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संपादकीय

देश के कम्युनिस्ट और उनका संस्कार बीज

भारत की अंतश्चेतना में सहनशक्ति का अनन्त ऊर्जा स्रोत उपलब्ध है। सचमुच भारत जैसी सहनशक्ति विश्व के किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिलती। यह भारत ही है जिसने महात्मा गांधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भी अपशब्द बोलने वाले और 1962 के युद्घ में चीन का साथ देने वाले कम्युनिस्टों को सहन किया […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

कम्युनिस्ट और नक्सलवाद

भारत में नक्सलवाद को कम्युनिस्ट आंदोलन की देन माना जा सकता है। वास्तव में कम्युनिस्ट अब एक आंदोलन नहीं रह गया है। यह अब एक मृत विचारधारा बन चुका है और विश्वशांति के समर्थक किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के लिए अब ‘कम्युनिज्म’ में कोई आकर्षण नही रहा है। इसका कारण है कि साम्यवादी विचारधारा अपने […]

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