबन्ध और उनसे सत्यनिष्ठा एवं नैतिकता के […]
अवधेश कुमार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जम्मू-कश्मीर से कार्यसमिति के सदस्य तारिक हामिद कर्रा ने जिस तरह सरदार पटेल की आलोचना करते हुए कहा कि कश्मीर पर वह उदासीन थे और यह कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने त्वरित पहल नहीं की होती तो वह पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता, उससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ […]
पं. प्रेमनाथ डोगरा. कश्मीर के भारत में विलय से लेकर आज तक कश्मीर में जो हालात हैं और जिस तरह से देशद्रोह भड़काने, कश्मीर की आजादी की बातें और पाकिस्तानी झण्डे लहराने की घटनाएं लगातार हो रही हैं, वे अत्यंत चिंताजनक हैं. ऐसे में याद आती है उस विभूति की जिसने डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी के […]
गाजियाबाद। (ब्यूरो डेस्क ) यह बेहद ही दु:खद है कि गांधीवादी दृष्टिकोण से किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे तथाकथित किसान नेता नारे और बयानबाजी तो करते हैं कि वह शांतिपूर्ण और समाधान एक दायरे के भीतर रहकर अपना आंदोलन चला रहे हैं परंतु उनके आंदोलन स्थलों पर जो कुछ होता रहा है या हो […]
भारत में कुछ मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम विद्वानों की ओर से समय-समय पर यह मांग उठाई जाती रही है कि भारतवर्ष में उनका पर्सनल ला शरीयत लागू होना चाहिए। इस पर कई हिंदूवादी संगठन आपत्ति करते रहे हैं कि जब भारत वर्ष में संविधान के अंतर्गत सब कुछ होना निश्चित है तो फिर किसी का […]