लेखक:- प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज यूरो-ईसाई लेखन को कैसे पढ़े? पूर्व में हमने 19वीं शती ईस्वी के यूरोप की पृष्ठभूमि बताई है। इस पृष्ठभूमि की जानकारी के साथ हमें इन यूरोपीय ईसाई कथित इतिहास लेखकों के लेखन को पढ़ना चाहिये। इनके लिखने का प्रयोजन क्या है, यह सदा समझ लेना चाहिये। इसके लिये एक तो […]
श्रेणी: आओ कुछ जाने
-प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज भारत के इतिहास के विषय में 15 अगस्त 1947 ईस्वी के बाद सरकार द्वारा नियंत्रित शिक्षण संस्थाओं में केवल उसे ही प्रामाणिक तथ्य की तरह प्रस्तुत किया गया जो यूरोपीय लेखकों ने लिखा। महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी यूरोपीय देश में उनका इतिहास इस आधार पर एक शब्द भी नहीं […]
मिथिलेश कुमार सिंह बर्थ एंड डेथ रजिस्ट्रेशन में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं कई लोग आज भी जन्म मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो उनके लिए यह समझना जरूरी है कि कानूनन यह बहुत जरूरी प्रक्रिया है, जिसे आप को समय रहते पूरा कर लेना चाहिए। यूं भी जन्म प्रमाण-पात्र […]
लेखक:- डॉ. मुरली मनोहर जोशी (लेखक पूर्व केद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री हैं) कालगणना की युगपद्धति अथवा कल्पपद्धति हमारे देश के व्यावहारिक जगत् में बहुप्रचलित एवं सर्वमान्य थी। तब प्रश्न यह उठता है कि मानव के पृथ्वी पर प्रादुर्भाव के इतने पूर्व की कालगणना का आधार क्या था? कल्पारंभ से गणना करना अथवा उसका […]
वैद्य भगवान सहाय हम स्वस्थ रहें, इससे अधिक चिंता हमें इस बात की होती है कि हमारे बच्चे स्वस्थ रहें। इसके लिए आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने कई प्रकार के अनुसंधान किए हैं। इनमें से एक है टीकाकरण। टीकाकरण का सीधा अर्थ है कि किसी बीमारी को होने से पहले ही रोकने का उपाय करना। […]
प्रस्तुति:- राकेश कुमार आर्य (बागपत) एक बार राजा परीक्षित आखेट हेतु वन में गये। वन्य पशुओं के पीछे दौडऩे के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गये तथा जलाशय की खोज में इधर उधर घूमते घूमते वे शमीक ऋषि के आश्रम में पहुँच गये। वहाँ पर शमीक ऋषि नेत्र बंद किये हुये तथा शान्तभाव […]
लीना मेहेन्दले वर्ष 1802 में इंग्लैड के श्री जेनर ने चेचक के लिए वैक्सीनेशन खोजा। यह गाय पर आए चेचक के दानों से बनाया जाता। लेकिन इससे दो सौ वर्ष पहले से भारत में बच्चों पर आए चेचक के दानों से वैक्सीन बनाकर दूसरे बच्चों का बचाव करने की विधि थी। इस बाबत दसेक […]
राजेंद्र सिंह भारतीय रसायन शास्त्रा का इतिहास लाखों वर्ष पुराना है। भारतीय रसायन शास्त्रा के अनेक विवरण भगवान शिव से जुड़े हुए हैं। शिव कोई आज के काल के हैं नहीं। इसी प्रकार यदि हम रामायण काल को देखें तो वाल्मिकी के शिष्य थे भारद्वाज। उन्होंने यंत्रासर्वस्व नामक ग्रंथ लिखा था। इसमें एक […]
पूनम नेगी भारत की संस्कृति राममय है। हर सच्चे भारतीय के दिल में बसते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और उनके जीवन आदर्श। हमारे देश में ऐसे अनेक प्राचीन स्थल हैं जो श्रीराम के जीवन से निकटता से जुड़े हैं। यंी तो श्रीराम की जन्मभूमि के रूप में उत्तर प्रदेश में पावन सरयू के तट […]
डॉ. विवेक आर्य पंजाब में स्वयं को वाल्मीकि कहने वाले कुछ लोगों ने रावण की पूजा करना आरम्भ किया है। ये लोग अपने आपको अब द्रविड़ और अनार्य कहना पसंद करते है। इन्होंने अपने नाम के आगे दैत्य, दानव, अछूत और राक्षस जैसे उपनाम भी लगाना आरम्भ किया हैं। ये लोग स्वयं को हिन्दू […]