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संपादकीय

मणिशंकर अय्यर ने दिया कांग्रेस को बड़ा झटका

मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस के लिए गुजरात में बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। उन्होंने भाजपा के स्टार प्रचारक और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए ‘नीच’ शब्द का प्रयोग करके स्पष्ट किया है कि उनके पास शब्दों की दरिद्रता है और वे प्रधानमंत्री के विरूद्घ घृणा से भरे हैं। वास्तव में लोकतंत्र एक […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य का जीवन व चरित्र उज्जवल होना चाहिये

मनुष्य का जीवन व चरित्र उज्जवल होना चाहिये परन्तु आज ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। जो जितना बड़ा होता है वह अधिक संदिग्ध चरित्र व जीवन वाला होता है। धर्म हो या राजनीति, व्यापार व अन्य कारोबार, शिक्षित व अशिक्षित सर्वत्र चरित्र में गड़बड़ होने का सन्देह बना रहता है। ऐसा होना नहीं […]

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विशेष संपादकीय

मेरा भारत वो भारत है….

यदि कोई मुझसे ये पूछे कि भारत के पास ऐसा क्या है-जो उसे संसार के समस्त देशों से अलग करता है?-तो मेरा उत्तर होगा-उसका गौरवपूर्ण अतीत का वह कालखण्ड जब वह संसार के शेष देशों का सिरमौर था अर्थात ‘विश्वगुरू’ था। जब मेरे से कोई ये पूछे कि भारत के पास ऐसा क्या है-जिससे वह […]

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अन्य

पार्लर में पैसे खर्च क्यों करें जब घर में ही निखार सकते हैं त्वचा

गर्मियां आते ही लड़कियों को सबसे पहले अपने चेहरे की चिंता सताती है। वे अक्सर चेहरे को चिलचिलाती धूप, प्रदूषण, लू और सन बर्न से बचाने की जद्दोजहद में उलझी रहती हैं। चेहरे की रंगत बरकरार रखने के लिए अनगिनत तरकीबें तराशती हैं। अरे भला, इतनी मेहनत करें भी क्यों ना… आखिरकार चेहरे का ध्यान […]

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संपादकीय

चोरों के हाथ में ज्ञान मन्दिर

गुरूग्राम स्थित ‘रेयान इण्टर नेशनल स्कूल’ में एक अबोध बालक प्रद्युम्न की जिस प्रकार हत्या की गयी है, वह निश्चय ही रोंगटे खड़े करने वाली घटना है। इसके साथ ही पूर्वी दिल्ली के एक स्कूल में कर्मचारी द्वारा विगत 9 सितंबर को अबोध बच्ची से हुआ दुष्कर्म का मामला भी कम दु:खदायक नहीं है। ज्ञान […]

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बिखरे मोती

एक श्रद्घा का भाव ही, नारायण तक जाए

बिखरे मोती-भाग 207 गतांक से आगे…. जर्मनी का महान कवि ‘गेटे’ ”हे परमात्मन! आप मेरी आत्माओं को सत्य और सौंदर्य से अर्थात अपने प्यार और स्नेह से भर दो, मेरे अंतर (हृदय) के पट खोल दो, मेरे मन और वाणी का अंतर मिटा दो।” सिकंदर महान का गुरू-महान विचारक अरस्तु यूनान का विश्वविख्यात दार्शनिक सुकरात […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

शिवाजी ने अपने कृतित्व से सिद्घ किया कि वह उस समय के नायक थे

शिवाजी के राज्य विषयक सिद्घांत शिवाजी के राज्य विषयक सिद्घांत ‘आज्ञापत्र’ या ‘शिवराज की राजनीति’ से स्पष्ट होते हैं। उसके अध्याय 3 में कहा गया है-”परस्पर विरोध उत्पन्न होकर जिससे विनाश हो ऐसा नही करना चाहिए। सकल प्रजा सुरक्षित और संरक्षित रहनी चाहिए। धर्म पथ-प्रवत्र्तक बनना चाहिए। इस प्रजा की करूणा के लिए ईश्वर ने […]

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संपादकीय

शिक्षा का व्यावसायीकरण एक अभिशाप

भारत प्राचीनकाल से संस्कार आधारित नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने वाला देश रहा है। इस देश ने शिक्षा को मानव निर्माण से विश्व निर्माण का एक सशक्त माध्यम माना और इसीलिए शिक्षा को व्यक्ति का मौलिक अधिकार घोषित कर ज्ञानवान होने को व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता माना। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो हमारे संविधान […]

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आर्थिकी/व्यापार राजनीति

मोदी के आर्थिक सुधारों पर अंतर्राष्ट्रीय मोहर

कालखंड या समय या इतिहास को हम दो भागों में विभाजित करते हैं, एक ड्ढष् अर्थात बिफोर क्राइस्ट और दुसरे स्रष् अर्थात एन्नो डोमिनी। इस प्रकार स्वातंत्र्योत्तर भारत की अर्थव्यवस्था अब दो कालखंडो से जानी जायेगी एक नरेंद्र मोदी/नोटबंदी के पूर्व की अर्थव्यवस्था और दुसरी नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्रतिबंध के बाद की अर्थव्यवस्था। 9 […]

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राजनीति

उत्तर प्रदेश: छोटे चुनाव से बड़ा संदेश

देश में जबसे नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तबसे राजनीति में एक परिवर्तन सा दिखाई दे रहा है। वह परिवर्तन किस प्रकार का है, वह तो हम आगे बात करेंगे, लेकिन उसका प्रभाव साढ़े तीन वर्ष बाद भी देश की राजनीति में दिखाई दे रहा है। उत्तरप्रदेश के लोकसभा के बाद विधानसभा और अब स्थानीय […]

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