राजपूत शब्द ‘क्षत्रिय’ का सूचक राजपूत शब्द किसी जाति का सूचक नहीं हैं। यह उस वर्ण का सूचक है जिसे मनु महाराज ने ‘क्षत्रिय’ कहा है। इस प्रकार राजपूत शब्द के अंतर्गत सारे क्षत्रिय कुल और राजवंश समाहित हो जाते हैं। ‘अलबेरूनी का भारत’ के लेखक अलबेरूनी ने भारत में कहीं पर भी राजपूत जाति […]
लेखक: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
ग्वालियर महाकौशल, इंदौर, रीवां, झाँसी, ये सारी रियासतें मुस्लिम शासनकाल में अपनी स्वतन्त्रता को बचाए रखने में सफल रहीं। एक दिन के लिए भी ये रियासतें किसी मुस्लिम सुल्तान या बादशाह के अधीन नहीं रही। महाकौशल की 1818 की तथा झाँसी में 1858 में अंग्रेज़ो से संधि हो गयी। इससे महाकौशल लगभग 130 वर्ष तो […]
गोत्रों में छिपा है हमारा गौरवभाव भारत की गोत्र परंपरा भी अनूठी है। प्रत्येक गोत्र की उत्पत्ति किसी वीर क्षत्रिय से या किसी महाविद्वान के नाम से हुई है। अपने पूर्वजों के नाम को अमर बनाये रखने तथा उनके उल्लेखनीय कृत्यों की गौरवगाथा को अपने हृदय में श्रद्घा पूर्ण स्थान दिये रखने की भावना के […]
हमारा राष्ट्रीय जीवन और व्यक्तिगत जीवन हमारे व्यक्तिगत जीवन की भांति हमारा एक राष्ट्रीय जीवन भी होता है। जैसे हम व्यक्तिगत जीवन में कभी अपने शुभकार्यों के परिणाम के आने पर प्रसन्नता और अशुभकार्यों के परिणाम के आने पर अप्रसन्नता प्रकट करते हैं, वैसे ही हमारे राष्ट्रीय जीवन में भी कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं-जब […]
प्रदेश व देश में जबसे योगी-मोदी की सरकार आई है तब से गोधन की रक्षा के लिए लोगों को बड़ी-बड़ी अपेक्षाएँ इन सरकारों से पैदा हुई हैं। परंतु यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि गोधन के संरक्षण और सुरक्षा के लिए कोई ठोस व कारगर कार्यप्रणाली नहीं अपनाई गई है। केंद्र की मोदी सरकार को […]
गीता का अठारहवां अध्याय भारतीय संस्कृति का उच्चादर्श इस पृथ्वी को स्वर्ग बना देना है और यह धरती स्वर्ग तभी बनेगी जब सभी लोग ईश्वरभक्त हो जाएंगे, और ईश्वरभक्त बनकर ईश्वरीय वेदवाणी को संसार के कोने-कोने में फैलाने के लिए कार्य करने लगेंगे। धरती को स्वर्ग बनाना और उसके लिए जुट जाना ईश्वरीय आज्ञा का […]
पुन: मेवाड़ की ओर अब हम एक बार पुन: राजस्थान के मेवाड़ के उस गौरवशाली राजवंश की ओर चलते हैं जिसकी गौरव गाथाओं को सुन-सुनकर प्रत्येक भारतवासी के हृदय में देशभक्ति मचलने लगती है। जी हां, हमारा संकेत महाराणा राजवंश की ओर ही है। जिसके राणा प्रताप के विषय में 1913 ई. में अपनी पत्रिका […]
किसी भी देश का, समाज का, राष्ट्र और संगठन या परिवार का नेतृत्व वास्तव में उसके बौद्धिक मार्गदर्शकों के पास होता है। जिस देश का बौद्धिक नेतृत्व दिग्भ्रमित हो जाता है, वह देश भी दिग्भ्रमित हो जाता है। भारत के साथ इस समय सबसे बड़ी समस्या ही ये है कि इसका बौद्धिक नेतृत्व दिग्भ्रमित है। […]
गीता का अठारहवां अध्याय अपने आपको मुझमें लगा, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन कर, मुझे नमस्कार कर, ऐसा करने से तू मुझ तक पहुंच जाएगा। क्योंकि तू मेरा प्रिय है। श्रीकृष्णजी ऐसा कहकर अर्जुन रूपी बालक को भगवान रूपी माता केदुग्धामृत का पान करने के लिए उसकी ओर बढऩे की प्रेरणा दे रहे हैं। इस […]
जौनपुर इलाहाबाद की भांति ही जौनपुर भी अकबर के काल तक अपनी स्वतंत्रता को बचाये रहा पर 1583 में यहां भी मुगल सत्ता के रूप में विदेशी शासन स्थापित हो गया जो 1856 तक जारी रहा । 1856 से 1947 तक यहां ब्रिटिश शासन स्थापित रहा । जबकि सल्तनत काल मे यहां केसरिया फहराता रहा […]