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कविता पर्व – त्यौहार

कविता : नव वर्ष मंगलमय तुमको कहता

सत्य सनातन सर्वहितकारी आएगा जब चैत्र माह। नूतनता सर्वत्र दिखेगी हर्ष का होगा प्रवाह।। तब आप करेंगे अभिनंदन और मैं बोलूंगा नमन नमन। पसरेगी नूतनता कण-कण में मुस्काएंगे नयन नयन।। प्रतीक्षा करो उसकी बंधु अभी शरद यहां डोल रहा। अभी नूतनता का बोध नहीं अभी यहाँ पुरातन बोल रहा।। अभी इच्छा नहीं गले मिलन की […]

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कविता पर्व – त्यौहार

कविता : ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है बाग़ बाज़ारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा है सूना है प्रकृति का आँगन कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं हर कोई […]

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कविता

एक मोती झड़ रहा है

उम्र की डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है…. तारीख़ों के जीने से दिसम्बर फिर उतर रहा है.. कुछ चेहरे कई घंटे, चंद और यादें जुड़ गई वक़्त में…. उम्र का पंछी नित दूर और दूर निकल रहा है.. गुनगुनी धूप और ठिठुरी रातें जाड़ों की.. गुज़रे लम्हों पर झीना-झीना सा इक पर्दा गिर […]

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कविता

मेरा हिंदुस्तान कहां है ?

🇮🇳 *मेरा हिन्दुस्तान कहां है?* जिसपर था सर्वस्व लुटाया, मेरा वो अरमान कहां है? बोलो नेहरू बोलो गांधी, मेरा हिन्दुस्तान कहां है? सैंतालीस में भारत बांटा, ‘उनको’ पाकिस्तान दे दिया; “दो गालों पे थप्पड़ खा लो” मुझे फालतू ज्ञान दे दिया; मुझे बताओ यही ज्ञान तुम, ‘उनको’ भी तो दे सकते थे; नहीं बंटेगी भारत […]

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कविता

व्याकुलता संवेग तीव्र कर …..

*वेद वाणी* आचार्या विमलेश बंसल आर्या ओ३म् अश्मन्वती रीयते संरभध्वं। उत्तिष्ठत प्र तरता सखायः। अत्रा जहीमो अशिवा। ये असन् शिवां वयं उत्तरेम अभि वाजान्।।-यजुर्वेद-३५-१०, भजन🎤 बही जा रही बड़े वेग से, नदी भरी जो पत्थर से। आओ मिलकर पार करें सब, पकड़ के हाथ परस्पर से।। १- मन में हिम्मत प्रथम उठाएं, लक्ष्य साधने लें […]

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कविता

बेटी के अहसास को पिता शब्द नहीं दे सकता

  ” मेरी बेटी श्वेता की डोली 27 नवम्बर 2020 की सुबह हमें भीगी पलकों के साथ छोड़कर ससुराल के लिए विदा हो गई। मेरा साहस नहीं हुआ कि विदा होती अपनी लाडो के सिर पर हाथ रख सकूं। हो सकता है कि मेरी प्यारी बेटी को भी यह बुरा लगा हो । पर जिन […]

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कविता धर्म-अध्यात्म

सत्यार्थ प्रकाश : सृष्टि उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय विषय

*सत्यार्थ प्रकाश* अथ अष्टम समुल्लास —————————– ऋग्वेद- मंडल-१०-सूक्त-१२९-मन्त्र-७ ————————— तर्ज-संग्राम जिंदगी है— ईश्वर की वेद वाणी, कर आचमन ओ प्राणी। जिससे बना जगत यह, पा थाह बन के ज्ञानी। ईश्वर की वेदवाणी, कर– ऋग्वेद दशवें मंडल का, सूक्त एकसौ उन्तीस। है मन्त्र सातवाँ जिसका, विविध रचना जगदीश। वही ही रचयिता सृष्टि, स्वामी परम महा ज्ञानी।। […]

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कविता

कविता – आदर्श जीवन राम का

आदर्श जीवन राम का एक सन्देशा दे रहा आदर्श जीवन राम का । तन हमारा भी बने बस लोक के ही काम का।। विपदा खड़ी जो सामने वह सनातन है नहीं ; बुलबुले पानी में बनते शिकार होते नाश का।। जीवन के संग्राम में सेना सजाओ धर्म की । जीत निश्चित पाओगे है बात यही […]

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कविता

रिश्ता मिट्टी का

रिश्ता मिट्टी का न जाने पानी और मिट्टी का क्या रिश्ता है, न जाने कौन मसीहा है न जाने कौन.फरिश्ता है। पानी और मिट्टी का क्या रिश्ता है चले जाते है लोग दूर गगन की छांव मे, मिट्टी और पानी है पावन मिट्टी और पानी रहते एक दूजे के संग बनकर बहती है गंगा कलकल […]

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कविता

कविता : पूज्य राम तुम बने

पूज्य राम तुम बने समता नहीं है राम की इहलोक व परलोक में। शीश झुकाये सब खड़े विधिलोक- सुरलोक में।। साज सृष्टि का सजा व जगत जब तक चल रहा, गुणगान होता ही रहे भूलोक और सूर्यलोक में।। दिव्य दिवाकर देव बन दुख दूर किये स्वदेश के । सूर्यसम मर्यादा में रह जग के दूर […]

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