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भारतीय संस्कृति

क्या है महिला सशक्तिकरण

” तोड़ के पिंजरा जाने कब उड़ जाऊँगी मैं लाख बिछा दो बंदिशे फिर भी आसमान मैं जगह बनाऊंगी मैं हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ भले ही रूढ़िवादी जंजीरों सेबांधे है दुनिया ने पैर मेरे फिर भी इसे तोड़ जाऊँगी मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी जो हालत से हारे […]

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प्राचीन ग्रंथों में भारतीय राजनय

प्राचीन भारत में विभिन्न धर्म ग्रन्थों में राजनय से सम्बन्धित उपलब्ध सामग्री का वर्णन इस प्रकार है :- मनुस्मृति मानव धर्म पर लिखित मनुस्मृति, भारत की एक ऐसी अति प्राचीनतम कृति है, जिसमें राजदूतों तथा उनके कार्यों का विस्तृत वर्णन मिलता है। मनु के द्वारा दिये गये नियमों में पड़ोसी देशों के साथ राजनीतिक सम्बन्धों […]

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संस्कारों से निर्मित भारतीय संस्कृति

वेद के रूप में ईश्वर ने मानव को एक संविधान देकर सुव्यवस्था प्रदान की । जबकि उपनिषदों ने मानव मन में उभरने वाले अनेकों गम्भीर प्रश्नों का उत्तर देकर उसकी शंकाओं का समाधान किया । अब बारी थी एक सुव्यवस्थित समाज को आगे बढ़ाने की । जिसके लिए हमारे ऋषियों ने 16 संस्कारों का विधान […]

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परमात्मा ने संसार सत पुरुषों के सुख व आत्म कल्याण के लिए बनाया है

ओ३म् “परमात्मा ने संसार सत्पुरुषों के सुख व आत्म कल्याण के लिये बनाया है” ========== हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना और न ही यह पौरुषेय रचना है। इस संसार को मनुष्य अकेले व अनेक मिलकर भी नहीं बना सकते। हमारा यह सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, सौर मण्डल तथा ब्रह्माण्ड अपौरुषेय और ईश्वर से रचित हैं। […]

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देश हित के कार्यों से रहित कोरा आध्यात्मिक जीवन उचित नहीं

ओ३म् ========== मनुष्य इस जड़-चेतन संसार में जन्म लेता व मृत्यु को प्राप्त होता है। उसे यह पता नहीं होता कि उसका जन्म क्यों हुआ व उसे क्या करना है? उसे यह भी पता नहीं होता कि जन्म से पूर्व वह था या नहीं और यदि था तो वह कहां था? मरने पर उसकी आत्मा […]

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आर्य समाज के यशस्वी विद्वान डॉ विनोद चंद्र विद्यालंकार जी

ओ३म् =========== डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी आर्यसमाज के यशस्वी विद्वान हैं। आप वेदों के सुप्रसिद्ध विद्वान डा. आचार्य रामनाथ वेदालंकार जी के सुपुत्र है। डा. रामनाथ वेदालंकार जी भारत के राष्ट्रपति जी से संस्कृत के विद्वान के रूप में सम्मानित थे। उन्होंने सामवेद का संस्कृत और हिन्दी में भाष्य किया है। आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार […]

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महर्षि दयानंद की विशेषता और सत्यार्थ प्रकाश

इन महापुरुषों में महर्षि दयानंद सरस्वती का विभिन्न कारणों से प्रमुख और महत्वपूर्ण स्थान है। उनका बाह्य व्यक्तित्व जहाँ विशेष आकर्षित करने वाला था (सवा छह फुट से अधिक लंबा कद, गोरा रंग, ब्रह्मचर्य एवं योगाभ्यास के परिपुष्ट बलिष्ठ शरीर, विलक्षण मेधाशक्ति, ओजस्वी वाणी), वहीँ विशाल वैदिक वाङ्मय के गहन ज्ञान से सम्पन्न, चिंतनशील, तर्कशील, […]

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क्या सनातन वैदिक धर्म अमर है और इसके सभी अनुयाई सुरक्षित हैं ?

ओ३म् ============ संसार का सबसे पुराना धर्म और संस्कृति वेद और वैदिक धर्म है। वैदिक मान्यताओं के अनुकूल व अनुरूप ही जीवन शैली से सम्बन्धित सभी विचार, मान्यतायें एवं परम्परायें वैदिक संस्कृति का निर्माण करती हैं व कहलाती हैं। जो मान्यता व कर्म वेदानुकूल हों, वही मनुष्यों के लिये करने योग्य होता है और जो […]

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सज्जनों से द्वेष और दुष्ट व असत्य आचरण वालों से प्रेम उचित नहीं

ओ३म् =========== द्वेष किसी से नफरत करने को कहते हैं। इसके अनेक कारण होते व हो सकते हैं। कुछ लोग अच्छे होते हैं परन्तु हम अपने किन्हीं स्वार्थों के कारण उनसे द्वेष करते हैं। ऐसा करना वस्तुतः बुरा है। परन्तु कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने स्वार्थ के लिये दूसरों के हितों की […]

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अपने जीवन के जन्म और विवाह वर्षगांठ आदि अवसरों पर क्या कुछ करें

ओ३म् =========== मनुष्य जीवन परमात्मा का जीवात्मा को सबसे उत्तम व महत्तम उपहार है। हम विचार करें कि क्या ऐसा उत्तम उपहार ईश्वर के अतिरिक्त कोई किसी जीवात्मा को दे सकता है? हम पाते हैं कि इससे उत्तम उपहार संसार में दूसरा कोई नहीं है। ईश्वर ने हमें यह उपहार इस जन्म में तो दिया […]

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