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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय 13 ऐसे बनी थी कांग्रेस और सावरकर के बीच दूरी

ब्रिटिश सरकार द्वारा जब 10 मई 1937 को सावरकर जी की बिना शर्त रिहाई हुई तो उस समय रत्नागिरी कांग्रेस कमेटी ने उनके स्वागत में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। यह वह दौर था जब कॉन्ग्रेस सावरकर जी जैसे राष्ट्रवादी नेता को अपने साथ खींचकर मिलाने के लिए लालायित थी। उस समय कांग्रेस के […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -12 (ख) सोहरावर्दी की देशद्रोही सोच

यह पूर्णतया सत्य है कि यदि सावरकर नहीं होते तो पाकिस्तान आज के बहुत बड़े भारत के भाग को ले जाने में सफल हो जाता। सावरकर की सोच पर काम करते हुए उस समय ऐसे अनेक हिंदू वीर रहे जिन्होंने देश के कई शहरों को या भागों को पाकिस्तान में जाने से रोकने में अपने […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -12 क गांधीजी की अहिंसा और सीधी कार्यवाही दिवस

सावरकर जी का स्पष्ट कथन था कि ‘अपनी कुलदेवी मां अष्टभुजा के चरणों में बैठकर शपथ लेता हूं कि मातृभूमि को विदेशियों से मुक्त कराने के लिए आजीवन सशस्त्र क्रांति का ध्वज लेकर जूझता रहूंगा ,चाहे इस प्रयास में हम तीनों भाइयों की भी वही नियति क्यों न हो जो चाफेकर बंधुओं की हुई।’ इतिहास […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -11 ख हिंदू और मुस्लिम : दो राष्ट्र

आज भी देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले कई लोग ऐसे हैं जो बड़ी सहजता से सावरकर जी पर हिंदू सांप्रदायिकता को भड़काने का आरोप लगा देते हैं और यह भी कह देते हैं कि उनकी सरकार की नीतियों के चलते ही देश का विभाजन हुआ था। इस पर हम पूर्व में भी […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -11( क ) सावरकर की सबसे बड़ी कमजोरी

राव साहब कसबे (अनुवाद मनोहर गौर ) अपनी पुस्तक ‘हिंदू राष्ट्रवाद : सावरकर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के पृष्ठ संख्या 449 पर लिखते हैं कि जिन्नाह 1919 में जब पार्लियामेंट्री सिलेक्ट कमेटी के समक्ष गवाही दे रहे थे तो उनसे एक प्रश्न किया गया था कि क्या आपको लगता है कि हिंदू और मुसलमानों के […]

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सनातन की सतत साधना और भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम

भारत ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में आदिकाल से संपूर्ण भूमंडलवासियो का नेतृत्व करता आया है। भारत के अनेक ऋषि महात्मा ऐसे हुए हैं, जिन्होंने अपने आध्यात्मिक तेज के जागरण के चलते अनेक ऐसे आविष्कार किये जिनके संबंध में आज का कथित सभ्य समाज कल्पना भी नहीं कर सकता। भारत की सतत आध्यात्मिक साधना उसकी […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय 10 ( ख) देश की आजादी के लिए अपनों को खोने वाले

अफगानिस्तान के अलग होने की घटना को इतिहास में इतना हल्का करके लिया जाता है कि लगभग उसे मिटा ही दिया गया है। देश के भीतर ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो अब अफगानिस्तान के हिंदू वैदिक अतीत की कोई विशेष चर्चा तक करना उचित नहीं मानते। यदि हमारे देश के […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय 10 ( क ) गांधी – नेहरू की आत्महीनता

आजकल हम अक्सर अखंड भारत की बातें सुना करते हैं। इस अखंड भारत में आज के अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, सिक्किम, भूटान, बर्मा, श्रीलंका और मालदीव को सम्मिलित कर लिया जाता है। हम सोच लेते हैं कि यही अखंड भारत है। जहां तक जिसकी सोच और दृष्टि जाती है वहीं तक वह भारत को अखंड […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -9 ( ख ) सिक्खों के लिए सेना बनाने हेतु लिखा पत्र

हिंदुओं का सैनिकीकरण करने के अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित होते हुए उन्होंने तारीख ४ जून, १९४० के दिन सेना खड़ी करो, संगमेंस यूनियन के कार्यवाहों को एक उत्तेजक पत्र भेजा। उसका सारांश ‘सावरकर समग्र’ (खंड – 8 ) में इस प्रकार दिया गया है- ” आपने मुझे परिषद् के लिए निमंत्रित किया इसके लिए […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -9 ( क ) राष्ट्रवाद के पुरोधा सावरकर

भारत में मुसलमान एक रणनीति के अंतर्गत अपने संख्या बल से अधिक राजकीय सुविधाएं प्राप्त करते रहे हैं। इसके लिए रोने पीटने और अपनी आर्थिक स्थिति की दुहाई देने या अपने समाज में लोगों के अशिक्षित होने को ये लोग अपना आधार बनाते हैं। इसके पश्चात भावनात्मक अपील की जाती हैं कि हम लोग यहां […]

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