Categories
महत्वपूर्ण लेख

अरब की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति और भारत

अरब देश का भारत, भृगु के पुत्र शुक्राचार्य तथा उनके पोत्र और्व से ऐतिहासिक संबंध प्रमाणित है, यहाँ तक कि “हिस्ट्री ऑफ पर्शिया” के लेखक साइक्स का मत है कि अरब का नाम और्व के ही नाम पर पड़ा, जो विकृत होकर “अरब” हो गया। भारत के उत्तर-पश्चिम में इलावर्त था, जहाँ दैत्य और दानव […]

Categories
संपादकीय

उठो! स्वाभिमानी भारत के निर्माण के लिए

पाकिस्तान ने अपने जन्म के पहले दिन से ही भारत के लिए समस्याएं खड़ी करने का रास्ता अपनाया। पराजित मानसिकता के इतिहास बोध से ग्रसित भारत के शासक वर्ग ने पाकिस्तान द्वारा देश में और देश के बाहर बोयी गयी समस्याओं के काटने पर तो ध्यान दिया, पर कभी इन समस्याओं के जनक को ललकारने […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

हिन्दी को न्याय और भारत को स्वत्व की पहचान मिले

नरेश भारती हाल में भारत के गृह मंत्रालय ने सरकार और समाज के बीच दूरी को पाटने की क्षमता रखने वाले सामाजिक माध्यम या कथित ‘सोशल मीडिया’ के उपयोग और भारत की राजभाषा हिन्दी के महत्व को रेखांकित करते हुए शासकीय कामकाज में हिन्दी का उपयोग करने के निर्देश जारी किए थे। मेरे जैसे विदेशस्थ […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

भारत का नाम हिट लिस्‍ट में क्‍यों ?

नीतू सिंह की कलम से विश्व में कहीं भी इस्लाम का आंतकवाद होता है, उनकी हिट सूची में भारत का नाम अवश्य होता है। पाक आंतकवादियो का तो जन्मजात अधिकार है, पर अभी वर्तमान में इराक जो आंतकवादियों का खेल चल रहा है. उनकी हिट लिस्ट में भी भारत का नाम है इससे पहले देखे […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

भारत ने यूरोप को बहुत कुछ दिया भी है

रामस्वरूप भारत जब विश्व सभ्यता का केन्द्र था तो स्वाभाविक ही उसका संबंध संसार की तत्कालीन प्रमुख सभ्यताओं और समाजों से प्रगाढ़ और प्रभावकारी था। जैसा कि भाषाओं के साम्य से स्पष्टहोता है यूरोप, फारस और भारत परस्पर घनिष्ठता से संबंद्घ हैं, और संभवत: इनका मूल भी एक ही हो, परंतु तीनों के समान पूर्वज […]

Exit mobile version