पुस्तक समीक्षा : अष्टावक्र गीता काव्यानुवाद हम संसार में रमे रहकर संसार को नहीं पा सकते। संसार का सार समझने के लिए संसार से विरक्ति उत्पन्न करनी ही पड़ती है। जब तक वैराग्य और विवेक की उपलब्धि नहीं होती तब तक जीवन भी निःसार है। यही कारण है कि वैदिक ऋषियों ने संसार की निस्सारता […]
