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भारतीय संस्कृति

वैदिक धर्म के प्रचार में बाधक अविद्यायुक्त बातें और संगठन

ओ३म् ============== वैदिक धर्म सत्य ज्ञान ‘चार-वेदों’ पर आधारित मानव धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ ईश्वर से प्राप्त चार वेदों की शिक्षाओं के जन-जन में प्रचार से हुआ था। हमारे वेदों के ज्ञानी ऋषि व आचार्य ही हमारे धर्म के प्रचारक व उसके संवाहक होते थे। सद्ज्ञान से युक्त ऋषियों व विद्वानों के होते […]

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भारतीय संस्कृति

अपनी संतानों को वैदिक संस्कार देकर उनकी रक्षा व उन्नति कीजिए

ओ३म्============= मनुष्य को जीवन में सुख व शान्ति प्राप्त हो, वह उत्तम कार्यों को करे, उसका समाज व देश में यश हो, वह स्वाधीन, सुखी, समृद्ध, ज्ञानी, सदाचारी, धार्मिक, स्वाध्यायशील, विद्वानों का सत्संगी, ऋषि दयानन्द, स्वामी श्रद्धानन्द, पं. लेखराम, पं. गुरुदत्त विद्यार्थी, वीर सावरकर आदि महापुरुषों के जीवन को पढ़ा हुआ हो, वैदिक विधि से […]

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धर्म-अध्यात्म

ओ३म् ‘धर्म का सत्यस्वरूप एवं मनुष्य के लिये धर्म पालन का महत्व’

ओ३म् ‘धर्म का सत्यस्वरूप एवं मनुष्य के लिये धर्म पालन का महत्व’ =========== संसार में धर्म एवं इसके लिये मत शब्द का प्रयोग भी किया जाता है। यदि प्रश्न किया जाये कि संसार में कितने धर्म हैं तो इसका एक ही उत्तर मिलता है कि संसार में धर्म एक ही है तथा मत-मतान्तर अनेक हैं। […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानंद का उद्देश्य वेद तथा देशभक्ति का प्रचार था

ओ३म् ============= ऋषि दयानन्द वेदों के अपूर्व ऋषि थे। उनके जैसे ऋषि का इतिहास में वर्णन नहीं मिलता। सृष्टि के आरम्भ से देश में ऋषि परम्परा चली जो महाभारत के कुछ समय बाद तक चलकर समाप्त हो गई थी। इस दीर्घ अवधि में देश में बड़ी संख्या में ऋषि व महर्षि उत्पन्न हुए परन्तु वर्तमान […]

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समाज

वेदों की रक्षा और प्रचार से ही संसार में मानवता की रक्षा संभव है

ओ३म् ========= मनुष्य को दुर्गुणों व दुव्र्यसनों सहित अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, मिथ्या सामाजिक परम्पराओं सहित अन्याय व शोषण से रहित मनुष्य जीवन की रक्षा के लिये सदाचारी विद्वानों, देवत्वधारी पुरुषों सहित वेदज्ञान की भी आवश्यकता होती है। यदि समाज में सच्चे ज्ञानी व परोपकारी मनुष्य न हों तो समाज में अज्ञान की वृद्धि होकर अन्याय, […]

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भारतीय संस्कृति

आश्चर्य है कि हम मनुष्य कहलाते हैं पर मनुष्य बनने के काम नहीं करते

ओ३म् ============ मनुष्य स्वयं को मनुष्य कहता है परन्तु मनुष्य किसे कहते हैं, इस पर वह कभी विचार नहीं करता। हमारे वैदिक विद्वान बताते हैं कि मनुष्य को मनुष्य विचारशील तथा सत्य व असत्य का मनन करने के कारण से कहते हैं। मनुष्य के पास बुद्धि होती है जिससे वह उचित-अनुचित, सत्य-असत्य, कर्तव्य-अकर्तव्य, धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय, […]

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सैर सपाटा

श्रीमद् दयानंद ज्योतिरमठ आर्ष गुरुकुल पौंधा देहरादून के वार्षिकोत्सव का फेसबुक पर लाइव प्रसारण

ओ३म् ============ वैदिक धर्म में सृष्टि के आरम्भ से गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति प्रचलित रही है। यह प्रणाली महाभारत काल में कुछ विश्रृंखलित हो गई थी। महाभारत के बाद यह विलुप्त हो गई। ऐसा माना जाता है विदेशी शासकों ने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का पोषण न कर अपने गुप्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिये इस शिक्षा […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

वैदिक धर्म के पुनरुद्धार एवं संरक्षक महर्षि दयानंद

ओ३म् ============= वैदिक धर्म एक मात्र धर्म है और अन्य सभी संगठन व संस्थायें मत, पंथ, सम्प्रदाय आदि हैं। धर्म उसे कहते हैं जिसे मनुष्य अपने जीवन धारण करें। जिससे सभी मनुष्यों की उन्नति हो तथा उन्हें धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति हो। सत्य को ही धारण किया जाता है असत्य को नहीं। […]

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धर्म-अध्यात्म

हमें मनुष्य जन्म किस उद्देश्य एवं लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिला ?

ओ३म् ============ हम मनुष्य के रुप में जन्में हैं। हमें यह जन्म हमारी इच्छा से नहीं मिला। इसका निर्धारण सृष्टि के रचयिता परमात्मा ने किया। परमात्मा ने अपनी सृष्टि व व्यवस्था के अनुसार हमारे माता-पिता के द्वारा हमें जन्म दिया है। हमारे माता-पिता व उनके सभी पूर्वजों सहित सभी प्राणियों को भी परमात्मा ही जन्म […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवात्मा का जन्म एक बार नहीं बल्कि बार-बार होता रहता है

ओ३म् =========== मनुष्य व सभी प्राणी इस मृत्यु लोक में जन्म लेते हैं। शैशवावस्था से बाल, किशोर, युवा, सम्पूर्ति तथा वृद्धावस्था को प्राप्त होकर वह मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने अनेक विषयों पर अनेक गम्भीर प्रश्नों का समाधान किया है। जीवन के सम्बन्ध में विज्ञान […]

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