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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे …..

जीविका, उद्योग और ज्ञानविज्ञान जीविका उत्पन्न करने के लिए सवको कृषि, पशुरक्षा और वाणिज्य का ही सहारा लेना पड़ता है। कृषि, पशुपालन और व्यापार पृथिवी की उपज से ही सम्बन्ध रखते हैं, इसलिए बिना भौगोलिक ज्ञान के जीविका का प्रश्न हल नहीं हो सकता । वेदों में भौगोलिक शिक्षा इस प्रकार दी गई है- पृच्छामि […]

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वैदिक सम्पत्ति : गताक से आगे…

इसके सम्बन्ध में वेद उपदेश करते हैं कि- शिवे ते स्तां द्यावापृथिवो असन्तापे अभिथियो । शं ते सूर्य आ तपतु शं वातो वातु ते ह्रदे । शिवा अभि क्षरन्तु त्वापो दिव्याः पयस्वतीः ।।14।। शिवास्ते सन्त्वोषधय उत् त्वाहार्थमधरस्या उत्तरां पृथिवीमभि । तत्र त्वादित्यों रक्षतां सूर्याचन्द्रमसावुभा ।। 15।। (अथर्व०8/2) अर्थात हे बालक ! तेरे लिए यह द्यौ […]

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चंद्रयान-3 की सफलता और भारत के सांस्कृतिक मूल्य

चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड करके भारतवर्ष ने अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रच दिया। इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों का कठोर परिश्रम ,धैर्य, लगन और कर्तव्य के प्रति निष्ठा के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी जी का तेजस्वी नेतृत्व और सभी देशवासियों का अपने वैज्ञानिकों पर पूर्ण भरोसा धन्यवाद और बधाई का पात्र है। इस दिशा […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे…

शिर के विषय में वेद में लिखा है कि- तद्वा अथर्वणः शिरो देवकोशः समुब्जितः । तत् प्राणो अभिरक्षति शिरो अन्नमथो मनः ॥ (अथर्व० 10/2/27) अर्थात् ज्ञान का केन्द्र शिर है जो देवताओं का सुरक्षित कोश है। इस कोश की प्राण, मन और अन्न रक्षा करते हैं। ऐसे ज्ञानकोश शिर की वृद्धि के समय से गर्भिणी […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे….

इन मंत्रों के द्वारा इस रहस्यपूर्ण कृत्य का वर्णन करके आगे वेद उपदेश करते हैं कि जब पति पत्नी गर्भस्थापन से निवृत्त हो जाय, तब वस्त्रों को धो डालें और दोनों स्नान करके गार्हपत्याग्नि में हवन करें तथा पति विनम्र भाव से परमेश्वर की इस प्रकार प्रार्थना करे कि विष्णुर्योनि कल्पयतु त्वष्टा रूपाणि पिशतु । […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति गतांक से आगे…

इन उपदेशों को अश्लील न समझना चाहिये । आगे इसी विवाहप्रकरण में गर्भाधानसंस्कार के लिए देता है कि- आ रोह तल्पं सुमनस्यमानेह प्रजां जनय पत्ये अस्मै। इन्द्राणीव सुबुधा बुध्यमाना ज्योतिरगरा उषसः प्रति जागरासि । (अथर्व० 14/2/31) देवा अग्रे न्यपद्यन्त पत्नी: समस्पृशन्त तन्वस्तनूभिः । सूर्येव नारि विश्वरूपा महित्वा प्रजावती पत्या सं भवेद् ॥ (अथर्व ० 14/2/32) […]

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भारतीय संस्कृति

स्वामी दयानंद जी महाराज और आर्योद्देश्यरत्नमाला

60 वर्ष की अल्पायु में महर्षि दयानंद ने अनेकों पुस्तकें तथा ग्रंथों की रचना की। एक एक पुस्तक को अलग-अलग पढ़ें तो आभास होता है कि प्रत्येक पुस्तक में ज्ञान की अमृत वर्षा की हुई है। हम पर बहुत ऋण है महर्षि दयानंद का। लेकिन आज मैं आर्योंदेश्यरत्नमाला पर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा जो […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : वेदमंत्रों के उपदेश

(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की “वैदिक सम्पत्ति” नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति:- देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे….. इस प्रकार दिनचर्या का वर्णन करके अब नदावार से सम्बन्ध रखनेवाली उदारता अर्थात् दान का वर्णन करते हैं- तवोतिभिः सचनाना अरिष्टा […]

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विशेष संपादकीय

समान नागरिक संहिता पर ‘उगता भारत’ के सुझाव : समान नागरिक संहिता लागू करना समय की आवश्यकता

किसी भी राष्ट्र में विधि का प्रथम एवं परम उद्देश्य है – समाज में सामाजिक न्याय को स्थापित किया जाना। भारतवर्ष में भारतीय संविधान विधि का मूल स्रोत एवं मानक है अर्थात समस्त विधियां संविधान की अवधारणा को केंद्र में रखते हुए क्रियान्वित करने और वास्तविक स्वरूप देने में लगी हैं। इसमें दोनों प्रकार की […]

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भारतीय संस्कृति

21 जून का ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व तथा भारत की योग परंपरा

आज 21 जून है। आज के दिन उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी की गति के कारण सूर्य का प्रकाश अधिकतम समय के लिए पृथ्वी पर पड़ेगा ।इसलिए यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन होगा। भारतवर्ष के लिए यह सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस के रूप में हमारे […]

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