भारत के 68वें गणतंत्र दिवस की पावन बेला है। मैंने सोचा कि अपने सुबुद्घ पाठकों के लिए कोई ऐसी भेंट इस अवसर पर दी जाए जो उन्हें गणतंत्र के पुजारी इस भारत देश की सनातन ज्ञान परम्परा से जोड़े और उन्हें आनन्दित व रोमांचित कर डाले। इसी क्रम में यह आलेख तैयार हो गया। हमारी […]
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अब स्थिति यह है कि ‘यथा प्रजा, तथा राजा’ की उक्ति सटीक हो गई है। यानी यदि जनता जागरूक नहीं होगी, तो जनप्रतिनिधि भी निकम्मे और भ्रष्ट हो जाएंगे। यह स्वयंसिद्ध है कि ‘आह से आहा’ तक के सफर के लिए जनता को ही जागरूक होना होगा, अपने कत्र्तव्यों और अधिकारों को समझना होगा और […]
संविधान के अधीन सभी प्राधिकारों का स्त्रोत भारत के लोग हैं। भारत एक स्वाधीन राज्य है और अब वह किसी बाहरी प्राधिकारी के प्रति निष्ठावान नहीं है। हमारे देश का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति है। अब इस पद सहित किसी भी पद पर भारत के नागरिक की नियुक्ति होना संभव है। […]