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*महृषि वाल्मीकि का अपमान केवल दलित समाज का नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारत का अपमान है*

 

—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

लिब्रांडू गैंग के दरबारी शायर मुनव्वर राना ने एक चैनल से बात करते हुए कहा कि, ‘वाल्मीकि रामायण लिखने के बाद भगवान बन गए, इससे पहले वह एक डकैत थे, व्यक्ति का चरित्र बदल सकता है. इसी तरह तालिबान अभी आतंकवादी हैं, लेकिन लोग और चरित्र बदलते हैं.’

राना ने कहा, ‘जब आप वाल्मीकि के बारे में बात करते हैं, तो आपको उनके अतीत के बारे में भी बात करनी होगी. अपने धर्म में आप किसी को भी भगवान बना सकते हैं, लेकिन वह एक लेखक थे और उन्होंने रामायण लिखी. लेकिन हम यहां प्रतिस्पर्धा में नहीं हैं.’

इस बयान के बाद राना के खिलाफ धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 295ए (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जान-बूझकर किया गया दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 505 (1) (बी) (सामान्य जन या जनता के किसी वर्ग के बीच भय पैदा करना) और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।

मुनव्वर राना के विरुद्ध देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत होना चाहिए। लेकिन यहाँ मुनव्वर राना से भी ज़्यादा बड़े अपराधी वह तमाम मीडिया बन्धु और नेतागण इत्यादि हैं जिन्होंने मुनव्वर राना द्वारा महृषि वाल्मीकि जी के अपमान को केवल दलित समाज के अपमान तक ही सीमित कर दिया। यह ठीक ऐसा ही है जैसे कहा जाता है कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम किया गया और उन्हें कश्मीर छोड़ने पर विवश किया गया। जबकि सच यह है कि कश्मीर से हिंदुओं का पलायन हुआ था न कि किसी जाति विशेष का।
ठीक इसी प्रकार पवित्र रामायण लिखने वाले महृषि वाल्मीकि केवल दलित समाज के ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के पूर्वज थे, उनका अपमान पूरे भारत का अपमान है।
पवित्र रामायण हिंदुओं का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए पवित्र और पावन धर्मग्रन्थ है। और श्रीराम सभी के हृदय में बसे हैं। वह सभी लोग जिनके हृदय में श्रीराम बसे हैं, उनको महृषि वाल्मीकि अपने गुरु समान ही प्रतीत होते हैं, जिन्होंने श्रीराम के जीवन चरित्र से हम सबको भलीभांति अवगत कराया था।
मुनव्वर राना द्वारा महृषि वाल्मीकि के अपमान को केवल दलित समाज का अपमान मानना बेहद संकुचित और संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है। ऐसे में उन तमाम लोगों पर भी कार्यवाही होनी ही चाहिए जो महृषि वाल्मीकि को केवल एक जाति विशेष से जोड़कर देख रहे हैं। क्योंकि ऐसा करके वह हिन्दू समाज को तोड़ने का षडयंत्र रच रहे हैं।
मुनव्वर राना जैसे लोग “शायर” नहीं बल्कि “शातिर” हैं। ये किसी समाज या वर्ग विशेष के शत्रु नहीं हैं बल्कि यह पूरे मानव समाज के दुश्मन हैं। मुनव्वर राना जैसे तमाम लोग “बौद्धिक आतंकी” की श्रेणी में आते हैं, जो अपने विचार और वाणी के माध्यम से भारत की एकता, अखंडता और सौहार्द को पलीता लगाने का हरसम्भव प्रयास करते रहते हैं। ऐसे लोगों को उनके असल मकसद में कामयाब होने देना भी स्वयं में एक गम्भीर श्रेणी का अपराध ही है।

🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।

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