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बिखरे मोती

बुरा कहै संसार ये, जिसको हो अभिमान

बिखरे मोती-74 गतांक से आगे….दक्ष कृतज्ञ मतिमान हो,ऋजुता से भरपूर।भृत्य-मित्र को प्राप्त हो,बेशक धन से दूर ।। 806 ।। अर्थात जो व्यक्ति चतुर है, उपकार को मानने वाला है, बुद्घिमान है और उसका कुटिलता रहित उत्तम स्वभाव है। ऐसा व्यक्ति धन रहित होने पर भी भृत्यों (सेवकों) और मित्रों के समूह को प्राप्त होता है।बुरा […]

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बिखरे मोती

क्रोध नष्ट करे संपदा, अभिमान गुणों को खाय

बिखरे मोती भाग-68 गतांक से आगे….क्रोध और संताप का,पड़े सेहत पर प्रभाव।इन दोनों का शमन कर,अक्षुण्ण रहेगा चाव ।। 755।। संताप-तनावशमन-शांत करना, पीना, निगलना ‘अक्षुण्ण रहेगा चाव’ से अभिप्राय-जीवन जीने का उत्साह बना रहेगा। क्रूर के आश्रित लक्ष्मी,करती कुल का नाश।सत्पुरूष की लक्ष्मी,करै पीढ़ी का विकास ।। 756।। श्रद्घाहीन को सीख दे,और सबल से राखै […]

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