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स्वर्णिम इतिहास

ब्राह्मण क्षत्रिय संघर्ष की गाथा गुर्जर और राजपूत

भारत ने ब्रह्मबल और क्षत्रबल दोनों को संयुक्त कर एक अद्भुत व्यवस्था संसार को दी । ब्रह्मबल अपने बौद्धिक मार्गदर्शन से राजा को शासित और अनुशासित रखने का काम करता था । किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति में राजा के दिग्भ्रमित होने की स्थिति में ब्रह्मबल से संपन्न पुरोहित उसे न्याय के लिए प्रेरित […]

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भारत की क्षत्रिय परंपरा और गुर्जर जाति

भारत में जितनी भी क्षत्रिय जातियां आज मिलती हैं वे सभी की सभी भारत की उस प्राचीन क्षत्रिय परंपरा की प्रतिनिधि हैं , जिसे हमारी वर्ण व्यवस्था में क्षत्रिय वर्ण के रूप में मान्यता दी गई थी । वास्तव में मनुष्य के तीन शत्रु माने गए हैं – अन्याय ,अज्ञान और अभाव। जहाँ ब्राह्मण वर्ण […]

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क्या गुर्जर एक विदेशी जाति है ? —- भाग – दो

जिन इतिहासकारों ने गुर्जरों को विदेशी जाति माना है उनमें डॉक्टर डीआर भंडारकर का नाम सबसे पहले लिया जा सकता है। यद्यपि यतेंद्र कुमार वर्मा, रतन लाल वर्मा , गणपतसिंह , मुल्तान सिंह वर्मा , स्वामी वासुदेवानंद तीर्थ , गौरीशंकर हीराचंद ओझा , डॉ दशरथ शर्मा , बी .एन. पुरी , सी. वी. वैद्य आदि […]

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जब महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी कमर नंगी कर दी थी कोड़ा खाने के लिए

महाराजा रणजीत सिंह की माता श्रीमती राज कौर व पिता महा सिंह थे। इनका जन्म 13 नवम्बर 1780 को हुआ गुजरांवाला के पास हुआ था ।जन्म का नाम बुध सिंह था। महाराजा रणजीत सिंह बचपन में चेचक में बाईं आंख खो बैठे थे। गुरुकुल गुजरावाला में इनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई। लेकिन जब 10 वर्ष के […]

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क्या गुर्जर एक विदेशी जाति है ?

भारत में एक भयानक षडयंत्र के अंतर्गत लेखकों का एक ऐसा वर्ग सक्रिय रहा है जो भारत की अनेकों जातियों को विदेशी सिद्ध करने का प्रयास करता रहता है । जबकि भारत की इतिहास परम्परा के ऐसे अनेकों स्पष्ट प्रमाण हैं कि भारत की लगभग सभी वे जातियां जो अपने आप को आर्यों की संतान […]

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पाकिस्तान में हैं हमारे गौरवपूर्ण अतीत के कई तीर्थ स्थल और इतिहास नायकों से जुड़े स्थान

610 ई0 में इस्लाम की स्थापना मोहम्मद पैगंबर द्वारा की गई । 638ई0 से 712 ई0 तक के 73 वर्ष के कालखंड में 9 खलीफाओं ने 15 आक्रमण भारतवर्ष पर किए थे। मोहम्मद बिन कासिम इस्लाम के प्रारंभिक काल में उम्मयद खिलाफत का एक अरब सिपहसालार था। उसने 17 वर्ष की आयु में भारतीय उपमहाद्वीप […]

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जब महाराणा उदय सिंह ने अकबर की जीत को बदल दिया था हार में

राणा उदयसिंह हमारे एक ऐसे इतिहास नायक हैं जिनके साथ अभी तक अन्याय ही होता रहा है । बहुत बहादुर , देशभक्त , वीर स्वतंत्रता सेनानी होने के उपरांत भी उन्हें इतिहास में वह स्थान नहीं मिला है जो उन्हें मिलना चाहिए था । वे मेवाड़ के राणा साँगा के पुत्र और महाराणा प्रताप के […]

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लोक देवता कल्ला जी राठौड़ : जिनके सिरविहीन धड़ ने भी काटी थी अकबर की सेना

अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पण करने वाले देशभक्तों से भारत का इतिहास पटा पड़ा है । यहां पर अनेकों ऐसे ‘दधीचि’ हुए हैं जिन्होंने समय आने पर सहर्ष अपनी अस्थियों का दान लोककल्याण और देश व धर्म की रक्षा के लिए कर दिया । ऐसे ही देशभक्तों में से एक हैं […]

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वैदिक सृष्टि संवत के शुभ आगमन पर

आज प्रातः कालीन की बेला में आपको मेरा सादर नमस्कार व सुप्रभात । नव संवत्सर 2077 के शुभ अवसर पर आपके लिए आपके परिवार के लिए सभी इष्ट मित्र और बंधु बंधुओं के लिए बहुत-बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं। जिस प्रकार से देश में और विश्व में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा है इसमें आप और […]

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जब वेदों को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने की महर्षि दयानंद ने की थी मांग

सभी मतावलंबियों को एक मंच पर आकर देश के लिए काम करने का आवाहन करने वाले महर्षि पहले व्यक्ति थे 1857 की क्रांति के 20 वर्ष पश्चात दिल्ली में एक दरबार का आयोजन 1877 में किया गया। महर्षि दयानंद ने 1857 की क्रांति के समय रह गई चूकों को दूर करने के उद्देश्य से 1877 […]

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