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आज का चिंतन

क्या सनातन धर्म को वास्तव में कभी कोई संकट पैदा हो सकता है ?

ओमप्रकाश श्रीवास्तव पहले विज्ञान की बात करें। प्रकृति के नियम स्वमेव पैदा हुए हैं। प्रकृति उन्हीं नियमों से चलती है, भले ही हम उन्हें जानें या न जानें। प्रकृति के इन्हीं नियमों की खोज विज्ञान है। जब हम गुरुत्वाकर्षण नियम नहीं जानते थे तब भी पेड़ से टूटा फल जमीन पर ही गिरता था। हिन्‍दूधर्म […]

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चित्त – भाव से ही मिलें,कर्मों के परिणाम

चित्त – भाव से ही मिलें, कर्मों के परिणाम। सात्विकता के भाव से, कर्म करो निष्काम॥1498॥ व्याख्या:- कर्म और भाव के अन्योन्याश्रित सम्बन्ध पर प्रकाश डालते हुए श्वेताश्वतर – उपनिषद के ऋषि कहते हैं – ” ‘कर्म’ (Action) शरीर है ‘भाव ‘ (Intention ) उसकी आत्मा है।” उदाहरण के लिए मान लीजिए यज्ञ पर पाँच […]

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शत्रु कौन है? ठन्डे दिमाग से विचार करें

शत्रु कौन है? ठन्डे दिमाग से विचार करें 19 साल की अमृता (एमी) जिसका अभी अभी कॉलेज में एडमिशन हुआ है, उसने टीवी पर चल रहे वाद विवाद को देखते हुए अपने पापा से पूछा “व्हाट्स रॉन्ग विद दिस ऐड पापा? व्हाय ऑल द हिंदूस आर अगेंस्ट दिस ऐड? आलिया इज़ राइट, डॉटर्स आर नॉट […]

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भारतीय धर्म ग्रंथो में अलंकार रहस्य -वास्तविक अर्थ की पड़ताल*

भाग – 1 हिंदी /संस्कृत साहित्य बहुत विशाल है जिसको बिना सोचे समझे अर्थ का अनर्थ किया गया है और अभी तक हम लोग समझ नहीं पाए है। हमारा उद्देश्य सत्य का प्रचार करना और असत्य को हटाना है । इस अध्याय का मुख्य उद्देश्य:- 1)पुराणों की अवैदिक, अतार्किक, असंगत बातों को दर्शाना 2)हिन्दू और […]

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संसार में ऐसा कुछ भी नहीं जिसे असंभव कहा जा सके

सीताराम गुप्ता ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उर्दू शायर ‘शहरयार’ साहब की ग़ज़ल का एक लोकप्रिय शे’र है :- कहिए तो आस्मां को जमीं पर उतार लाएं, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए। अनुष्का के कॉलेज में एक दिन रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। वह मित्रों के साथ रक्तदान शिविर में गई। उसके […]

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बीत गये अब दिखावे के सम्मोहक दिन

शमीम शर्मा जब समाज मोटरसाइकिल से इम्प्रेस होता है तो आम आदमी के पास साइकिल होती है। जब समाज कार से इम्प्रेस होता है तो आम आदमी के पास एक्टिवा होती है। जब जुगाड़ बिठाकर हम कार खरीद लेते हैं तो लोग कार से नहीं बल्कि खास ब्रांड की कार से इम्प्रेस होते हैं। यह […]

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क्या श्रीमद्भगवद्गीता परतों में है ?

थोड़े समय पहले अजीत भारती ने एक इंटरव्यू में पूछा था कि क्या भगवद्गीता परतों में, लेयर्स में है? इसका सीधा सा जवाब हाँ है। अगर ये समझना हो कि ये कई परतों में कैसे है तो ये सोचिये कि आपके हिसाब से भगवद्गीता किनका संवाद है? संभवतः अधिकतर लोग इसका आसान सा जवाब दे […]

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*मृत्यु के बाद किये जाने वाले पारिवारिक और सामाजिक कार्यो कार्यो का विश्लेषण* :

‘अन्त्येष्टि कर्म क्या है? DR D K Garg ‘अन्त्येष्टि कर्म उस को कहते हैं कि जो शरीर के अन्त का संस्कार है, जिस के आगे उस शरीर के लिए कोर्इ भी अन्य संस्कार नहीं है।इसी को नरमेध्, पुरूषमेध्, नरयाग, पुरूषयाग भी कहते हैं । भस्मापिन्त शरीरम् । –यजु: अ॰ ४० । मं॰ १५ ॥ ।। […]

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वेदों में समानता का उपदेश

समानी प्रपा सहवोऽन्भागः समाने योषत्रे सहवो युनाज्मि। सम्यंचोऽग्नि सपर्य्यतारा नाभिमिवा भितः। अथर्व 3।30।6 ईश्वर वेद में आदेश देता है- तुम्हारा पीने के पदार्थ (जल दूध आदि) एक समान हो, अन्न भोजन आदि समान हो, मैं तुम्हें एक साथ एक ही (कर्त्तव्य) के बन्धन में जोड़ता हूँ। जिस प्रकार पहिये की अक्ष में आरे (Spokes) जुड़े […]

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वेदों में विश्वकर्मा परमात्मा एवं ऐतिहासिक शिल्पी विश्वकर्मा

(विश्वकर्मा दिवस के शुभ अवसर पर प्रकाशित) परमपिता परमात्मा की कल्याणी वाणी वेद के “विश्वकर्म्मा” शब्द से ईश्वर,सूर्य, वायु, अग्नि का ग्रहण होता है। प्रचलित ऐतिहासिक महापुरुष शिल्पशास्त्र के ज्ञाता विश्वकर्मा एवं वेदों के विश्वकर्मा भिन्न हैं। इस लेख के माध्यम से दोनों में अंतर को स्पष्ट किया जायेगा। निरूक्तकार महर्षि यास्क विश्वकर्मा शब्द का […]

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