विवेक भटनागर कम्युनिस्टों से लेकर राष्ट्रवादियों तक सभी एक स्वर से भारत की हजार वर्ष की गुलामी की बात सरलता से कह जाते हैं। बारहवीं शताब्दी में मोहम्मद गोरी के दिल्ली पर कब्जा करने से लेकर वर्ष 1947 में अंग्रेजों के जाने तक के काल को सभी सहज भाव से भारत की गुलामी का […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
मनोज ज्वाला भारत के पुनरुत्थान की ओर सरकार के बढते कदम खबर है कि भारत सरकार अब स्वास्थ्य-चिकित्सा विषयक उच्च-शिक्षा को युरोपियन मेडिकल साइंस की गिरफ्त से मुक्त करने और प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान के विस्तार का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में भी एक बहुत बडा कदम उठा चुकी है । देश में […]
चीनियों ने यह भी दावा किया कि चीन पर आक्रमण हेतु विदेशी शक्तियाँ तिब्बत को शस्त्रास्त्र सज्जित कर रही थीं। वस्तुत: तिब्बत में पश्चिमी जगत के बहुत कम नागरिक थे और तिब्बतियों को प्रधानमंत्री नेहरू वाली नवगठित स्वतंत्र (भारत) सरकार द्वारा अत्यल्प शस्त्रास्त्र मुहैया कराये गये थे। नेहरू तब तक शांत और प्राय: असुरक्षित रही […]
डॉ. जे एन शर्मा संत गंगादास के भाई के पौत्र चौधरी हरदयाल सिंह द्वारा दी गई वंशावली से ज्ञात होता है कि गंगादास के पूर्वज अमृतसर के निकट किसी स्थान से आकर ग्राम रसूलपुर में बस गए थे। डॉ. ब्रजपाल सिंह संत ने बोली के आधार पर पंजाब के माझ प्रदेश से इनका […]
पूनम नेगी (लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।) कभी सोचा है कि क्यों रात को एक तय समय पर पलकें झपकने लगती हैं और सुबह एक तय समय पर खुद व खुद हमारी आंखें खुल जाती हैं। हम ही नहीं पशु-पक्षियों और वृक्ष-वनस्पतियों का जीवनक्रम भी एक सुनिश्चित प्राकृतिक लय के अनुरूप ही चलता है। यह […]
कृपाशंकर सिंह ऋग्वेद मे कुएँ का उल्लेख अनेक ऋचाओं में हुआ है। इससे पता चलता है कि ऋग्वेदिक काल में सिंचाई के साधनों में कुआँ का उपयोग भी होता रहा होगा। इसकी प्रप्ति कई़ ऋचायों मे चरस का नाम आने से भी होती है। सम्भवतः पीने के लिये भी कुएँ के पानी का उपयोग […]
भारत की पावन भूमि पर कई संत-महात्मा अवतरित हुए हैं, जिन्होंने धर्म से विमुख सामान्य मनुष्य में अध्यात्म की चेतना जागृत कर उसका नाता ईश्वरीय मार्ग से जोड़ा है। ऐसे ही एक अलौकिक अवतार गुरु नानकदेव जी हैं। कहा जाता है कि गुरु नानकदेवजी का आगमन ऐसे युग में हुआ जो इस देश के […]
गतांक से आगे… जिन देशों का वर्णन हमने इस प्रकरण में किया है, उन देशों के रहने वालों के रीति-रिवाजों, आचार – व्यवहारों और धर्म- कर्म तथा विश्वासों का विस्तार पूर्वक वर्णन उन देशों का इतिहास लिखने वालों ने किया है, जिससे उनकी असभ्यता और अनार्यता का पता मिल जाता है। हम यहां विस्तारभय […]
भारत में यदि निष्पक्ष रूप से साम्प्रदायिक दंगों का इतिहास लिखा जाए तो यह तथ्य स्थापित हो जाएगा कि भारत में साम्प्रदायिक दंगे उतने ही पुराने हैं जितना पुराना इस्लाम है। मुस्लिम बादशाहों या सुल्तानों के काल में सुनियोजित ढंग से होने वाले नरसंहार इन सांप्रदायिक दंगों का वह वीभत्स स्वरूप था जब हिंदू […]
राष्ट्रीय मुसलमान होना भ्रामक है कांग्रेस ने हिन्दू महासभा जैसे राष्ट्रवादी संगठनों के राष्ट्रवादी विचारों का उपहास उड़ाते हुए उस समय कुछ मुस्लिमों के राष्ट्रवादी मुसलमान होने का भी एक पाखण्ड रचा था। जो लोग कांग्रेसी मंच पर आकर हिन्दू महासभा या भारतवर्ष की संस्कृति और इतिहास नायकों को गाली देते थे उन्हें कांग्रेस के […]