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संपादकीय

आर्कबिशप की चिंता और भारत

आर्कबिशप रोमन कैथोलिक दिल्ली के अनिल कुटो द्वारा पादरियों को एक पत्र लिखा गया है। जिसमें आर्कबिशप ने देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को अशांत और लोकतंत्र के लिए खतरा माना है। आर्कबिशप ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए दुआ मांगने की बात भी उक्त पत्र में कही है। उनका आशय है कि 2019 […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

विपक्ष की एकता या ‘होली का हुड़दंग’

अभी हाल ही में संपन्न हुए कुछ उपचुनाव में विपक्षी एकता का प्रतीक बना गठबंधन बाजी मार ले गया है और भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा है। यह चुनाव परिणाम चौंकाने वाले नहीं कहे जा सकते। इनको लेकर ऐसी ही आशा थी- इसलिए परिणाम आशानुरूप हैं। विपक्ष ने बड़ी सावधानी से अपनी चुनावी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

कंपनी के प्रति शिवाजी महाराज की देशभक्ति पूर्ण नीति

कंपनी के अत्याचारों का वर्णन कंपनी भारत में केवल लूट मचाने और अपनी भूख मिटाने के लिए आयी थी। उसके पास भारत के विषय में कोई संस्कार नहीं था, कोई विचार नहीं था कोई उपचार नहीं था। डा. रसेल लिखता है-”ईस्ट इंडिया कंपनी के भारतीय शासन को आरंभ से ही जबरदस्त पापों ने रंग रखा […]

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संपादकीय

हिन्देशिया में प्रधानमंत्री श्री मोदी

भारत के श्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया सहित तीन देशों की यात्रा कर लौटे हैं। हम इस आलेख में उनकी इंडोनेशिया यात्रा पर ही केंद्रित रहेंगे। इंडोनेशिया का मूल नाम हिन्देशिया है। हमें इंग्लिश नाम पुकारने का चस्का सा लग गया है और जब तक राम को ‘रामा’ व कृष्ण को ‘कृष्णा’ या योग को […]

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संपादकीय

घटता हिंदू “मरता भारत”

भारत के 7 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित किए जाने की तैयारी है। जबकि केरल में इस समय हिंदू लगभग 53 प्रतिशत है, जो कि आने वाले समय में बहुत शीघ्र ही अल्पसंख्यक होने जा रहा है। इस्लाम और ईसाइयत दोनों ने अपने देश में ‘न्यूनतम सांझा कार्यक्रम’ पर कार्य करना आरंभ किया हुआ है। जिस काम […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अंग्रेजों ने राष्ट्रवाद और देशभक्ति को भारतीयों से सीखा

आरंभिक दिनों में अंग्रेजों की भारत में स्थिति प्रो. केडिया की पुस्तक ‘रूट्स ऑफ अण्डर डेवलपमेंट’ से हमें ज्ञात होता है कि जिस समय महारानी एलिजाबेथ के पत्र के साथ उसका प्रतिनिधि अकबर से (सन 1600 ई. में) मिला था, उस समय उसने बादशाह को 29 घोड़े भी उपहार स्वरूप भेंट किये थे। बादशाह ने […]

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संपादकीय

देश की संसद और हमारे माननीय

देश की संसद के प्रति पक्ष-विपक्ष की लापरवाही बढ़ती ही जा रही है। सत्ता पक्ष का कहना है कि संसद में विपक्ष अपनी सही भूमिका का निर्वाह नहीं कर रहा है, और वह संसदीय कार्यवाही में अनावश्यक व्यवधान डाल रहा है, तो विपक्ष का कहना है कि संसद को चलाना सत्ता पक्ष का कार्य है […]

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संपादकीय

भारतीय लोकतंत्र और चुनावी व्यय

भारत में चुनावी व्यय दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। भारत जैसे गरीब देश के लिए यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां आज भी देश की आधी जनसंख्या के लिए जहां तन ढकने के लिए वस्त्र और पेट की भूख मिटाने के लिए रोटी भी उपलब्ध ना हो वहां कुछ लोग चुनावों में अपनी […]

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संपादकीय

जनसंख्या को लेकर इन्दिरा गांधी ने लिया था एक सही निर्णय

भारत की जनगणना को लेकर लोगों में इस समय काफी चर्चा बनी हुई है। ‘सुदर्शन न्यूज़ चैनल’ के चीफ एडिटर श्री सुरेश चव्हाणके द्वारा भारत की जनसंख्या में हो रही मुस्लिमों की अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर एक यात्रा भी निकाली गई है। जिसमें उन्होंने एक वर्ग द्वारा अपनी जनसंख्या बढ़ा कर भारत के जनसांख्यिकीय आंकड़े […]

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संपादकीय

भारत की खाप पंचायतों के तालिबानी फरमान

भारत में प्रचलित खाप पंचायतों के विरुद्ध शिक्षित वर्ग और देश के न्यायालयों की कड़ी आपत्ति समय-समय पर आती रही है। इसके उपरांत भी खाप पंचायतों के अन्यायपूर्ण और निर्दयता से भरे निर्णय को हम बार-बार सुनते रहते हैं। ऐसे में खाप पंचायतों की स्थिति के बारे में हमें गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता […]

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