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स्वर्णिम इतिहास

आजकल के कुछ स्थानों , शहरों व नगरों के महाभारत कालीन नाम

‘महाभारत’ नाम का ग्रंथ हमें इतिहास संबंधी जानकारी देने वाला ग्रंथ तो है ही , साथ ही वह जीवन को आध्यात्मिक , नैतिक , राजनैतिक और सामाजिक मूल्यों से भरने वाला ग्रंथ भी है। इस ग्रंथ के अध्ययन से हमें अपने वर्तमान के अनेकों स्थानों , नगरों ,कस्बों के प्राचीन नामों की जानकारी होती है […]

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गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास : गुर्जर कुषाण वंश के प्रारंभिक शासक , भाग — 1

पिछले अध्याय में हमने स्पष्ट किया था कि भारतवर्ष में शासन करने वाले कुषाण वंशी शासकों के पूर्वज मूल रूप में भारतीय आर्यों की ही क्षत्रिय शाखा के लोग थे। जो देश , काल व परिस्थिति के अनुसार मध्य एशिया से चलकर भारत पहुंचे । जिन्हें यहाँ के क्षत्रिय समाज के लोगों ने अपने साथ […]

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आज 5 अप्रैल को शाम 9:00 हो रहे महायज्ञ के अवसर पर : इस वीर ने प्रतियोगिता जीतने के लिए अपना सिर फेंक दिया था किले में

हमारे देश ने अपनी स्वाधीनता की प्राप्ति के लिए और अपने वैदिक धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए अनेकों बलिदान दिए हैं । सचमुच यहां के बलिदान विश्व इतिहास में बेजोड़ हैं । ऐसी – ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं कि पढ़कर वसुनकर रोमांच हो जाता है। साथ ही अपने बलिदानी वीर पूर्वजों के […]

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गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास : कुषाण वंश का प्रारंभिक काल

कई इतिहासकारों ने ऐसा माना है कि गुर्जर शासकों का धर्म मिहिर अर्थात सूर्य था । जिन लोगों ने अपनी ऐसी धारणा व्यक्त की है उन्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि मिहिर या सूर्य कोई धर्म नहीं होता , अपितु यह एक देवता है । क्योंकि यह संसार को प्रकाश प्रदान करता है । हम […]

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महाकवि भूषण के शब्दों में छत्रपति शिवाजी की शौर्य गाथा

भूषण वैसे तो रीति काल के कवि थे लेकिन उस दौर में उनकी कलम वीर रस से सराबोर थी। माना जाता है कि भूषण कई राजाओं के यहां रहे और वहां सम्मान प्राप्त किया। पन्ना के महाराज छत्रसाल के यहाँ इनका बड़ा मान हुआ। भूषण ने प्रमुख रूप से शिवाजी और छत्रसाल की प्रशंसा में […]

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क्या है हिंदू कुश पर्वत का सच ?

हिन्दूकुश उत्तरी पाकिस्तान से मध्य अफगानिस्तान तक विस्तृत एक 800 किमी लंबी वाली पर्वत श्रृंखला है। यह पर्वतमाला हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। हिन्दूकुश पर्वतमाला पामीर पर्वतों से जाकर जुड़ती हैं और हिमालय की एक उपशाखा मानी जाती हैं। पामीर का पठार, तिब्बत का पठार और भारत में मालवा का पठार धरती पर रहने […]

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दिव्य और भव्य इतिहास के उत्तराधिकारी हैं हम

श्री राम अयोध्या से वन में पहुंच जाते हैं । पीछे से भरत अपने भाई को वापस अयोध्या लाने के संकल्प के साथ दल बल सहित वन में पहुंच जाते हैं । बहुत ही भावुक दृश्य उत्पन्न होता है । दोनों भाई बिना अस्त्र शस्त्र लिए युद्ध करने लगते हैं । देखने लायक वाक – […]

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गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास : प्रतिहार वंशी शासकों और भारतीय संस्कृति के बारे में विद्वानों के मत , भाग — 2

राणा अली हसन चौहान क्या कहते हैं ? राणा अली हसन चौहान पाकिस्तान के बहुत ही प्रतिष्ठित इंजीनियर, इतिहास लेखक और भाषाविद रहे हैं। वे उन कम पाकिस्तानियों में से हैं जो उर्दू, फारसी, अरबी के अलावा सिंधी, पंजाबी तथा हिंदी व संस्कृत में भी पारंगत थे। वे नागरी लिपि के एक बड़े प्रवर्तकों में […]

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गुर्जर प्रतिहार शासकों और आर्य संस्कृति के बारे में विद्वानों के मत ,भाग — 1

मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत के धर्म व संस्कृति को नष्ट करने और यहाँ पर अपनी इस्लामिक संस्कृति को थोपकर जबरन हिन्दुओं को मुस्लिम बनाने की प्रक्रिया को लागू करने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण करने आरम्भ किए थे । भारत पर सबसे पहला आक्रमण इस्लाम की ओर से 638 ईसवी में किया गया । […]

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गुर्जर इतिहास और हूण शासक

इस लेख को आगे बढ़ाने से पहले हम एक छोटी सी कहानी से अपनी बात आरम्भ करेंगे । एक बार एक युवक एक ऋषि के आश्रम में पहुंचकर उनसे आत्मसाक्षात्कार करने का सरल उपाय पूछने लगा। महर्षि ने उस युवक के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि – ‘पुत्र आत्म साक्षात्कार करने का […]

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