डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ गुरुकुल में आचार्य शिष्यों को ज्ञान दे रहे थे, तभी एक जिज्ञासु शिष्य खड़ा हुआ और बोला— गुरुदेव, पृथ्वी पर सबसे भयंकर विष क्या है और सर्वसुलभ अमृत क्या है? गुरुदेव ने उत्तर दिया-वत्स, पृथ्वी पर सबसे भयंकर विष है क्रोध और सर्वसुलभ अमृत है क्षमा, किन्तुज् गुरुदेव गंभीर हो […]
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प्रस्तुति : श्रीनिवास आर्य तूने तो ऐसे निर्दोष योद्घाओं को रात की वेला में उस समय मार डाला जब वे सर्वथा निश्चिंत होकर सोये थे। उनकी हत्या करके तूने कौन सी वीरता दिखाई़ निद्रा में अचेत पांचाली के सुकुमार बालक तो शव की भांति निश्चल पड़े थे। पांचाली के उन पुत्रों की निर्ममतापूर्वक हत्या करवा […]
बिखरे मोती भाग-68 गतांक से आगे….क्रोध और संताप का,पड़े सेहत पर प्रभाव।इन दोनों का शमन कर,अक्षुण्ण रहेगा चाव ।। 755।। संताप-तनावशमन-शांत करना, पीना, निगलना ‘अक्षुण्ण रहेगा चाव’ से अभिप्राय-जीवन जीने का उत्साह बना रहेगा। क्रूर के आश्रित लक्ष्मी,करती कुल का नाश।सत्पुरूष की लक्ष्मी,करै पीढ़ी का विकास ।। 756।। श्रद्घाहीन को सीख दे,और सबल से राखै […]