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संपादकीय

हसन खान मेवाती के मेवात में यह क्या हो रहा है?

मेवात में जो कुछ हो रहा है वह हमारी अतीत की गलतियों का स्वाभाविक परिणाम है। बात 1947 की है जिस समय देश सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस रहा था। तब देश के भावी राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 5 सितंबर 1947 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को मेवात के लोगों के मिजाज को […]

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कविता

कुंडलियां … 44 बादल बूढ़े क्वार के…..

130 बादल बूढ़े क्वार के, गरज रहे बेकार। पास नहीं एक बूंद भी, दिखा रहे अहंकार।। दिखा रहे अहंकार, ना कोई मोल लगावै। खांसे और मठारे बूढ़ा ,सबको आंख दिखावे।। ना आंख उठाके देखे कोई, सब करते घायल। इसी हालत में रहें, बूढ़ा और क्वार का बादल।। 131 भक्ति किये से होत हैं , सभी […]

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कविता

कुंडलियां … 43, प्रेम गली देखी नहीं….

127 प्रेम गली देखी नहीं, करें प्रेम की बात। जिससे है परिचय नहीं, करते उसकी बात।। करते उसकी बात, और ना तनिक लजाते। जीवन करें बर्बाद , प्रेम को समझ न पाते।। हांसी आती मुझे देख, इन जग वालों का प्रेम। प्रेमदेवता बनके घूमें, पर समझ ना पाए प्रेम।। 128 मैंने पूछा री सड़क ! […]

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संपादकीय

भारत में अविश्वास प्रस्तावों का रहा है रोचक इतिहास

लोकतंत्र में सरकार की तानाशाही को रोकने के लिए अनेक प्रबंध किए जाते हैं। यद्यपि सिरों की गिनती का खेल लोकतंत्र की वास्तविक पवित्र भावना को बिगाड़ देता है। किसी भी सरकार के विरुद्ध लाया जाने वाला अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसा ही हथियार है, जिसे विपक्ष कभी भी अपनाकर सरकार को यह आभास करा सकता […]

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कविता

कुंडलियां … 42 सुख – शांति संसार में…..

124 विश्व गुरु भारत बने, सबकी सोच समान । चमक उठे संसार में , भारत मां की शान।। भारत मां की शान, अपने शासक होवें। भारत का विस्तार करें, सारे पापों को धोवें।। फिर से हो भोर हमारी, फिर से हों यज्ञ शुरू। धरा आर्यों की होवे , भारत बने विश्व- गुरु।। 125 सुख – […]

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कविता

कुंडलियां … 41 अहंकार मोह से ऊपजे…

121 चमक दमक फीकी पड़े, बन्द होय बाजार। व्यापारी उठ जाएंगे, समेट लेंय व्यापार।। समेट लेंया व्यापार, रात काली पसरेगी । बंद हो पछवा बयार , बयार बेसुरी बहेगी।। समय पर चेत बावरे, ये बात है मेरी नीकी । सही वक्त आने पर,चमक-दमक हो फीकी।। 122 अहंकार मोह से ऊपजे, अहम से जन्मे काम। काम […]

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कविता

कुंडलियां … 40 धान खेत में रोपना……

118 धन रखन और दान से, होता है अभिमान। बोले मुनि सुनो मैत्रेयी ! रखना इतना ध्यान।। रखना इतना ध्यान, धन से ना अमृत मिलता। धन से ना ज्ञान मिलै, ना ही ईश्वर मिलता।। बहुत किए प्रयास जगत में,कितने किए जतन। सत्यानंद के आगे , व्यर्थ लगा ये भौतिक धन।। 119 धान खेत में रोपना, […]

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कविता

कुंडलियां … 39 चातक पगला हो रहा….

115 जीवन के हर दौर में, अटल धर्म बस एक। एक ही सिरजनहार है, पालनकर्ता एक।। पालनकर्ता एक, भरण पोषण वही करता। वही जगत का संहारक है, वेद्धर्म है कहता।। सत्य सार है जीवन का, समझै ना कोई जन। हर क्षण है बेमोल, अनमोल मिला है जीवन।। 116 चातक पगला हो रहा, बढ़ती जाती प्यास। […]

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कविता

कुंडलियां … 38 वेद धर्म सबसे बड़ा…..

112 तन उजला मन मैल में, कबहुं ना भक्ति होय। बगुला भक्ति इसको कहें, बेड़ा पार ना होय।। बेड़ा पार ना होय, भंवर में काटे चक्कर। मतिमूढ पाखंडी बनकर,भीत में मारे टक्कर।। भक्ति सफल तब होती, रहिए प्रभु की गैल में। तब तक नहीं जब तक, तन उजला मन मैल में।। 113 चादर भीगी जात […]

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इसलाम और शाकाहार

कल्पित अल्लाह के झूठे रसूल !

यदि बिना किसी पूर्वाग्रह और पक्षपात के विचार किया जाये तो , अल्लाह का अस्तित्व ही खुद संदेहास्पद है , क्योंकि एक तरफ तो उसे सर्वशक्तिमान बताया जाता है ,और दूसरी तरफ उसे इतना असहाय बताया जाता है कि हर काम के लिए उसे फरिश्तों की मदद लेनी पड़ती है .जो उसका सन्देश लोगों को […]

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