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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मोहम्मद गोरी को हराने वाली रानी नायका और राजा भीमदेव

शाहिद रहीम अपनी पुस्तक ‘संस्कृति और संक्रमण’ के पृष्ठ 243 पर लिखते हैं- ‘1026 ई. से 1174 ई. तक की डेढ़ शताब्दी में कोई आक्रमण (भारत पर) नहीं हुआ। लेकिन संक्रमण के राजनीतिक प्रभाव से स्थिति इतनी दुरूह हो गयी कि संपूर्ण भौगोलिक क्षमता को आधार बनाकर कोई केन्द्रीय सत्ता स्थापित न हो सकी। धरती […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मोहम्मद गोरी को हराने वाली रानी नायका और राजा भीमदेव

शाहिद रहीम अपनी पुस्तक ‘संस्कृति और संक्रमण’ के पृष्ठ 243 पर लिखते हैं- ‘1026 ई. से 1174 ई. तक की डेढ़ शताब्दी में कोई आक्रमण (भारत पर) नहीं हुआ। लेकिन संक्रमण के राजनीतिक प्रभाव से स्थिति इतनी दुरूह हो गयी कि संपूर्ण भौगोलिक क्षमता को आधार बनाकर कोई केन्द्रीय सत्ता स्थापित न हो सकी। धरती […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

पानीपत ने इब्राहीम को विदा कर बाबर को सत्ता सौंप दी

इब्राहीम लोदी का शासन भारत में 1517 ई. से 1526 ई. तक रहा। उसके काल में भी विद्रोहों की हिन्दू परंपरा पूर्ववत निरंतर जारी रही। जब वह सुल्तान बना था तो उसे अपने ही लोगों से सत्ताच्युत करने की चुनौती मिली। फलस्वरूप सल्तनत में गृहयुद्घ की भी स्थिति उत्पन्न हो गयी। उसी के भाई शहजादा […]

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उलझा दिया था बहलोल लोदी को चुनौतियों के जंजाल में

यूनानी नही बढ़ पाये थे आगे अमेरिका में कुछ समय पूर्व सिकंदर पर एक फिल्म बनायी गयी थी। जिसमें दर्शाया गया था कि सिकंदर झेलम के किनारे पोरस से अपमानजनक ढंग से पराजित हुआ था। सिकंदर की वीरता से तो यूनानी हतप्रभ थे। साथ ही उन्हें जिस बात ने सर्वाधिक प्रभावित और भयभीत किया था […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

प्रांतीय स्तर पर भी निरंतर जारी रहा स्वतंत्रता संग्राम

रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं….. राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ में लिखा है-‘‘लड़ाई मारकाट के दृश्य तो हिंदुओं ने बहुत देखे थे। परंतु उन्हें सपने में भी उम्मीद न थी कि संसार में एकाध जाति ऐसी हो सकती है, जो मूर्तियों को तोडऩे और मंदिरों को भ्रष्ट करने […]

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स्वतंत्रता के परमोपासक महाराणा मोकल और कुम्भा

वास्तव में  हम 1400 ई. से 1526 ई. तक (जब तक कि बाबर न आ गया था) के काल में उत्तर भारत में अपने-अपने साम्राज्य विस्तार के लिए विभिन्न शक्तियों के मध्य हो रहे संघर्ष की स्थिति देखते हैं। इसी संघर्ष की स्थिति से गुजरात, मालवा और मेवाड़ निकल रहे थे। ये एक दूसरे से आगे निकलने और एक दूसरे […]

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तब हम बुद्घ के नही युद्घ के उपासक बन इतिहास बना रहे थे

जिस प्रकार कटेहर ने ताजुल मुल्क और उसके सुल्तान को आनंद की नींद नही सोने दिया और लगभग हर वर्ष कटेहर के स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए दिल्ली के सुल्तान को भारी सेना भेज-भेजकर अपनी विवशता का प्रदर्शन करना पड़ा। वही स्थिति दोआब ने भी सुल्तान के लिए बनाये रखी। पिछले पृष्ठों पर भी […]

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कटेहर नरेश हरिसिंह ने मनवाया सुल्तानों सेे अपनी वीरता का लोहा

स्वतंत्रता, हमारी सांस्कृतिक धरोहर अग्नि का स्वाभाविक गुण (धर्म) जलाना है, इसलिए अग्नि से किसी को ये कहना नही पड़ता कि-‘हे, अग्निदेवता!  आप लकड़ी को जला डालो।’ इसके विपरीत बिना कहे अग्नि स्वयं ही लकड़ी को जला डालती है। इसी प्रकार भगवान की करूणा है, जिसे मांगा नही जाता। वह स्वयं ही हमें अपनी करूणा […]

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तुगलक वंश के अंतिम क्षणों तक सल्तनत को मिली हिंदू-चुनौती

हमारे दुर्भाग्य का दु:खद पहलू हम भारतीयों के दुर्भाग्य का सबसे दु:खद पहलू यह है कि हमारे देश का प्रचलित इतिहास इस देश की माटी से हमें नही जोड़ता। विदेशी इतिहासकारों ने इस पावन देश की पावन माटी से किसका संबंध है, यह प्रश्न भी उलझा दिया है-ये कह कर कि यहां जो भी लोग […]

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भारत में सर्वत्र हुआ था तैमूर का व्यापक प्रतिरोध

दिल्ली यूं तो अब से पूर्व कई विदेशी आक्रांता या बलात् अधिकार कर दिल्ली के सुल्तान बन बैठे शासकों के आतंक और अत्याचार का शिकार कई बार बन चुकी थी, पर इस बार का विदेशी आक्रांता और भी अधिक क्रूरता की वर्षा करने के लिए आ रहा था। हिंदू प्रतिरोध यद्यपि निरंतर जारी था, परंतु […]

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