Categories
कविता

हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रह कर,

हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रह कर, हमको भी पाला था माँ-बाप ने दुःख सह-सह कर , वक्ते-रुख्सत उन्हें इतना भी न आये कह कर, गोद में अश्क जो टपकें कभी रुख से बह कर , तिफ्ल उनको ही समझ लेना जी बहलाने को ! अपनी किस्मत में अजल ही से सितम […]

Categories
कविता

कमल का ये फूल भारत में खिलते हैं

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी गुलाब के फूल से बागान महकते है चमेली के फूल चमन में चहकते है। राष्ट्रप्रेमी जन नई इबारत लिखते है, कमल का ये फूल भारत में खिलते हैं।। कीचड़ उछालने वाले जग में लाख है मगर, कंठ तक जल में गड़ा, मुस्कुराता है कमल। आंधी तूफ़ान को ये सहते जा […]

Categories
कविता

*’ तपन ‘*

‘ तपन ‘ सुलगती धरती यहाँ पर तप रहा आकाश है गर्म हवाओं के थपेड़े तपन बेहिसाब है आग बरसी है धरा पर प्रचंड सूर्य ताप से झुलसते सब पेड़-पौधे सूनी दिखती राह है तीक्ष्ण अनल सूर्य का या, क्रोध हो इन्सान का अति होती जब किसी की हो पीड़ादायक सर्वदा गहन उष्ण ताप से […]

Categories
कविता

एक अकेला पार्थ खडा है…*

2024 की सबसे शानदार कविता एक अकेला पार्थ खडा है… भारत वर्ष बचाने को । सभी विपक्षी साथ खड़े हैं केवल उसे हराने को।। भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने माया जाल बिछाया है। भ्रष्टाचारी जितने कुनबे सबने हाथ मिलाया है।। समर भयंकर होने वाला आज दिखाईं देता है। राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों ओर सुनाई देता […]

Categories
कविता

क्या हो गया इस संविधान को?

—विनय कुमार विनायक क्या हो गया इस संविधान को? जो हर कोई संविधान बचाने की बातें कर रहा छब्बीस जनवरी उन्नीस सौ पचास से हर वर्ष संविधान में अनेक बदलाव किया जा रहा फिर भी संविधान बचा रहा मरा नहीं हरा-भरा रहा आज संविधान में बदलाव नहीं हो रहा बल्कि हर कार्य संविधान के अनुसार […]

Categories
कविता

*’ कभी सोचा है ‘*

(साहित्य वही उत्तम होता है जो समाज और राष्ट्र का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखता हो। नये ओज और नए तेज से भरने की क्षमता रखता हो। माना कि श्रृंगार रस भी जीवन के लिए आवश्यक है, परंतु युवा पीढ़ी को केवल उसी के मृगजाल में लपेटकर मारने के लिए तैयार किया गया साहित्य साहित्य […]

Categories
कविता

*रखना इतना ध्यान अब देश न जाए हार*

रखना इतना ध्यान अब देश न जाए हार जाति-पांति मत पंथ धन देना सभी बिसार। रखना इतना ध्यान सब देश न जाए हार। उठा तर्जनी ध्यान से मान सुदर्शन चक्र। बढ़े मान-सम्मान सुख भाग्य न होगा वक्र। बटन दबा सम्मान से रखकर साथ विवेक। राष्ट्रदेव आराध ले तज कर स्वार्थ अनेक। शक्ति बड़ी है वोट […]

Categories
कविता

*अबकी बार अगर चूके तो…*

लोकतंत्र के पावन ध्वज को, अम्बर पर फहराना है। अबकी बार अगर चूके तो जीवन भर पछताना है ।। षड़यन्त्रों की काली आंधी, सर्वनाश पर अड़ी खड़ी । और सनातन संस्कृति अपनी, नागों से है घिरी पड़ी ।। एक कालिया हो तो नाथें, जिधर देखिये फन ही फन । इतना उगला जहर कि नीला, जिससे […]

Categories
इतिहास के पन्नों से कविता

होली खेल गये हुलियारे लेखक = स्वामी भीष्म जी महाराज

होली खेल गए हुलियारे। ऐसी होली खेली जगत में बजा वेद का ढोल गए।। सोतों को दिया जगा एक दम खोल पोप की पोल गए। भारत नैया डूब रही थी इसको गए लगा किनारे-॥1॥ लाहौर में कई देहली में ऐसी खेल गए होली। किसी ने खाया छुरा पेट में किसी ने सीने में गोली।। लाखों […]

Categories
कविता

आतंकवादी

आतंकवादी राहू और केतु ने ग्रस लिया सौरमंडल के नियन्ता को सूर्य और चन्द्र को जिनसे होते दिन और रात जिनसे निकलती तारों की बारात जिनके बूते उगता जीवन का अंकुर पशु पक्षी मानव कीट पतंग वनस्पति जीवाणु गरमी जाड़ा व बरसातl निवेदन किये, जोड़ा हाथ पड़े पांव, रोये – गिड़गिडा़ये उनको उनके भी पतन […]

Exit mobile version