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पुस्तक समीक्षा : अष्टावक्र गीता काव्यानुवाद

पुस्तक समीक्षा : अष्टावक्र गीता काव्यानुवाद हम संसार में रमे रहकर संसार को नहीं पा सकते। संसार का सार समझने के लिए संसार से विरक्ति उत्पन्न करनी ही पड़ती है। जब तक वैराग्य और विवेक की उपलब्धि नहीं होती तब तक जीवन भी निःसार है। यही कारण है कि वैदिक ऋषियों ने संसार की निस्सारता […]

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पुस्तक समीक्षा :  पतंजलि योग-दर्शन ( काव्यानुवाद व्याख्या सहित)

भारत का ज्ञान – विज्ञान अनुपमेय है। ऋषि परंपरा में पला-बढ़ा भारत विश्वगुरु के अपने महत्वपूर्ण और गौरवमय पद पर इसीलिए आसीन हुआ कि उसने समस्त विश्व का ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में सफलता पूर्वक मार्गदर्शन किया। हमारे ऋषियों ने अपने अनुभवजन्य ज्ञान के आधार पर अनेकों ऐसे ग्रंथ लिखे जो कालजयी होकर हमारा आज तक […]

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पुस्तक समीक्षा :  क्या कहती हो….

क्या कहती हो ….. नामक पुस्तक के लेखक डॉ दिलीप कुमार पारीक हैं । लेखक की यह पुस्तक काव्यमय है । पद्यात्मक शैली में उनकी यह दूसरी पुस्तक है । जो कि उनकी आजाद नज्मों का संग्रह कही जा सकती है। जब भी कोई कवि कविता लिखता है तो चिड़िया की भांति कविता का घोंसला […]

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पुस्तक समीक्षा :  बंगभूमि का वैभव

, माधवी मुखर्जी द्वारा लिखी गई ‘बंगभूमि का वैभव’ नामक पुस्तक बंगाल की गौरवमयी संस्कृति को सहेजकर प्रस्तुत करने का एक सराहनीय प्रयास है। बंगाल का भारत की संस्कृति के निर्माण और रखरखाव में विशेष योगदान रहा है। बौद्धिक संपदा में तो बंगाल ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। सबसे पहले अंग्रेजों ने बंगाल में […]

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पुस्तक समीक्षा : ढोला मारू

डॉक्टर सीताराम मीना द्वारा लिखित ‘ढोला-मारू’ पुस्तक राजस्थान की वीरों के शौर्य और बलिदान से भरी मिट्टी की महत्ता को बखान करने वाली पुस्तक है। यह सच भी है कि यदि वीरता, शौर्य, साहस, पराक्रम और देशभक्ति की बातें हो रही हों तो उनमें राजस्थान का जिक्र आना बहुत ही स्वाभाविक है। क्योंकि राजस्थान ने […]

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पुस्तक समीक्षा :   मानव अभयारण्यों में स्त्री आखेट

‘मानव अभयारण्यों में स्त्री आखेट’-  नामक यह पुस्तक श्री शंकर लाल मीणा जी द्वारा लिखी गई है। इससे पहले भी लेखक के द्वारा कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इस पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट है कि नारी को प्राचीन काल से ही पुरुष ने अभयारण्य में आखेट के रूप में प्रयोग किया है […]

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सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन के कटु यथार्थ को व्यंजित करते  ‘दीमक लगे गुलाब’

(प्रियंका ‘सौरभ’ का ग्लोबल ज़माने की लोकल कविताओं का संग्रह; अमेज़न, फ्लिपकार्ट और अन्य ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध है) ‘दीमक लगे गुलाब’ युवा कवयित्री प्रियंका ‘सौरभ’ का ‘निर्भयाएं’ के बाद दूसरा संग्रह है, साहित्य सृजन के क्षेत्र में वे लंबे समय से सक्रिय है। साहित्य और समसामयिक लेखन में प्रियंका ‘सौरभ’ आधुनिक तकनीकी युग की […]

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पुस्तक समीक्षा :  ‘अथ विश्वविद्यालय गाथा’

‘अथ विश्वविद्यालय गाथा’ के लेखक प्रोफेसर किशोरी लाल व्यास नीलकंठ हैं,। जिन्होंने यह  उपन्यास आज के विश्वविद्यालयों की यथार्थ स्थिति को चित्रित करते हुए बहुत ही सुंदर शैली में लिखा है।  वास्तव में शिक्षा के केंद्रों से जब गिरी हुई पतित शिक्षा मिलने लगे तो स्थिति बहुत चिंताजनक हो जाती है और यह पुस्तक बस […]

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पुस्तक समीक्षा :  ‘रिश्ते बन जाते हैं’

पुस्तक समीक्षा :  ‘रिश्ते बन जाते हैं’ ‘रिश्ते बन जाते हैं’ –  इस पुस्तक की लेखिका श्रीमती कमलेश वशिष्ठ हैं। लेखिका का यह कहानी संग्रह है । जिसमें कुल 41 कहानियों को स्थान दिया गया है।  छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से लेखिका ने बहुत अच्छा संदेश देने का प्रयास किया है। कहानी ‘संयोग’ में एक […]

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पुस्तक समीक्षा : संस्कारित बाल कहानियां

संस्कारित बाल कहानियां’-  पुस्तक श्रीमती करुणा श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई है। विदुषी लेखिका के द्वारा अब से पूर्व में भी दर्जनों पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। उनकी ऐसी अप्रतिम प्रतिभा को देखकर स्पष्ट होता है कि वे कथाकार, उपन्यासकार और साहित्य की सचमुच एक समर्थ लेखिका हैं। ‘संस्कारित बाल कहानियां’ – उन्होंने बच्चों के लिए […]

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