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*अखंड भारत या अखंड आर्यावर्त्त ?*

  डॉ. वेदप्रताप वैदिक शिव सेना के सांसद संजय राउत का यह कहना काफी अजीब सा है कि नाथूराम गोडसे ने गांधी की बजाय जिन्ना को मार डाला होता तो भारत-विभाजन शायद रूक जाता लेकिन राउत भूल गए कि गांधीजी की हत्या विभाजन के ठीक साढ़े पाँच महिने बाद हुई थी। यदि भारत-विभाजन के पहले […]

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देश में बुजुर्गों की आबादी के लिए तंग होते रास्ते

  मधुरेन्द्र सिन्हा रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में किसी भी तरह के बादलाव की घोषणा नहीं की। उसने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को यथावत रहने दिया। आम आदमी की भाषा में इसका मतलब यह हुआ कि ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं। इस बार रिजर्व बैंक की घोषणा का […]

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भारत में अभी भी है पुजारियों का प्रकोप, कैसे होगी मुक्ति ?

व्‍योमेश चन्‍द्र जुगरान उत्तराखंड में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत 51 संबंधित मंदिरों के मैनेजमेंट के निमित्त बना चारधाम देवस्‍थानम बोर्ड राज्‍य सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। इन मंदिरों से जुड़े पुजारियों, तीर्थपुरोहितों का गुस्‍सा सातवें आसमान पर है। मंत्र पढ़ने वाले उनके शालीन मुखों से आमरण अनशन और आत्‍मघात […]

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*महृषि वाल्मीकि का अपमान केवल दलित समाज का नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारत का अपमान है*

  —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” लिब्रांडू गैंग के दरबारी शायर मुनव्वर राना ने एक चैनल से बात करते हुए कहा कि, ‘वाल्मीकि रामायण लिखने के बाद भगवान बन गए, इससे पहले वह एक डकैत थे, व्यक्ति का चरित्र बदल सकता है. इसी तरह तालिबान अभी आतंकवादी हैं, लेकिन लोग और चरित्र बदलते हैं.’ राना ने कहा, […]

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पुलिस को आजाद भारत के अनुकूल बनाने की आवश्यकता

  अशोक मधुप सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और पुलिस के ही एक सिपाही की टिप्पणी देश की पुलिसिंग और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। पुलिस का रवैया कैसा है, यह बताती है। देश की पुलिस ब्रिटिश काल की व्यवस्था की देन है। आजादी के 74 साल बाद भी देश की पुलिस नहीं बदली। […]

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आखिर उत्तर प्रदेश में जाति आधारित जनगणना क्यों कराना चाहते हैं राजनेता ?

  अजय कुमार पश्चिम उत्तर प्रदेश की कुल आबादी का 15 फीसदी होने की वजह से जाट वोटर हमेशा निर्णायक रहते हैं। यहीं से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत जैसे किसान नेता भी निकले थे, जिनके सामने सरकारों नतमस्तक नजर आती थीं। उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना कराए जाने की […]

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*अजय कुमार लल्लू साहब कभी बताएं कि मस्जिद और मदरसों में क्या सिखाया जाता है* —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

🙏बुरा मानो या भला 🙏   —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” बीते सोमवार को नगर क्षेत्र के दशहरा बाग मैदान से कलेक्ट्रेट तक आयोजित ‘बीजेपी गद्दी छोड़ो मार्च’ कार्यक्रम में बाराबंकी पहुंचे अजय कुमार लल्लू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के पिता को “अब्बा” कहे जाने वाले बयान पर पलटवार […]

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उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण सब्जियों में आलू की तरह है*

🙏बुरा मानो या भला 🙏   —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” उत्तरप्रदेश के ब्राह्मण समाज का हाल ठीक वैसा ही है जैसा कि सब्जियों में आलू का होता है। आलू हर सब्जी में पड़ता है लेकिन उसका ख़ुद का कोई नाम नहीं होता। उदाहरण के तौर पर सेम के साथ आलू पड़ता है लेकिन सब्जी सेम की […]

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अबू कासिम आजमी साहब इससे पहले भी कभी संविधान याद आया आपको ?

🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” सपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू कासिम आजमी ने कहा है कि यूपी में संविधान नाम की कोई चीज नहीं रह गई है. योगी सरकार को देश के संविधान में यकीन नहीं है. अदालतों को बंद कर वहां पर स्कूल-कॉलेज खोल देने चाहिए. अबू आजमी साहब […]

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गधे की मजार

  #डॉविवेकआर्य (वीरवार के दिन पीरों-मजारों वालों के लिए विशेष रूप से प्रकाशित) एक फकीर किसी बंजारे की सेवा से बहुत प्रसन्‍न हो गया। और उस बंजारे को उसने एक गधा भेंट किया। बंजारा बड़ा प्रसन्‍न था गधे के साथ। अब उसे पेदल यात्रा न करनी पड़ती थी। सामान भी अपने कंधे पर न ढोना […]

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