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आज का चिंतन

आर्य समाज के प्रचारक तथा प्रचार कार्य

महर्षि दयानन्द सरस्वती के जीवन काल ( सन् १८८३ तक ) में उन संन्यासियों तथा प्रचारकों की संख्या बहुत कम थी , जो वैदिक धर्म के प्रचार तथा आर्यसमाजों की स्थापना में तत्पर हों । इस काल में आर्यसमाज का जो भी प्रचार व प्रसार हुआ , वह प्रायः महर्षि के ही कर्तृत्व का परिणाम […]

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भाषा

विश्व संस्कृत दिवस_____ *संस्कृत से ही संस्कृति बनती है*।

संस्कृत ईश्वरीय, देव वाणी है, संसार की सबसे प्राचीन समृद्ध वैज्ञानिक भाषा है ।नित वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को वर्ष 1969 से अपने देश में संस्कृत दिवस व संस्कृत सप्ताह का आयोजन हो रहा है…. संस्कृत सप्ताह संस्कृत दिवस से 3 दिन पूर्व 3 दिन पश्चात तक मनाया जाता है…. किसी भी भाषा का […]

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इतिहास के पन्नों से

आर्य ही आदिसंस्थापक, आदर्श मूल निवासी है भारतवर्ष के

_____________________________ अंग्रेजों ने भारत आगमन से ही सांस्कृतिक जहर घोलना शुरू कर दिया राम कृष्ण के वंशज भारत वासियों को आर्य द्रविड़ में बांट दिया कहा कि द्रविड़ आर्यों के भारत में आक्रमण से पूर्व उत्तर भारत में ही निवास करते थे आर्यों ने उन पर हमला कर उन्हें विंध्य के पार समुंद्र तटीय दक्षिण […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

पुनरुत्थान युग का द्रष्टा : महर्षि दयानन्द सरस्वती

—————————————— ऋषि दयानन्द के जीवन, कार्यों तथा उनके विचारों पर अनेक भारतीय तथा पाश्चात्य लेखकों ने समय-समय पर अपनी लेखनी चलाई है। पाश्चात्य लेखकों की कुछ सीमाएँ तथा पूर्वाग्रहग्रस्त दृष्टि अवश्य रही है, जबकि भारत के कुछ ऐसे लेखकों और विश्लेषकों ने, जो आर्यसमाज से औपचारिक रूप से कभी सम्बद्ध नहीं रहे, अपनी-अपनी दृष्टि और […]

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देश विदेश

मरे हुए को भी, मरा नहीं मानते* “

——————————————————— यह इंडोनेशिया के सोलवासी दीप के तोराजा जनजाति के लोग हैं| इंडोनेशिया में इस खास एथेनिक ग्रुप की 1100000 के लगभग आबादी है| तोराजा जनजाति में ‘मायने, नाम की प्रथा अजीबोगरीब डरावनी है…. इस जनजाति में जब कोई बाल युवा वृद्ध मरता है… उसे ताबूत में रखकर तत्काल दफन नहीं किया जाता….. मृतक देह […]

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आज का चिंतन

मनुष्य मांसाहारी या शाकाहारी?

हवा-पानी-भोजन सभी जीवधारियों के जीवन आधार हैं। हवा-पानी साफ हों प्रदूषित न हों, यह भी सर्वमान्य है। मनुष्य को छोड़ कर शेष सभी शरीरधारी अपने भोजन के बारे में भी स्पष्ट हैं उनका भोजन क्या है? यह कितनी बड़ी विड़म्बना है कि सबसे बुद्धिमान् शरीरधारी मनुष्य अपने भोजन के बारे में स्पष्ट नहीं है। मैं […]

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आज का चिंतन

दूसरों के साथ अपनी तुलना या मूल्यांकन नहीं करना चाहिए

18.7.2022 कुछ लोग कहते हैं कि “दूसरों के साथ अपनी तुलना या मूल्यांकन नहीं करना चाहिए।” यह तो उन विदेशी लोगों का विचार है, जो वैदिक विचारधारा को नहीं जानते। “वास्तव में यह बात बुद्धिमता पूर्ण नहीं है, और सत्य भी नहीं है। क्योंकि जब तक आप दूसरों से तुलना नहीं करेंगे, आपको जीवन में […]

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विविधा

प्रकृति का अनोखा वायु शोधक जीव नाग* “

____________________________________ संस्कृत की सृप् धातु से सांप शब्द सिद्ध होता है। जिसका अर्थ है भूमि के साथ साथ जाना या रेगने वाला जीव। संस्कृत भाषा व संस्कृत शब्दकोश बहुत विलक्षण वैज्ञानिक व्यापक है। सांपों की सैकड़ों प्रजातियों की बात करें तो प्रत्येक सांप, नाग नहीं हो सकता लेकिन प्रत्येक नाग सांप जरूर होता है। नाग […]

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स्वास्थ्य

ईश्वर की महिमा का सशक्त हस्ताक्षर हृदय’

________________________________ शरीर हाथी जैसा विशाल हो या चीटी जैसा छोटा, नभ मे उड़ने वाले परिंदे हो या जल में तैरने वाली मछलियां हृदय प्रत्येक उस जीव में धड़कता है, जिसका जीवन प्राण वायु ऑक्सीजन पर आधारित है। भगवान का प्रत्येक गढा हुआ जीव दिलदार है अर्थात हृदय का स्वामी है। हृदय अनूठा पंप है जो […]

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मुद्दा

मुसलमानों में जकात का महत्व

उगता भारत ब्यूरो ज़कात वह धनराशि है जो हर एक शांतिप्रिय समुदाय के व्यक्ति को देनी पड़ती है जब वह कमाने लायक हो जाता है अपनी साल भर की पूरी कमाई का ढ़ाई फीसदी 2.5% हिस्सा उसे ज़कात में देना होता है फिर सवाल आता है कि इस पैसे को कहां और क्यों दिया जाता […]

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