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इतिहास के पन्नों से

ईसा मसीह का भारत से सम्बन्ध

-अशोक “प्रवृद्ध” ईसा मसीह और क्रिसमस को लेकर लोगों के मन में अनेक भ्रांतियां, अनगिनत प्रश्न और असंगत कथाओं के कारण अनंत कौतूहल है। यह भी सिद्धप्राय है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म 7 ईसा पूर्व […]

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महत्वपूर्ण लेख

इंडिया नाम बदलकर भारत करने का उचित समय -अशोक “प्रवृद्ध”

देश के कई शहरों व प्रदेशों के नाम परिवर्तित कर पारम्परिक नामों में बदले जाने के पश्चात क्या ऐसा नहीं लगता कि अब देश का नाम भी इंडिया से बदलकर भारत कर देने का उचित समय आ गया है? विभाजित भारत का कोई हिस्सा अब ऐसा नहीं रह गया है, जो अब ब्रिटिश शासकों द्वारा […]

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अध्यात्म, देवत्व व भौतिकता का अद्भुत समन्वयक वसंतोत्सव -अशोक “प्रवृद्ध”

शीतातंक के अपसार हो चलने के पश्चात जराजीर्ण शिशिर का का बहिष्कार करते हुए वसंत ऋतु ने समस्त वसुंधरा सहित मानव मन के ह्रदय पटल पर एक साथ अपने आगमन की दुदुम्भि बजा दी है। मधुमाधवौ वसंत: स्यात् -की उक्ति को चरितार्थ करते हुए वनस्पतियों में नवीन रस का संचार ऊपर की ओर हो रहा […]

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स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन भारतीय गणतांत्रिक अवधारणा

-अशोक “प्रवृद्ध”     विभाजित भारतवर्ष में 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मनाया जाता है। वर्तमान केंद्र सरकार के द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्म दिवस 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाये जाने और उस दिन से ही […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय सनातन संस्कृति की अप्रतिम धारा

अशोक प्रवृद्ध यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि पश्चिम में जिस अरण्य अर्थात जंगल को असभ्यता की निशानी माना जाता है और जिस जंगल के कानून को बर्बरता का पर्यायवाची माना जाता है, वही जंगल हमारे देश भारतवर्ष में संस्कृति के अद्भुत केंद्र रहे हैं और जंगलों में बनाए गये कानूनों अर्थात स्मृति ग्रन्थों से […]

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कृषि जगत

कम लागत, ज्यादा मुनाफा देने वाली है प्राकृतिक कृषि -अशोक “प्रवृद्ध”

कम लागत, ज्यादा मुनाफा, यही तो प्राकृतिक खेती है। आज दुनिया जब बैक टू बेसिक की बात करती है तो उसकी जड़ें भारत से जुड़ती दिखाई पड़ती है। कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी जरूरत […]

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धर्म-अध्यात्म समाज

वर्तमान में व्यापक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं हिंदू धर्म में

-अशोक “प्रवृद्ध” वर्तमान में मांसाहारी होना, राम, कृष्ण, साईं जैसे मनुष्यों को भगवान मानकर पूजन करना, जाति, घूंघट व पर्दा प्रथा का प्रचलन आदि को सनातन वैदिक हिन्दू धर्म का वास्तविक स्वरूप माना जाने लगा है, जो कि हिन्दू धर्म का वास्तविक सनातन स्वरूप नहीं है। आदि काल में सनातन धर्म का ऐसा स्वरूप कदापि […]

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आज का चिंतन

भारतीय वैदिक संस्कृति में धर्म ,अर्थ, काम और मोक्ष की महत्ता

    –अशोक “प्रवृद्ध” आसान व सुलभ ढंग से जीवन -यापन के लिए प्रत्येक व्यक्ति को धन-सम्पदा से सम्पन्न और धन- संपदा के लिए सदैव प्रयत्नशील होना ही चाहिए, और इसमें कोई संदेह नहीं कि निष्ठापूर्वक परिश्रम अथवा साधना करने से मनुष्य को सफलता अर्थात कुछ निधियां अवश्य ही प्राप्त होती हैं। पौराणिक मान्यतानुसार अष्ट सिद्धियों […]

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