हम प्रतिक्षण अपने चारों ओर सृष्टि में परिवर्तन होते देखते हैं ।हम अपने जीवन में भी बचपन से युवावस्था युवावस्था से वृद्धावस्था में पहुंचते हुए परिवर्तन को देखते हैं तो हमको अनुभव होता है यह संसार क्षणभंगुर है । जो था वह नहीं रहा और जो है वह नहीं रहेगा । बस केवल एक मृग […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
जो बंदगी करे वह बंदा होता है । गुरु के दरबार में बैठकर जो लोग उस प्यारे प्रभु का यजन और भजन करते हैं उन्हें गुरु ने प्यार से नाम दिया – बंदा। बाद में यह शब्द रूढ़ हो गया और सब लोगों के लिए ही ये बंदे लोग अर्थात भक्त लोग बंदा कहकर बुलाने […]
मनुष्य की योनि प्राप्त करना जितना दुर्लभ है , उससे भी कठिन मनुष्य बनना है। परंतु मनुर्भव का वेद का आदेश है। वेद के आदेश का पालन करना मनुष्य का प्रथम एवं पावन उत्तरदायित्व है। इसलिए मनुष्य बनने के लिए उपरोक्त सभी सिद्धांतों व नियमों का पालन करते हुए निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखना […]
हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में ही बनाई थी। जब मेवाड़ और दिल्ली के बीच संधि न हो पाई तो मानसिंह मुगलों की एक विशाल सेना लेकर महाराणा प्रताप पर चढ़ाई करने के लिए चल पड़ा। महाराणा प्रताप ने एक रणनीति के तहत हल्दीघाटी को युद्ध […]
दिनांक 25 दिसंबर 2015 स्थान : राजस्थान के राजसमंद जिले का कुंभलगढ़ दुर्ग समय – शाम के 7:00 बज रहे हैं। लाइट एंड शो का कार्यक्रम सपरिवार देखने के लिए मैं पहुंच गया हूं। कुंभलगढ़ का दुर्ग अरावली पर्वत श्रंखला के मध्य महाराणा कुंभा द्वारा सन 1500 में निर्माण प्रारंभ किया गया था। लेकिन 15 […]
प्रस्तुति : देवेंद्र सिंह आर्य कल एक संदेश नरभक्षी मनुष्यों के विषय में किसी ग्रुप पर पढ़ रहा था। उसको पढ़ने के बाद मैंने भी एक घटना का उल्लेख किया कि दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने एक होटल पर मीट व सोरवा परोसा जाता था। 1 दिन उस शोरवा में एक बच्चे की अंगुली आ […]
वेद के मन्त्र ‘ओ३म् समिधाग्निं दुवस्यत घृतैर्बोधयतातिथिम्। आस्मिन् हव्या जुहोतन स्वाहा।। इदमग्नयेे-इदन्न मम।।’ में कहा गया है कि विद्वान लोगों ! जिस प्रकार प्रेम और श्रद्धा से अतिथि की सेवा करते हो, वैसे ही तुम समिधाओं तथा घृतादि से व्यापनशील अग्नि का सेवन करो और चेताओ। इसमें हवन करने योग्य अच्छे द्रव्यों की यथाविधि आहुति […]
मनुष्य के द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार के जाप और तप किए जाते हैं , जिनमें यज्ञ भी एक प्रकार का साधन है। यज्ञ सृष्टि के आदि काल से अर्थात स्वाम्भुवमनु के काल से प्रचलन में है। हमारे पूर्वज ऋषि – महर्षियों ने यज्ञ को पूजा की सर्वाधिक प्राचीन पद्धति बताया है । वेदों में अग्नि […]
एक मनुष्य अपने जीवन में जितने कर्म एवं क्रियाएं करता है उनका संबंध इच्छा, संवेग ,भावना आदि से न रखते हुए ज्ञान, बुद्धि और विवेक से स्थापित करना चाहिए। यह सभी कर्म क्रियाएं तात्कालिक रूप से अभ्यांतर में अथवा कुछ समय पश्चात मनुष्य के जीवन में दूसरे मनुष्यों को प्रभावित करती हैं । जिनसे दूसरे […]
जब दुनिया में आए हो तो कुछ ना कुछ जोड़ा भी अवश्य होगा। कितनी संपत्ति जोड़ दी ? कितने मकान बना दिए ? कौन-कौन से बेटे के लिए क्या क्या कर दिया ? हमारी जीवन भर यही सोच बनी रही कि उनके लिए धन-संपत्ति जोड़कर जाना है ।उससे अगले आने वाली पीढ़ी के लिए भी […]