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बिखरे मोती

बिखरे मोती : यदि भगवद् धाम की चाह है –

बिखरे मोती यदि भगवद् धाम की चाह है – भक्ति का पाथेय ले, चल मंजिल बड़ी दूर। यही सफर में काम दे, मत चाटे जग धूर॥2193॥ प्रभु कृपा का पात्र बनना है तो- पल पल तेरा कीमती, वृथा मति गवाय। भक्ति भलाई में लगा, दाता खुश हो जाय॥ 2194॥ श्रेय मार्ग ही प्रभु – मिलन […]

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बिखरे मोती: जो प्रभु के समीप रहते हैं-

ईश समर्पित हो रहे, हृदय में सद्भाव। प्रेम – भाव आदर बड़े, मीठा सरल स्वभाव॥2186॥ मन की शक्ति के संदर्भ में- रुचि क्षमता को जानके, मन को लक्ष्य पै डाट। मनोरथ करता पूर्ण है, शक्ति- स्रोत विराट॥2187॥ प्रभु कृपा के संदर्भ मे- हरि – कृपा बिन ना मिले, यश-धन और सम्मान। अर्जुन जीता युद्ध को, […]

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बिखरे मोती : मिथ्याचार से सदाचार ही श्रेयस्कर है-

मिथ्याचार से सदाचार ही श्रेयस्कर है- मिथ्याचार को छोड़ कै, धारण कर सदाचार। सम्यक संयम विवेक से, करना सद्व्यवहार॥2165॥ संसार में परमपिता परमात्मा सबसे बड़ा सहारा है – आश्रय ले हरि ओ३म का, सबसे बड़ा सहाय। सीधा जा बैकुंठ को, ज्यो उसका हो जाय॥2166॥ भक्ति – मार्ग अति कठिन है इसलिए सदैव सतर्क रहिए- भक्ति […]

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बिखरे मोती : मुसीबत में भी महापुरुषों के मुख पर मुस्कान होती है

मुसीबत में भी महापुरुषों के मुख पर मुस्कान होती है कांटो में हंसता रहे, देखो सदा गुलाब। फूलों का राजा यही, खुशबू है नायाब॥2155॥ ध्यान तो दिल का द्वार है, इसे तू निशदिन खोल। अनहद नाद को सुन जरा, ओ३म ओ३म ही बोल॥2156॥ मनुष्य के गुण ही दूसरों को आकर्षित करते हैं – फूल में […]

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बिखरे मोती: सकारात्मक और नकारात्मक सोच के संदर्भ में –

सकारात्मक और नकारात्मक सोच के संदर्भ में – कुमति-सुमति से कभी, होता नहीं है मेल। पश्चाताप मन में रहे, एक दिन बिगड़ै खेल॥ 2145॥ सज्जन और दुर्जन के संदर्भ में – सज्जन की दिखती कमी, दूर्जन की फिरै डार। रहना दुष्टों के बीच हो , संयत रख व्यवहार॥2146॥ लक्ष्य प्राप्ति के संदर्भ में – प्रेरक […]

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बिखरे मोती : भक्ति, शक्ति और शान्ति के संदर्भ में

भक्ति,शक्ति,शान्ती, हर एक जन की चाह। प्रभु – कृपा से ही मिले, जब हो नरम निगाह॥ 2135॥ प्रभु – भक्ति के संदर्भ में प्रभू- भजन में भूलकै, मत करना प्रमाद। ब्रह्म – मुहूर्त में उठाे, करो प्रभु को याद॥2136॥ हे मनुष्य तो आनन्द लोक से आया है और तेरा गणत्वय भी वही है – आया […]

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बिखरे मोती विशेष: – त्रिगुणातीत से क्या अभिप्राय है ?

त्रिगुणातीत से क्या अभिप्राय है ? आसक्ति – अहंकार को, जिसने लिया जीत । उद्वेगों से दूर मन, हो गया त्रिगुणातीत॥ तत्त्वार्थ : – यह दृश्यमान प्रकृति परमपिता परमात्मा की सुन्दरतम रचना है । ‘ प्र ‘ से अभिप्राय प्रमुख, विशिष्ट अर्थात् सुन्दरतम और कृति से अभिप्रया है – रचना यानी की परमपिता परमात्मा की […]

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बिखरे मोती : सुख दुःख के संदर्भ में

सुख दुःख के संदर्भ में रात में प्रभात छिपा है, मत ना होय अधीर । काल चक्र से बच नही पाये, राजा हो या फकीर॥2117॥ कर्म की आत्मा भाव है – कर्म फल देता नही, फल देता है भाव । कर्मा शय वैसा बने, जैसे मन के भाव॥2118॥ ज्ञान-कर्म -उपासना के संदर्भ में – ज्ञान, […]

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नववर्ष के अवसर पर मानव जीवन के संदर्भ में

बिखरे मोती नववर्ष के अवसर पर मानव जीवन के संदर्भ में – अरे यह साल भी बीता, अरे यह साल भी बीता । मगर भक्ति के मार्ग में, खड़ा हूं आज भी रीता॥ अरे यह साल भी बीता … मन में विकारों का लगा है, आज भी डेरा । माया ठगनी ने मुझे, चहुँ ओर […]

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साधना स्वान्त सुखाय है, दिखावे की नहीं बात ।

साधना के संदर्भ में – साधना स्वान्त सुखाय है, दिखावे की नहीं बात । वहीं साधना श्रेष्ठ है, जिसमें मन खो जात॥2107॥ दुष्ट और सज्जन के मन की तरंगों (Vibration) के संदर्भ में – मन को शान्ति देत है, साधु से मुलाक़ात । दुष्ट के दर्शन मात्र से, हृदय दुःखी हो जात॥2108॥ सज्जन की सलाह […]

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