उगता भारत ब्यूरो जी हाँ, शास्त्रों में एक ऐसी भी विद्या है जिससे आप अपने pin को सुरक्षित और गोपनीय रख सकते हैं, उस विद्या का नाम है “कटपयादी सन्ख्या विद्या” कटपयादि संख्या हम में से बहुत से लोग अपना Password, या ATM PIN भूल जाते हैं इस कारण हम उसे कहीं पर लिख कर […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
प्रेम ,सेवा और त्याग , मानव जीवन का है राग . माया जनित अज्ञानता के विकारों के कारण हम इस मूल राग को भूल गये हैं . यही दुःख का कारण है . प्रेम अंतःकरण की खामोश चेतना है , जिसकी सर्वोत्तम अभिव्यक्ति मौन है . रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यूँ ही थोड़े कहा है कि […]
उगता भारत ब्यूरो जी हां ये सच है और ये सिर्फ मैं नहीं कह रहा बल्कि जनवरी 2017 में राहुल गांधी ने भी कही थी, जोकि एकदम सच है। RSS ने 1950 से ले कर 2002 तक तिरंगा नहीं फहराया । 1950 के बाद RSS ने तिरंगा फहराना बंद कर दिया? आज़ादी के बाद संघ […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-9 नरेन्द्र सहगल भारत में अपनी जड़ें जमा चुके ब्रिटिश साम्राज्यवाद को जड़-मूल से उखाड़ फेंकने के लिए देश और विदेश में भारतीय नवयुवकों ने सशस्त्र क्रांति की ज्वाला को एक भयंकर ज्वालामुखी के विस्फोट में बदलने के लिए गुरिल्ला सैन्य अभियान चलाने का निश्चय किया। […]
*राष्ट्र-चिंतन* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* =================== भाजपा को एक बार फिर नीतीश कुमार ने लात मारी, एक बार फिर भाजपा मूर्ख बन गयी। नीतीश कुमार के सामने भाजपा के बड़े-बड़े महाराथी और तिस्मारखां संस्कृति के नेता देखते रह गये और नीतीश कुमार भाजपा को एक झटके में जमीन पर पटक कर अपना अलग गठबंधन खड़ा कर […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-8 नरेन्द्र सहगल बीसवीं सदी के दूसरे दशक के प्रारंभ होते ही विश्वयुद्ध के बादल मंडराने लगे। इन बादलों ने भारत पर अपनी अधिनायकवादी हुकूमत थोपने वाले इंग्लैंड के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा दिया। देश और विदेश में सक्रिय भारतीय क्रांतिकारियों ने इस अवसर पर […]
*राष्ट्र-चिंतन* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* =================== चीन की अपेक्षा ताइवान बहुत ही छोटा और कमजोर देश है। चीन की आबादी जहां एक अरब चालीस करोड़ है वही ताइवान की आबादी दो करोड़ 45 लाख है। चीन का रक्षा बजट ताइवान की रक्षा बजट से करीब 15 गुणा है। ताइवान की अपेक्षा चीन के सैनिकों की संख्या […]
‘मनु’ नाम को लेकर वामपंथियों ने इतना दुष्प्रचार किया गया है कि लोग मनु नाम सुनते ही लोग नाक भौ सिकोड़ते है .. और तत्काल मनुवादी, कट्टर व पोंगा होने का तमगा दे देते हैं .. जबकि ऐसे लोगों को मनु की परंपरा के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं होता है .. मनुस्मृति और […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-6 नरेन्द्र सहगल सन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद देश में एक राजनीतिक लहर चली जिसमें अंग्रेजों से प्रार्थना, याचना तथा मांगने की प्रथा का माहौल बनने लगा। एक अंग्रेज ए. ओ. ह्यूम ने वास्तव में इसी उद्देश्य के लिए कांग्रेस की […]
भारत के कम्युनिस्ट हमेशा अपने मुंह मिया मिट्ठू बने रहते हैं। सबसे अधिक दोहरा चरित्र रखते हैं। दूसरों को फासीवादी बताते हैं। हिंदुओं को रात दिन गाली देते हैं। परन्तु मीडिया पर इनका नियंत्रण होने से इनका सच सामने नहीं आता। बंगाल मे 35 साल इनका शासन रहा। भारत मे सबसे अधिक सड़क पर सोने […]