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भाषा

पुस्तक समीक्षा : अखिल भारतीय साहित्य परिषद का इतिहास

             यदि कुछ धार्मिक, पूजनीय, एतिहासिक ग्रंथों को छोड़ दिया जाये तो बहुत कम पुस्तकों के विषय मे यह कहा जा सकता है की यहपुस्तक व इसके लेखक एक दूजे के पर्याय है। या, यह कहा जा सकता है की यदि पुस्तक को इस लेखक ने नहीं लिखा होता तो कोई अन्य लेखक इस पुस्तक […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी विवेकानंद : भारत के विश्व पुरुष

स्वामी विवेकानंद जी ने भारत को व भारतत्व को कितना आत्मसात कर लिया था यह कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर के इस कथन से समझा जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि –‘यदि आप भारत को समझना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानंद को संपूर्णतः पढ़ लीजिये’। नोबेल से सम्मानित फ्रांसीसी लेखक रोमां रोलां ने स्वामी जी […]

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इतिहास के पन्नों से

संघ प्रवाह के समग्र साक्ष्य

प्रवीण गुगनानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रथम सरसंघचालक से लेकर अब तक के सभी यानि छहों संघ प्रमुखों के साथ जिन्होंने न केवल कार्य किया हो अपितु जीवंत संपर्क व तादात्म्य भी रखा हो ऐसे स्वयंसेवक संभवतः दो-पाँच भी नहीं होंगे। आदरणीय माधव गोविंद वैद्य ऐसे ही सौभाग्यशाली स्वयंसेवक थे। उनके देहांत पर अपने […]

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इतिहास के पन्नों से व्यक्तित्व समाज

बिरसा मुंडा जयन्ती आर्य -अनार्य विमर्श के अवसान का अवसर

  बिरसा मुंडा महान क्रांतिकारी थे, जनजातीय समाज को साथ लेकर उलगुलान किया था उन्होने। उलगुलान अर्थात हल्ला बोल, क्रांति का ही एक देशज नाम। वे एक महान संस्कृतिनिष्ठ समाज सुधारक भी थे, वे संगीतज्ञ भी थे जिन्होंने सूखे कद्दू से एक वाद्ध्ययंत्र का भी अविष्कार किया था जो अब भी बड़ा लोकप्रिय है। इसी वाद्ध्ययंत्र को बजाकर वे आत्मिक […]

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मुद्दा राजनीति

संदर्भ: सोनिया जी का प्रकाशित लेख : शाहबानो से शाहीन बाग तक मातृशक्ति की गलत व्याख्या

  सोनिया गांधी ने पिछले दिनों एक राष्ट्रीय समाचार पत्र मे एक लेख लिखा है। इस लेख मे वैसे तो कई कई विडंबनापूर्ण बाते हैं किंतु मैं मुख्यतः दो विषयों पर केंद्रित कर पाया हूं। एक देश मे लोकतंत्र की हत्या व दूजा विषय है देश की समूची मातृशक्ति की अस्मिता, कार्यक्षमता व आगे बढ़ने को […]

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साक्षात्‍कार

मोहन भागवत का चर्चित साक्षात्कार : भारतीय समाज के भविष्य का रोडमैप

प्रवीण गुगनानी विश्वप्रसिद्ध दार्शनिक व विचारक प्लेटो के शिष्य रहे हैं अरस्तू। अरस्तू सिकंदर के गुरु भी रहे हैं। अरस्तू का प्रसिद्ध ग्रंथ है “पालिटिक्स”। पालिटिक्स मे अरस्तू ने कहा है – प्रत्येक क्रांति रक्तपात से हो यह आवश्यक नहीं। अरस्तू ने आगे कहा, संविधान में होने वाला छोटा बड़ा परिवर्तन, संविधान में किसी प्रकार […]

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विविधा

बिरसा मुंडा का उलगुलान ही मूलनिवासी दिवस का खंडन है

प्रवीण गुगनानी मूलनिवासी दिवस या इंडिजिनस पीपल डे एक भारत मे एक नया षड्यंत्र है। सबसे बड़ी बात यह कि इस षड्यंत्र को जिस जनजातीय समाज के विरुद्ध किया जा रहा है, उसी समाज के काँधों पर रखकर इसकी शोभायमान पालकी भी चतुराई पूर्वक निकाल ली जा रही है। वैश्विक दृष्टि से यदि देखा जाये […]

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महत्वपूर्ण लेख

श्रीराम जन्मभूमि : देश का मानस और विमर्श

कर सारंग साजि कटि भाथा । अरिदल दलन चले रघुनाथा ।। प्रथम किन्ही प्रभु धनुष टंकोरा। रिपु दल बधिर भयहू सुनि सोरा ।। लगभग पाँच सौ वर्षों के सतत, दुधुर्ष व उत्कट संघर्ष के बाद 5 अगस्त को अयोध्या मे रामलला जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रथम शिला रखी जानी है। जो समय के भीतर […]

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देश विदेश

नेपाली संसद में हिंदी का विरोध और नेपाली जनमानस का रोज

प्रवीण गुगनानी नेपाली संसद मे हिंदी भाषा को प्रतिबंधित करने की चर्चा बल पकड़ रही है। नेपाल मे भारत, भारतीयता व हिंदी का विरोध कम्यूनिज़्म की देन है। कम्यूनिज़्म क्या है? तो इस प्रश्न के उत्तर मे मैं गांधीवाद पर किसी विचारक की टिप्पणी का रूपांतरण रखता हूं – कम्यूनिज़्म वह होता है जिसमें कम्युनिस्ट […]

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राजनीति

आपातकाल की बड़ी भारी हथकड़ी और कोमल कलाई

देश मे आपातकाल लगाए जाने वाले काले 25 जून पर प्रतिवर्ष कुछ न कुछ लिखना मेरा प्रिय शगल रहा है। किंतु, आज जो मैं आपातकाल लिख रहा हूं, वह संभवतः इमर्जेंसी के सर्वाधिक कारुणिक कथाओं मे से एक कथा होगी। जिस देश मे मतदान की आयु शर्त 18 वर्ष हो व चुनाव लड़ने की 21 वर्ष हो वहां 14 वर्ष के अबोध बालक […]

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