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कविता

इसीलिए ऋतुराज हमेशा तुम गांवों में आते हो,*

मुझे पता है तुम्हें शहर की भागदौड़ से मेल नहीं, इसीलिए ऋतुराज हमेशा तुम गांवों में आते हो, गीत फागुनी कौन सुनाए, यहां समय की लाचारी है, नौकरियों में बंधक हैं सब, हँसना गाना तक भारी है, यहां आम की बौर कहां तुम जिन छावोँ में आते हो, इसीलिए ऋतुराज हमेशा तुम गांवों में आते […]

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कविता

कितना कुछ सिमट जाता था एक “नीले से कागज में”…

खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे…!! “और बीच में लिखी होती थी “जिंदगी” नन्हें के आने की “खबर” “माँ” की तबियत का दर्द और पैसे भेजने का “अनुनय” “फसलों” के खराब होने की वजह…!! कितना […]

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राम लला की जय” बोलो उदघोष हो रहा “जय श्री राम”

आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी राम पधार चुके पुर में मन, फूल खिले उर हर्षित जाना। साध सधी प्रण पूर्ण हुआ जब, मंदिर राम बना पहचाना। दीप जले हर ओर सखी जग, में बढ़ता अब भारत माना। रामलला अति सुन्दर शोभित, जन करते उनका जयगाना।। रूप अनूप सजा अनुरूप अलौकिक दिव्य न जाय बखाना। रामललासरकार […]

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कविता

मौन धार चलते रहो

रिश्तों से यदि प्यार है, सीं लो अपने होंठ। कानों से बहरे बनो , झेलो भीतर चोट ।। 11।। रिश्ते रिसते घाव हैं, करो नित्य उपचार। थोड़े से प्रमाद से , उजड़ जाय संसार।। 12।। मौन धार चलते रहो , देख दिनों का फेर। पछवा चले – कचरी फले, आनन्दित करे बेल ।।13।। मत खोजो […]

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कविता

करो लक्ष्य की साधना,

दोहे अपने अपने ना रहे, क्यों करता है मलाल ? तंज कसें दिल तोड़ते, हर घर का यही हाल ।।1।। तीर खाकर देखना, तू पीछे की ओर। अपने ही आते नजर , तेरे चारों ओर।। 2।। करो लक्ष्य की साधना, मत देखो संसार। जिसने साधा लक्ष्य को, हो गया भव से पार ।।3।। दिल में […]

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अवध में राम जी आए

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी अवध में राम जी आए विश्व में धर्म फैलाए सनातन जितनी हुई प्रताड़ित जलवा उतना ही बिखराए।। सबर सबरी सा करती थी डगर रघुवर की तकती थी। खोजते घर उसके आए प्रेम सने जूठे बेर खाए।। गुह निषाद करता इंतजार तरह तरह व्यंजन बनवाया । सेवा में रहा वह दिन […]

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आज का चिंतन कविता

बढ़ता जा जलवा यू पी में

आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी हैं राम हमारे यू पी में हैं श्याम हमारे यू पी मे दशरथ मख भूमि है यू पी में शांता सृंगीनारी यू पी में। सृंगी ऋषि आश्रम यू पी में भरत नंदी ग्राम है यू पी में। विंध्याचल देवी यू पी में पाटन देवी भी यू पी में। शिव की […]

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कविता

पीपल पत्ता हिल रहा , बात कहे अनमोल।

दोहे गाड़ी में मैं चल रहा, मन में बड़ा गुमान। तन की गाड़ी कीमती, नहीं सका पहचान।। 1।। पीपल पत्ता हिल रहा , बात कहे अनमोल। क्षणभंगुर जीवन तेरा, बात हिय में तोल।। 2।। इंसाफ तराजू तोल कर, जो करता इंसाफ । असली मुंशिफ है वही रखता पाक हिसाब।। 3।। भ्रष्टाचारी जेल में, मांग रहे […]

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कविता

हर घर में दीप जलाएंगे ………

आओ मिलकर दीप जलाएं, और मनाएं दिवाली। शुभ पर्व हमारा सबका है,आओ सजाएं हम थाली।। हजारों वर्ष के संघर्षों की, करनी गाथा याद हमें। शौर्य और पराक्रम का, फिर से करना नाद हमें।। लाखों दिए बलिदान आज हम उनको याद करेंगे सब। दीप जलाएंगे हर घर में, उत्साहित परिवेश करेंगे सब।। आज हमारे घर में […]

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कविता

मात पिता का मिलना सचमुच…..

मात पिता का मिलना सचमुच सौभाग्य हमारा होता है। हमारे शुभकर्मों के पीछे संस्कार उन्हीं का होता है।। अच्छे मात-पिता मिल जाना सहज सुलभ नहीं होता है। कोटि-कोटि जन्मों का समझो पुण्य उदित तब होता है।। अपने आप तपें भट्टी में , पर कष्ट नहीं अनुभव करते। जीवन हमारा कुंदन बनता , व्यंग्य नहीं हम […]

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