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स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा श्रीराम, अध्याय – 14 ( ग ) सिंहावलोकन

सिंहावलोकन       भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की महानता इसी में निहित है कि भारत भूमि को पुण्य भूमि व पितृ भूमि बनाने में श्रीराम का महत्वपूर्ण योगदान है। उस योगदान को भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद अपनी मौलिक चेतना का एक महत्वपूर्ण और अजस्र स्रोत मानता है। श्री रामचंद्र जी के योगदान को भारत की पुण्य […]

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25 दिसम्बर/जन्म-दिवस : हिन्दुत्व के आराधक महामना मदनमोहन मालवीय

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का नाम आते ही हिन्दुत्व के आराधक पंडित मदनमोहन मालवीय जी की तेजस्वी मूर्ति आँखों के सम्मुख आ जाती है। 25 दिसम्बर, 1861 को इनका जन्म हुआ था। इनके पिता पंडित ब्रजनाथ कथा, प्रवचन और पूजाकर्म से ही अपने परिवार का पालन करते थे। प्राथमिक शिक्षा पूर्णकर मालवीय जी ने संस्कृत तथा […]

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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा श्रीराम, अध्याय – 14 ( ख ) सिंहावलोकन

सिंहावलोकन     राजनैतिक विचारक एंथोनी डी. स्मिथ ने राष्ट्र को कुछ इस तरह परिभाषित किया है, ‘मानव समुदाय जिनकी अपनी मातृभूमि हो, जिनकी समान गाथाएं और इतिहास एक जैसा हो, समान संस्कृति हो, अर्थव्यवस्था एक हो और सभी सदस्यों के अधिकार व कर्तव्य समान हों।’          यदि एंथोनी के इस कथन पर विचार किया जाए […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज : डेढ़ अरब के मुकाबले पर इकला ही शेर दहाड़ा था

राष्ट्र आराधक स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज {बलिदान दिवस} स्वामी जी का हरयाणा में प्रभाव डेढ़ अरब के मुकाबले पर इकला ही शेर दहाड़ा था। जो कोई आया मुकाबले पर उस को ही मार पछाडा़ था। ऋषिवर देव दयानंद के जितने गुण गायें उतने ही थोडे़ हैं। महाभारत के पश्चात अनेक प्रकार की परम्परा भारतवर्ष की […]

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स्वामी श्रद्धानन्द जी का हिंदी प्रेम

(स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस पर विशेष रूप से प्रचारित). (प्रेरणदायक संस्मरण) स्वामी श्रद्धानन्द जी के महाराज के हिंदी प्रेम जगजाहिर था। आप जीवन भर स्वामी दयानंद के इस विचार को की सम्पूर्ण देश को हिंदी भाषा के माध्यम से एक सूत्र में पिरोया जा सकता हैं सार्थक रूप से क्रियान्वित करने में अग्रसर रहे। सभी […]

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उदारता की प्रतिमूर्ति थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

अपनी वक्तृत्व कला ,प्रशासनिक क्षमता और राजनेता के सभी गुणों से भरपूर  निराले व्यक्तित्व के स्वामी अटल बिहारी वाजपेयी भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री थे। 25 दिसंबर 1924 को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में हुआ था । उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से आरंभ किया। देश भक्ति और […]

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शल्य चिकित्सा के पितामह थे आचार्य सुश्रुत

उगता भारत ब्यूरो शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के पितामह और सुश्रुतसंहिता के प्रणेता आचार्य सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व काशी में हुआ था। सुश्रुत का जन्म विश्वामित्र के वंश में हुआ था। इन्होंने धन्वन्तरि से शिक्षा प्राप्त की थी। सुश्रुतसंहिता को भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष स्थान प्राप्त है। इसमें शल्य चिकित्सा के विभिन्न […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी राजा नाहर सिंह

बल्लभगढ़ नरेश राजा नाहर सिंह लेखक :- स्वामी ओमानन्द जी महाराज पुस्तक :- देश भक्तों के बलिदान 1857 में भारतीय स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु प्रज्वलित प्रचण्ड समर अग्नि में परवाना बनकर जलने वाले अगणित ज्ञात एवं अज्ञात नौनिहाल शहीदों में बल्लभगढ़ नरेश राजा नाहरसिंह का नाम अत्यन्त महत्वपूर्ण है । दिल्ली की जड़ में अंग्रेजों के […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

एक अनुपम व्यक्तित्व के स्वामी श्रद्धानंद भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन की रीढ़ थे

लेखक: सहदेव समर्पित, संपादक शांतिधर्मी मासिक, जींद 9416253826 स्वराज्य तभी संभव हो सकता है जब हिन्दू इतने अद्दिक संगठित और शक्तिशाली हो जाएँ कि नौकरशाही तथा मुस्लिम धर्मोन्माद का मुकाबला कर सकें। -स्वामी श्रद्धानन्द मृतप्रायः हिन्दू जाति की रगों मेें नये रक्त का संचार करने वाले, अपनी सिंह-गर्जना से देश और धर्म के दुश्मनों को […]

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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा श्रीराम, अध्याय – 14 ( क ) सिंहावलोकन

सिंहावलोकन श्रीराम को भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की चेतना का एक महत्वपूर्ण स्रोत कहा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि श्रीराम ही इस चेतना के एकमात्र स्रोत हैं। क्योंकि भारतीय चेतना का यह स्रोत तो सृष्टि के आदि से प्रवाहित होता चला आ रहा है। इसके महत्वपूर्ण संरक्षक के रूप में श्रीराम हमारे लिए बहुत […]

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