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आज का चिंतन

देश में गुरुकुल होंगे तभी आर्य समाज को वेद प्रचारक विद्वान मिल सकते हैं

    –मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान दिया था। इस ज्ञान को देने का उद्देश्य अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न व उसके बाद जन्म लेने वाले मनुष्यों की भाषा एवं ज्ञान की आवश्यकताओं को पूरा करना था। सृष्टि के आरम्भ से लेकर महाभारत काल पर्यन्त भारत वा आर्याव्रत सहित विश्व भर की भाषा संस्कृत ही थी जो कालान्तर में अपभ्रंस व भौगोलिक कारणों से अन्य भाषाओं में परिवर्तित होती रही और उसका परिवर्तित रूप ही लोगों में अधिक लोकप्रिय होता रहा। भारत में सृष्टि के आरम्भ से महाभारत काल के कुछ काल बाद तक जैमिनी ऋषि पर्यन्त ऋषि–परम्परा चलने से देश में संस्कृत का पठन पाठन व व्यवहार कम तो हुआ परन्तु काशी, मथुरा व देश के अनेक नगरों व ग्रामों में भी संस्कृत का व्यवहार व शिक्षण चलता रहा। तक्षशिला और नालन्दा आदि अनेक स्थानों में विश्वविद्यालय हुआ करते थे जहां प्रभूत हस्तलिखित ग्रन्थ हुआ करते थे जिन्हें विदेशी मुस्लिम आतताईयों ने जला कर नष्ट किया। इससे यह ज्ञात होता है कि भारत में संस्कृत का पठन–पाठन काशी, मथुरा, तक्षशिला एवं नालन्दा आदि अनेक स्थानों पर चलता रहा था। स्वामी शंकराचार्य जी दक्षिण भारत में उत्पन्न हुए। वह भी शास्त्रों के उच्च कोटि के विद्वान थे। आज भी उनका पूरे संसार में यश विद्यमान है। ऋषि दयानन्द के समय में भी काशी व मथुरा सहित देश के अनेक भागों में संस्कृत के अनेक विद्वान थे। वह शास्त्रीय सिद्धान्तों की दृष्टि से […]

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आज का चिंतन

क्या हमें अपने पूर्वजन्म एवं पुनर्जन्म होने के सिद्धांत का ज्ञान है?

-मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य हो या इतर प्राणी, सभी जन्म व मरण के चक्र में फंसे हुए हैं। संसार में हम देखते हैं कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु अवश्य होती है। जन्म से पूर्व और मृत्यु के बाद का ज्ञान कुछ आध्यात्मिक व वैदिक विद्वानों को ही होता है। कुछ ऐसे मनुष्य हैं […]

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आज का चिंतन

आर्यसमाज ज्ञान विज्ञान से पोषित सनातन वैदिक धर्म का रक्षक एवं प्रचारक है

ओ३म् ========== संसार में अनेक संगठन एवं संस्थायें हैं। इन सबमें आर्यसमाज ही एकमात्र ऐसा संगठन है जो मनुष्य मात्र के हित को ध्यान में रखकर ज्ञान व विज्ञान से पोषित सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार करता है। आर्यसमाज धर्म के नाम पर देश देशान्तर में फैले अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड तथा कुरीतियों का सुधारक […]

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Uncategorised आज का चिंतन

हमारा सर्वव्यापक ईश्वर परम दयालु एवं परोपकारी है

ओ३म् ========= अधिकांश लोग ईश्वर की सत्ता को तो मानते हैं परन्तु उन्हें ईश्वर के सत्यस्वरूप तथा उसके गुण, कर्म व स्वभाव का पर्याप्त ज्ञान नहीं है। ईश्वर के सत्यस्वरूप का ज्ञान वेद और वेदों पर आधारित ऋषियों के ग्रन्थ उपनिषद एवं दर्शन सहित सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि ग्रन्थों से भी प्राप्त होता है। वैदिक विद्वानों […]

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मनुष्य का कर्तव्य सद्गुणों से युक्त होना तथा दुर्गुणों को हटाना है

ओ३म् =========== मनुष्य के जीवन व कार्यों पर दृष्टि डालते हैं तो वह अनेकानेक प्रकार के कार्य करते हुए दृष्टिगोचर होते हैं। वह जो कार्य करते हैं, उन कार्यों से यदि उनके जीवन उच्च व श्रेष्ठ बनते हैं, तो वह कार्य उन्हें अवश्य ही करने भी चाहियें। परन्तु हम पाते हैं कि मनुष्य बिना किसी […]

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आओ कुछ जाने

अग्निहोत्र यज्ञ विषयक पठनीय एक पुस्तक ‘यज्ञ एक परिचय’

ओ३म् “अग्निहोत्र यज्ञ विषयक पठनीय एक पुस्तक ‘यज्ञ एक परिचय” =========== गुरुकुल पौंधा-देहरादून ब्रह्मचारियों को वेद वेदांग का अध्ययन कराने के साथ वैदिक साहित्य का प्रकाशन भी करता है। इस कार्य के लिये गुरुकुल ने ‘आचार्य प्रणवानन्द विश्वनीड़-न्यास’ नाम से एक संस्था का गठन किया हुआ है। इस न्याय का नवीनतम प्रकाशन है ‘यज्ञ एक […]

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आज का चिंतन

अध्यात्मनदियों में स्नान का धार्मिक औचित्य और महर्षि दयानंद

  मनमोहन कुमार आर्य आज एक आर्य मित्र से प्रातः गंगा स्नान की चर्चा चली तो हमने इस पर उनके साथ विचार किया और हमारे मन में जो जो विचार आये उसे अपने मित्रों से साझा करने का विचार भी आया। हमारी धर्म व संस्कृति संसार के सभी मतों व पन्थों में सबसे प्राचीन व […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य को सुख ईश्वर की भक्ति और शुभ कर्मों से ही मिलता है

ओ३म् ========== हमें जो सुख व दुःख की अनुभूति होती है वह शरीर व इन्द्रियों के द्वारा हमारी आत्मा को होती है। आत्मा चेतन पदार्थ होने से ही सुख व दुःख की अनुभूति करता है। प्रकृति व सृष्टि जड़ सत्तायें हैं। इनको किसी प्रकार की अनुभूतियां वा सुख व दुःख नहीं होते। आत्मा से इतर […]

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भारतीय संस्कृति

स्वाध्याय और उपासना से ही जीवन की वास्तविक उन्नति होती है

ओ३म् =========== मनुष्य एक चेतन प्राणी है। मनुष्य का आत्मा चेतन अनादि व नित्य पदार्थ है। मनुष्य का शरीर जड़ प्राकृतिक तत्वों से बना हुआ नाश को प्राप्त होने वाला होता है। शरीर की उन्नति मनुष्य आसन, व्यायाम, सात्विक भोजन तथा संयम आदि गुणों को धारण कर करते हैं। आत्मा की उन्नति शरीर की उन्नति […]

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आज का चिंतन

हम श्रेष्ठ वैदिक धर्म और संस्कृति के अनुयायी होने से भाग्यशाली हैं

ओ३म् ========== हमारा जन्म भारत में हुआ है। भारत ही वह देश है जो धर्म एवं संस्कृति के सृजन का केन्द्र वा उत्पत्ति स्थान है। सृष्टि के आरम्भ में वेदों का आविर्भाव इसी प्राचीन देश आर्यावर्त के तिब्बत में परमात्मा से हुआ था। समस्त वेद ही धर्म का मूल एवं आधार है। वेद की भाषा […]

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