17 मार्च 1527 को हुए खानवा युद्ध के महानायक महाराणा संग्राम सिंह की स्मृति में एक बार राणा सांगा अपने प्राणों को संकट में फंसा देखकर भागे जा रहे थे । उनका जयमल से युद्ध हो रहा था। जयमल भी राणा का पीछा करता जा रहा था। वह पीछे पीछे था और राणा सांगा आगे […]
श्रेणी: स्वर्णिम इतिहास
मुगल बादशाह बाबर के पश्चात उसका साम्राज्य कई भागों में विभक्त हो गया था। उसका एक लड़का कामरान था। जिसने अपनी राजधानी लाहौर और काबुल में बना रखी थी । उसने अपने शासनकाल में एक बार राजस्थान की ओर अपने साम्राज्य का विस्तार करने का विचार किया । इसके लिए कामरान ने एक विशाल सेना […]
मध्यकाल में अपनी सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े किले बनाने और उन किलों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान देने की परंपरा का तेजी से प्रचलन हुआ। क्योंकि युद्ध और एक दूसरे को समाप्त कर उसके धन व राज्य पर अपना अधिकार स्थापित करना इस काल की विशेषता बन गई थी। इसलिए लोग किलों के दरवाजों […]
बात 1660 ईस्वी की है। जब शिवाजी महाराज पन्हाला किले में डेरा डाले पड़े थे । उनके बारे में यह जानकारी मिलने पर कि वह इस समय पन्हाला किले में हैं ,अली आदिलशाह ने अपनी एक सेना जनरल सिद्धि जौहर के नेतृत्व में शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजी। सिद्धि जौहर ने पन्हाला किले को […]
प्राचीन अरबी काव्य-संग्रह ‘शायर-उल्-ओकुल’ में एक महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का रचयिता ‘लबी-बिन-ए-अख़्तर-बिन-ए-तुर्फा’ है। यह मुहम्मद साहब से लगभग 2300 वर्ष पूर्व (18वीं शती ई.पू.) हुआ था । इतने लम्बे समय पूर्व भी लबी ने वेदों की अनूठी काव्यमय प्रशंसा की है तथा प्रत्येक वेद का अलग-अलग नामोच्चार किया है— ‘अया मुबारेक़ल अरज़ युशैये […]
भारत के पुराण इतिहास की घटनाओं के बारे में हमें अच्छी जानकारी देते हैं । पुराणों के अनुसार धरती के सात द्वीप थे- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बू द्वीप जिसे आजकल हम यूरेशिया के नाम से जानते हैं , इन सबके मध्य स्थित था। एक समय था जब इस […]
हमारे आर्य हिंदू परिवारों में जब पंडित लोग कोई संकल्प दिलाते हैं तो उस समय वह जिस मंत्र को बोलते हैं उसमें ‘जम्बूद्वीपे भरतखंडे ‘ – यह शब्द आते हैं। यह मंत्र आर्य विचारधारा के कितना अनुकूल है या कितना प्रतिकूल है ? – हम इस पर कोई चर्चा नहीं करेंगे। परंतु इस मंत्र या […]
मोहम्मद बिन तुगलक का शासन भारतवर्ष में 1325 से लेकर 1351 ईसवी तक माना जाता है। घटना 1337 – 38 की है । इसी वर्ष मोहम्मद बिन तुगलक ने चीन तक अपना साम्राज्य विस्तार करने की एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई। अपनी इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए उसने अपने बहनोई खुसरो मलिक को एक […]
*मंदिर :-* मंदिर सिर्फ एक देव या देवी स्थल ही नहीं होता था बल्कि एक बड़े समुह या जनता या जनसंख्या को एकत्रित, संयोजित और संगठित करने हेतु साधन होता था। आपने इतिहास को खोदें तो आप पाएंगे की मंदिर राजाओं तथा महाराजाओं के द्वारा ही बनाया गया है। और मंदिर में दर्शन करने हेतु […]
आर्यावर्त कालीन आर्य राजाओं की यह विशेषता रही कि वे भारतवर्ष की केंद्रीय सत्ता के प्रति सदैव निष्ठावान रहे । सुदूर प्रांतों में अलग स्वतंत्र राज्य होने के उपरांत भी केंद्र की सत्ता के प्रति वे अपनी आस्था को वैसे ही बनाए रहे जैसे एक पुत्र अपने पिता के प्रति निष्ठावान बना रहता है । […]