* Dr D K Garg भगवान मुरगन के छः सिर बताए जाते है और इसके पीछे एक कथा भी सुनाई जाती है जो लेखक और गायक की मानसिक विकृति का प्रतीक है । कहते है जब शिव पार्वती विवाह के बाद एक गुफा में मिले तब वहां गुफा में एक कबूतर भी चला गया और […]
श्रेणी: आज का चिंतन
मनुष्य कोई भी काम करता है तो वह उसमें प्रायः अपनी हानि व लाभ को अवश्य देखता है। यदि किसी काम में उसे लाभ नहीं दिखता तो वह उसे करना उचित नहीं समझता। ईश्वर की उपासना भी इस कारण से ही नहीं की जाती कि लोगों को ईश्वर का सत्यस्वरूप व उपासना से होने वाले […]
जो व्यक्ति खुलेआम घोषणा करता है, कि “मैं नास्तिक हूं। मैं ईश्वर को नहीं मानता।” तो लोग उससे सावधान हो जाते हैं, और उसके साथ संभलकर व्यवहार करते हैं। क्योंकि उसके विषय में लोग ऐसा सोचते हैं कि “यह नास्तिक है। ईश्वर को तो मानता नहीं। कर्म फल को भी नहीं मानता। इसे ईश्वर के […]
=========== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून का पांच दिवसीय शरदुत्सव दिनांक 8 अक्टूबर 2023 को सोल्लास सम्पन्न हुआ। शरदुत्सव में सम्मिलित प्रमुख विद्वान स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, साध्वी प्रज्ञा जी, आचार्या डा. प्रियवंदा वेदभारती, पं. सूरतराम शर्मा जी, श्री विजय गोयल जी, श्री अनुज शास्त्री जी, स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती, आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी, डा. धनन्जय आर्य […]
यहूदी जब बेबीलोन में निर्वासित जीवन जी रहे थे तो वहां की नदियों के तट पर बैठकर #येरूशलम की ओर मुंह करके रोते थे और विरह गीत गाते थे । उन्होंने वहां सौगंध ले ली कि हम तब तक कोई आनंदोत्सव नहीं मनाएंगे जब तक कि हमें हमारा येरुशलम और जियान पर्वत दोबारा नहीं मिल […]
*● * “हिन्दू लोग गीता से आगे बढ़ना भी नहीं चाहते । शायद हिन्दू नहीं जानते कि गीता केवल आचार्य ग्रन्थ है, आर्ष भी नहीं । इन दिनों जो मनोवृत्ति फैलायी जा रही है, वह कुछ-कुछ ऐसी लगती है, मानो वेदों से प्रेरणा लेना और वेद की बात कहना आर्यसमाजियों का कार्य है और गीता […]
========= परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये सृष्टि को उत्पन्न कर इसे धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये […]
========= परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये सृष्टि को उत्पन्न कर इसे धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये […]
*______ लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ आज देश के महानगरों, छोटे शहरों ,गांव ,कस्बों में आपको गली गली या मोहल्ले में जिम या हेल्थ क्लब खुले मिल जाएंगे| जहां भोले भाले विवेकहीन भारतीय युवकों को संतान हीनता की सौगात बाटी जा रही है| भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में जहां वैदिक दंड, व्यायाम ,आसन प्राणायाम ,प्रातः […]
** Dr D K Garg वेद में नदी नाले के नाम ,और कोई इतिहास नहीं है ,वेद तो अपौरुषेय हैं। आर एस एस से जुड़े एक पूर्व सांसद का कहा है कि ऋग्वेद के एक राजा सुदास का राज्य सरस्वती नदी के तट पर था। तो क्या वेदों की रचना राजा सुदास के बाद हुई […]