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संपादकीय

क्षेत्रीय दल और राष्ट्रीयता

हमारे यहां पर क्षेत्रीय दल कुकुरमुत्तों की भांति हैं। ये दल वर्ग संघर्ष,  प्रांतवाद और भाषावाद के जनक हैं। कुछ दल वर्ग संघर्ष को तो कुछ दल प्रांतवाद और भाषावाद को प्रोत्साहित करने वाले बन गये हैं। इनकी तर्ज पर जो भी दल कार्य कर रहे हैं उनकी ओर एक विशेष वर्ग के लोग आकर्षित […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

जब बन गया था भारत का भाल शत्रुसाल अर्थात छत्रसाल

जिस समय भारत की स्वतंत्रता को नोंच-नोंचकर खाने वाले विदेशी गिद्घों के झुण्ड के झुण्ड भारत भूमि पर टूट-टूटकर पड़ रहे थे और उन्हें यहां से उड़ाकर बाहर करने के लिए भारत की तलवार अपना पूर्ण शौर्य और पराक्रम दिखा रही थी, उस समय उन गिद्घों के लिए किसी शत्रुसाल की आवश्यकता थी। इस शत्रुसाल […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-56

लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए इस चिकित्सक की यह उद्घोषणा समझो कि हमारा स्वास्थ्य बीमा कर देना है। वह पूर्णत: आश्वस्त कर रहा है हमें कि होम की शरण में आओ और नीरोगता पाओ।  आज संसार के अधिकांश व्यक्ति मानसिक अस्तव्यस्तता और मानसिक रोगों से अधिक पीडि़त हैं। असंतुलित जीवनशैली और अमर्यादित दिनचर्या […]

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संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-9

उनका दृष्टिकोण हुआ करता था कि पैसा यदि लिया भी जाए तो सही काम का लिया जाए, फिर ऐसी स्थिति आयी कि जो भी दे जाए उसी का काम कर दो। इसका अभिप्राय था कि दो पक्षों में एक गलत पक्ष का व्यक्ति यदि दे जाए तो उसी का काम कर दो। किंतु आज स्थिति […]

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राजनीति संपादकीय

राष्ट्र के ब्रह्मा, विष्णु, महेश

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में  कई चीजें  बेतरतीब रूप में देखी गयीं। उन सब में प्रमुख थी किसी भी सरकारी विज्ञापन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के चित्र का लगा होना। यह लोकतंत्र और लोकतंत्र की भावना के विरूद्ध किया गया कांग्रेसी आचरण था। […]

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संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-8

ऐसा कब होता है? जब कत्र्तव्य बोध से लेाग च्युत हो जाते हैं और जब राष्ट्रबोध से लोग विमुख हो जाते हैं, तब ‘कमीशन’ और ‘पैसा’ कर्तव्य बोध और राष्ट्रबोध को भी लील जाता है। आज हमें यही  ‘कमीशन’ और पैसा हमें लील रहा है। प्राकृतिक प्रकोप हमारी अपनी बदलती प्रकृति और प्रवृत्ति के परिणाम […]

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संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-7

उसे हर प्रकार के शोषण से लडऩे और उसे उजागर करने के लिए प्रेरित किया जाता, राष्ट्र के नितांत ईमानदार और राष्ट्रसेवी आचार्य उसके भीतर की छिपी हुई मानवीय शक्तियों और प्रतिभाओं को सही दिशा और दशा प्रदान करते तो यह राष्ट्र अब तक स्वर्ग सम बन गया होता। इसमें दो मत नही हो सकते। […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अमरसिंह राठौड़ के शव को उठाकर ले जाने वाला बल्लूजी चाम्पावत

हमारे इतिहास की पहचान किसी कवि ने ईश्वर के विषय में कहा है :- तू दिल में तो आता है, समझ में नही आता। मालूम हुआ बस तेरी पहचान यही है।। ….और हम अपने इतिहास के विषय में भी यही समझ सकते हैं। आपको अधिकांश लोग अपने इतिहास के और अपने राजा-महाराजाओं के रोमांचकारी किस्से-कहानी […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-55

लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए ज्ञान पूर्वक का अर्थ है कि इसमें किसी प्रकार का अज्ञानान्धकार, पाखण्ड, ढोंग या अंधविश्वास ना हो। हम सारी क्रियाओं का रहस्य समझते हुए उन्हें पूर्ण करें। ‘ओ३म् देव सवित:……’ मंत्र के माध्यम से हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे सर्वान्तर्यामिन परमेश्वर! आप हमारी समस्त त्रुटियों […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-6

उत्तराखण्ड के भूकंप के समय और गुजरात के भूकंप के समय मेरे मित्रों ने (जो या तो वहां गये या किसी भी प्रकार से निकटता से जुड़े रहे) मुझे बताया कि नकद धनराशि बहुत कमी के साथ उन लोगों तक पहुंच पाती है जिनके लिए वह भेजी जाती है। उसका अधिकांश भाग तो अधिकारियों के […]

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